हमारे धर्म पुराणों के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास बहुत ही ज्ञानी, तेजस्वी और महान महर्षि थे। उन्हें चारों वेदों का संपूर्ण ज्ञान था। इसीलिए उन्हें वेदव्यास कहा गया। पुराणों में यह भी वर्णन है कि महर्षि वेदव्यास जी संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान थे इसीलिए उन्हें गुरु की भी उपाधि दी गई थी। आपको बता दें कि धर्म ग्रंथों के अनुसार वेदव्यास जी भगवान नारायण के काला अवतार थे। उनके पिता का नाम ऋषि पराशर और उनकी माता का नाम सत्यवती था। ऐसा माना जाता है कि वेदों के विस्तार के लिए स्वयं भगवान श्री हरि नारायण व्यास जी के रूप में इस पृथ्वी पर प्रकट हुए थे।
वेदव्यास जी ने
वेदों का विस्तार, महाभारत, 18 महापुराण एवम ब्रह्म
सूत्र की रचना की थी। वेदव्यास जी बद्री वन में निवास किया करते थे। इसी कारण उनका
एक नाम वाद नारायण भी प्रसिद्ध है। महर्षि वेदव्यास जी ने ही धृतराष्ट्र के कहने
पर संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी। जिसके जरिए संजय ने महाभारत युद्ध को
प्रत्यक्ष देख कर अपने महाराज धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का वर्णन सुनाया था। वेदव्यास
जी के दिए हुए दिव्य दृष्टि के कारण ही संजय ने, महाभारत युद्ध में भगवान
श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता उपदेश का श्रवण किया था।
महर्षि वेदव्यास जी द्वारा लिखे 18 पुराणों में विष्णु पुराण अपना एक विशेष स्थान रखता है। इस पुराण में भगवान श्री हरि विष्णु के चरित्र का विस्तृत वर्णन है। इस पुराण के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी के पिता ऋषि पराशर जी ने किया था। लेकिन क्या आपको पता है? अगर नही, सुनिए! विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है कि जब महर्षि पराशर जी के पिता शक्ति को राक्षसों ने मार डाला। तब ऋषि पराशर ने राक्षसों के विनाश के लिए ‘‘रक्षोघ्न यज्ञ’’ प्रारंभ किया। ऋषि पाराशर के इस यज्ञ की शक्ति इतनी प्रवल थी, की हजारों राक्षस उनके यज्ञ कुंड में गिर गिर कर स्वाहा होने लगे। इसके बाद राक्षसों के पिता पुलस्त्य ऋषि और ऋषि पराशर के पितामह वशिष्ट जी ने महर्षि पराशर को समझाया, और उनसे वह यज्ञ बंद करवाया। इसी बात से पुलस्त्य ऋषि बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने ऋषि पराशर जी को विष्णु पुराण के रचयिता होने का आशीर्वाद दिया।
आपको बता दें कि पुलस्त्य
ऋषि के आशीर्वाद के फलस्वरुप पराशर जी को विष्णु पुराण का स्मरण हो गया और तब जाकर
पराशर मुनि ने मैत्रेय जी को संपूर्ण विष्णु पुराण सुनाया। ऋषि पराशर जी और
मैत्रेय जी का वही संवाद विष्णु पुराण में वर्णित है। विष्णु पुराण में छह अंश है, तथा इस पुराण में 23000 श्लोक हैं। इस ग्रंथ में भगवान विष्णु, बालक ध्रुव तथा भगवान श्रीकृष्ण अवतार की कथाएं संकलित की गई हैं। इसके
अतिरिक्त इस पुराण में राजा पृथु की कथा भी वर्णित की गई है। जिस कारण हमारी इस
धरती का नाम पृथ्वी पड़ा था। सूर्यवंशी तथा चंद्रवंशी राजाओं का इतिहास भी विष्णु
पुराण में वर्णित है। विष्णु पुराण वास्तव में एक ऐतिहासिक ग्रंथ है।
18 पुराणों के नाम
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- वायु पुराण(शिव पुराण)
- भागवत पुराण(देवीभागवत पुराण)
- नारद पुराण
- मार्कण्डेय पुराण
- अग्नि पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्म वैवर्त पुराण
- लिङ्ग पुराण
- वाराह पुराण
- स्कन्द पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुड़ पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण



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