ये तो कर्म की बात है उद्धव


भक्तिमान पांडेय

रामसनेहीघाट, बाराबंकी। उमरा पुर तालुक (निहाली शुक्लन पुरवा) में हो रहा मानस सत्संग समारोह के आज द्वितीय दिवस की कथा में लखनऊ से पधारे स्मृति शेष परम पूज्य स्वामी करुणेश जी के कृपा पात्र शिष्य डॉ. ब्रजेश शुक्ल शास्त्री जी महाराज द्वारा बहुत ही सुंदर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के चरित्र का वर्णन किया गया।

महाराज जी ने बताया कि एक संत को कैसा होना चाहिए संत हमेशा सरल होता संत कभी क्रोधित नही होते संत मक्खन जैसे होते है महाराज जी ने बताया कि भगवान की कभी परीछा नही लेनी चाहिए प्रभु के हमेशा सेवक बनने कोशिश करो प्रभु से हमेशा यही कहना चाहिए कि मेरा पूरा परिवार आपका सेवक है।

प्रभु आप मेरे गुरु पिता माता सब आप ही है। महाराज जी ने बताया कि भगवान की पूजा हमेशा अनुराग से करनी चाहिए। प्रभु का भजन करने के लिए कही जाने की जरूरत नही काम करते राम जपते रहना जैसे पोथी पढि पढि जग मुवा पंडित भया न कोई ढाई अक्षर प्रेम का पढे सो पंडित होय प्रभु से प्रेम गोपियों के जैसा करना चाहिए।

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