गणेश जी का व्रत रखने से आपके बिगड़ते काम भी बनने लगते है, आइए जाने



राजेश शास्त्री, संवाददाता, सिद्धार्थनगर 

भगवान श्री गणेश की व्रत एवं आराधना से सभीं बिगड़े काम बन जाते हैं। गणेश जी संकटमोचन, विघ्नहर्ता है। कहते है किसी भी परेशानी, तकलीफ, संकट में इनकी आराधना करने से परेशानियों का अंत हो जाता है। गणेश जी का व्रत बहुत फलदायी होता है, ये हर चतुर्थी को रखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने में दो चतुर्थी आती है- 

  1. पहला विनायक चतुर्थी 
  2. दूसरा संकष्टी चतुर्थी 

पहला विनायक चतुर्थी 

हर महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन विनायक चतुर्थी आती है, एवं हर महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन संकष्टी चतुर्थी आती है। श्री गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था। इसलिए इनके जन्म दिवस को व्रत कर श्री गणेश जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है। जिस वर्ष में यह व्रत रविवार और मंगलवार के दिन का होता है। उस वर्ष में इस व्रत को महाचतुर्थी व्रत कहा जाता है।

इस व्रत को करने की विधि भी श्री गणेश के अन्य व्रतों के समान ही सरल है। गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास में कृ्ष्णपक्ष की चतुर्थी में किया जाता है। पर इस व्रत की यह विशेषता है, कि यह व्रत सिद्धि विनायक श्री गणेश के जन्म दिवस के दिन किया जाता है। सभी 12 चतुर्थियों में माघ, श्रावण, भाद्रपद और मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली चतुर्थी का व्रत करन विशेष कल्याणकारी रहता है।

विनायक गणेश चतुर्थी व्रत की महिमा - 

व्रत के दिन उपवासक को प्रात:काल में जल्द उठना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान और अन्य नित्यकर्म कर, सारे घर को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। स्नान करने के लिए भी अगर सफेद तिलों के घोल को जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। तो शुभ रहता है। प्रात: श्री गणेश की पूजा करने के बाद, दोपहर में गणेश के बीजमंत्र ऊँ गं गणपतये नम: का जाप करना चाहिए। इसके पश्चात भगवान श्री गणेश धूप, दूर्वा, दीप, पुष्प, नैवेद्ध व जल आदि से पूजन करना चाहिए और भगवान श्री गणेश को लाल वस्त्र धारण कराने चाहिए। अगर यह संभव न हों, तो लाल वस्त्र का दान करना चाहिए। 

विनायक गणेश चतुर्थी व्रत कुछ इस तरह से करें-

  • सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लें। 
  • उसके बाद गणेश जी की पूजा आराधना में गणेश भगवान के मंत्र का उच्चारण अवश्य करें।  
  • पूरा दिन उपवास रखने के बाद, शाम की पूजा के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • बहुत से लोग होते है जो पूरा दिन उपवास नहीं रह पाते तो आप दिन में साबूदाना, आलू, मूंगफली, मिठाई खा सकते है।
  • शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है, अगर बादल के चलते चन्द्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचांग के हिसाब से चंद्रोदय के समय में पूजा कर लें। 
  • शाम के पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति के बाजु में दुर्गा जी की भी फोटो या मूर्ति रखें, इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है। 
  • मूर्ति/फोटो पर धुप, दीप, अगरबत्ती लगाएँ, फुल से सजाएँ एवं प्रसाद में केला, नारियल रखें। 
  • गणेश जी के प्रिय मोदक बनाकर रखें, इस दिन तिल या गुड़ के मोदक बनाये जाते है। 
  • गणेश जी के मन्त्र का जाप करते हुए कुछ मिनट का ध्यान करें, कथा सुने, आरती करें, प्रार्थना करें। 
  • इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करें, उन्हें जल अर्पण कर फुल, चन्दन, चावल चढ़ाएं। 
  • पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद सबको वितरित किया जाता है। 
  • गरीबों को दान भी किया जाता है। 

         

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