दूसरी दुनिया के प्राणी के बारे में पता लगाना इतना आसान नहीं है फिर भी वैज्ञानिक अपने प्रयास से पता लगा लिया है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि वह कही दुश्मन समझ कर हमारी दुनिया पर हमला न कर दें। इस बात का डर बना रहना चाहिए। आपको बता दें दूसरे दुनिया के लोग अपनी दुनिया के लोगों से कही अधिक शक्तिशाली होते है।
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया कि शुक्र ग्रह के ऊपर बादलों में फॉस्फीन गैस मिली है, जिसकी वजह से वहां जीवन होने की संभावना बढ़ गई है। इस गैस को माइक्रोबैक्टीरिया ऑक्सीजन की कमी में उत्सर्जित करते हैं, इसलिए वैज्ञानिकों को लगता है कि इस ग्रह पर जीवन हो सकता है। इसकी वजह से शुक्र ग्रहों पर एलियन के होने की संभावना दिख रही है, लेकिन अभी इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।वैज्ञानिकों की इंटरनेशनल टीम ने हवाई में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए शुक्र ग्रह पर फॉस्फीन गैस को देखा। चिली में एटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलिमीटर एरे रेडियो टेलीस्कोप के जरिए इसकी पुष्टि की। नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित शोध में वेल्स की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के खगोलविद जेन ग्रीव ने कहा, 'मैं बहुत हैरान था। वास्तव में दंग रह गया।'
पृथ्वी के तापमान से कई गुना ज्यादा है शुक्र ग्रह का तापमान
शुक्र की सतह पर औसत तापमान 464 डिग्री सेल्सियस होता है और पृथ्वी के मुकाबले वहां दवाब भी 92 गुना ज्यादा होता है, इसलिए इसे मानव के रहने योग्य नहीं माना जाता है। शुक्र की सतह से 53 से 62 किलोमीटर की ऊंचाई का तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस है और यहां का दवाब भी धरती के समुद्र तल के बराबर है। यहां के बादल अम्लीय हैं, जिसकी वजह से फॉस्फीन गैस के अणु जल्दी टूट जाएंगे। फॉस्फीन गैस की वजह से यहां जीवन की संभावना बढ़ गई है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि होना बाकी है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के लिए दो प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, जिससे वहां के वायुमंडल की ज्यादा जानकारी मिल सके। इन योजनाओं को नासा ने Davinci और Veritas नाम दिए हैं। अभी नासा ने यह खुलासा नहीं किया है कि इन प्रोजेक्ट को कब लॉन्च किया जाएगा।


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