पूजन में इन चीजों का रखे ध्यान, आइए जाने

 

राजेश शास्त्री, संवाददाता

पूजन की विधि जिस तरह से ऋषि लोग करते थे आज के दौर में ऐसा नहीं रहा है। अगर अब पूजा करने के लिए किसी बड़ी मंदिर में जाते है तो वहां मात्र 2-10 मिनट में वहां से हटना पड़ता है। इस बात से हर कोई रूबरू है। फिलहाल ये तो आजकल की स्थिति के अनुरूप है। लेकिन जीवन में सुखी और समृद्धिशाली बनने के लिए देवी देवताओं के पूजन की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है और आज भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को निभाते हैं। फिलहाल पहले की अपेक्षा उतना सही नहीं है। पहले लोग मंदिर में बड़े आराम से भगवान की अराधना करते थे पर ऐसा अब नहीं रहा।

लेकिन पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैंपूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए। अन्यथा पूजन का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाता है। आपको बता दें कि सामान्य पूजन में भी इस नियम का ध्यान रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखने पर बहुत ही जल्द शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।

सभी कार्यों में पूजा करना अनिवार्य

आपको बता दें कि सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैंइनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।    

बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी का पत्ता 

सूर्य नारायण को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए तथा तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं।

देवी-देवताओं का पूजन दिन में करें पांच बार

शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए। सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए। इसके बाद प्रात: 9 से 10 बजे तक दूसरी बार का पूजन। दोपहर में तीसरी बार पूजन करना चाहिए। इस पूजन के बाद भगवान को शयन करवाना चाहिए। शाम के समय चार-पांच बजे पुन: पूजन और आरती। रात को 8-9 बजे शयन आरती करनी चाहिए। जिन घरों में नियमित रूप से पांच पूजन किया जाता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है।

गंगाजल किसमें रखे और किसमें न रखें

प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।

अपवित्र अवस्था न बजाएं शंख

स्त्रियों को और अपवित्र अवस्था में पुरुषों को शंख नहीं बजाना चाहिए। यह इस नियम का पालन नहीं किया जाता है तो जहां शंख बजाया जाता है, वहां से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं। मंदिर और देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए।

(शेष बचे हुए अन्य नियम अगले अंक में प्रस्तुत किए जाएँगे)

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