क्षेत्र में बढ़ रहे घटतौली की प्रवृत्ति से उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण


राजेश शास्त्री, संवाददात

काफी लम्बे अर्से से क्षेत्र सहित अन्य प्रमुख स्थानों व बाजारों में तेजी से बढ़ती जा रही घटतौली की प्रवृत्ति के चलते एक तरफ जहां उपभोक्ताओं का खुला आर्थिक शोषण हो रहा है वहीं दूसरी तरफ एक ग़लत परम्परा की लत पड़ने के साथ ही चंद लोगों की ग़लत काले कारनामों के कारण समूचा व्यापारी वर्ग शक के दायरे में आकर अकारण ही बदनामी झेलने को विवश है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्वाधिक घटतौली सब्जी मीट व मछली की मंडियों एवं राजकीय दुकानों तथा उसी प्रकार के अन्य वस्तुओं जैसे सरिया, तेल, आटा, चावल इत्यादि के दुकानों पर उपभोक्ताओं की निश्चित रूप से किलो  पीछे सौ दो सौ ग्राम समान तौल मे कम मिल रहा है। सरिया इत्यादि मे तो एक से दो किलो कुंतल पीछे उपभोक्ताओं को चूना लग जाना आम बात है। यही नहीं घटतौली में कुछ दुकानदार तो इतने माहिर है कि उपभोक्ताओं के आंखो के सामने ही दो से चार सौ ग्राम तक वजन में कम तौल कर उन्हे थमा देते है जो उनके इस करामात को भांप नहीं पाते है।

इस क्षेत्र मे एक यह भी तथ्य दैदीप्यमान है कि सब्ज़ी बाजारों तथा कुछ अन्य प्रमुख स्थानों पर तो अधिकांश बांट दुकानदारों के पास मानक के अनुरूप नहीं है। तथा तौल के लिए खुलेआम ईट व पत्थरों के बांटो का प्रयोग इन दुकानदारों द्वारा किया जा रहा है जो कानून के हिसाब से पूरी तरह ग़लत ही है। 

बताया जाता है कि एक समय वह था जब बांट माप विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न कस्बों व बाजारों में बराबर छापामारी कर जांच किए जाते रहने से व्यापारी वर्ग हमेशा भयभीत रहा करता था और मानक के अनुरूप बांट व माप रखकर ही सामानों की सही माप तौल करके उपभोक्ताओं को देने को विवश था किन्तु जब से जाच व छापेमारी की कार्य वाई बंद हो गई तभी से इस क्षेत्र मे उपभोक्ताओं के आर्थिक शोषण के इस गैर क़ानूनी कार्य मे लगातार बुद्धि होती जा रही है। जिसमे पिस रहे है उपभोक्ता और मालामाल है रहे व्यापारी।

     

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ