
मंहगाई की मार अब ऑक्सीजन के साथ दवाओं की कीमतों में भी भारी इजाफा हो गया है। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में दवाओं की किल्लत है। मरीजों को जरूरी दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। सबसे ज्यादा संकट एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज दवाओं का है। गर्भावस्था, सांस, दिल, एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवाओं की कीमतें 150 रुपए बढ़ा दी गयी हैं। ऐसे में मरीजों बेहद तकलीफों से गुजरना पड़ रहा है। अब तक मंहगाई की मार सब्जी,तेल और दूसरी चीजों पर पड़ रही थी पर अब जीवन रक्षक और आपातकालीन जरूरत दवाओं के दाम भी बढ़ा दी गए हैं। दाम बढ़ाने के पीछे थोक दुकानदार जो तर्क दे रहे हैं वो समझ से बाहर है।
इस वक्त सब कुछ अनलाक चल रहा है पर कहा जा रहा है कि दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल की आपूर्ति बाधित है। वहीं तमाम लोग चीन के कारण कच्चा माल न आने जैसी बाते कर रहे हैं। मोटे तौर पर बताया जा रहा है कि संक्रमण से सप्लाई चेन बाधित है। कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होने का फर्क दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है। नतीजतन दवाओं की आपूर्ति मांग के मुताबिक नहीं हो पा रही है। कंपनियों ने इसका फायदा उठाते हुए कीमतों में इजाफा किया है।
केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरिराज रस्तोगी कहते हैं कि हाल में कुछ दवाओं की कीमत में इजाफा हुआ है। हालांकि बाजार में दवाओं की किल्लत नहीं है। मरीजों को सभी प्रकार की दवाएं मांग के मुताबिक उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रवक्ता विकास रस्तोगी के मुताबिक विटमिन समेत दूसरी मल्टी विटामिन दवाओं की मांग बढ़ी है। दवा की कीमत बढ़ने का कारण कच्चे माल का संकट भी हो सकता है। आपको बता दें कि लखनऊ के बलरामपुर, लोहिया और सिविल समेत दूसरे अस्पतालों में खुली स्टोर से मरीजों को मायूस लौटना पड़ रहा है। मरीज महंगी दर पर दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।


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