कहानी संग्रह "साँझी छत" पर चर्चा का आयोजन किया गया

  • 'केदार स्मृति न्यास' एवं ' प्रगतिशील लेखक संघ' के संयुक्त तत्वावधान हुआ  कार्यक्रम
  • कहानियां बहुत सरल सहज और संदेशों से परिपूर्ण- लेखिका छाया सिंह

बांदा। 'केदार स्मृति न्यास' एवं 'प्रगतिशील लेखक संघ' के संयुक्त तत्वावधान में  लेखिका छाया सिंह के आवास पर उनके कहानी संग्रह " साँझी छत " पर चर्चा का आयोजन किया गया। गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित'  एवं मुख्य अतिथि श्रीमती वनमाला चौहान रहीं। सबसे पहले लेखिका छाया सिंह ने अपने लेखन के सफर और "साँझी छत"  के अस्तित्व में आने के बारे बताया। लेखिका ने कहा कि आगे और भी संग्रह आयेंगे लेकिन " साँझी छत" हमेशा उनके दिल के सबसे करीब रहेगा। लेखिका छाया सिंह का प्रथम कहानी संग्रह "साँझी छत" गत वर्ष नवम्बर में प्रकाशित हुआ। जिसने राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की है।

आनंद किशोर' मंजुल' ने कहा कि कथाकार छाया सिंह बिम्ब रचना, नारी मनःस्थिति को उकेरने वाली कथाएं रचने में, बुन्देलखण्ड का नाम स्थापित करने में व महान साहित्यिक योगदान देने के लिये भविष्य में याद रखी जायेंगी। डॉ. भानु प्रताप सिंह ' भानु' ने कहा कि कहानीकार छाया सिंह हिन्दी जगत की सशक्त कथाकार हैं। इनकी कहानियों में नारी संवेदना का यथार्थ चित्रण हुआ है।वनमाला चौहान ( संरक्षक आदर्श शिक्षा निकेतन) ने कहा कि छाया सिंह की कहानियां ह्रदय स्पर्शी हैं। भाषा बहुत सरल, सहज है। बहुत अच्छी कहानियां हैं। 

राहुल जैन (योग गुरू एवं मोटिवेशनल स्पीकर ) ने कहा कि  संग्रह की सभी कहानियां दिल को छू लेने वाली हैं। समाज को राह दिखाने वाली हैं। डॉ. भानु प्रताप भटनागर ने कहा कि छाया सिंह की कहानियां बहुत सरल सहज और संदेशों से परिपूर्ण हैं। सौदा, साथी जैसी कहानियां बेहद सुंदर हैं। समाज की कुरीतियों, समस्याओं का छाया ने समाधान भी प्रस्तुत किया है।सावित्री सिंह सिसौदिया ( राष्ट्रीय अध्यक्ष, वीरांगना ठाकुर महासभा) ने कहा छाया सिंन ने कम उम्र में शादी होने के बाद परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच अपने अंदर के कहानीकार को जिंदा रखा और 23 कहानियों का शानदार संग्रह हमारे सामने है। 

रजनी गुप्ता( संचालिका प्रभुता फाउंडेशन) ने कहा कि छाया सिंह की हमारे बीच की कहानियां हैं जिसमें हम अपने आस पास के वातावरण को देखते हैं। राजेन्द्र सिंह एडवोकेट ने कहा कि हम लोग ही कहानियों के सबले पहले श्रोता हैं और आपस में चर्चा के बाद कहानी अपने स्वरूप में आती है। केदार न्यास के सचिव नरेन्द्र पुण्डरीक ने कहा छाया सिंह की कहानियों में अभूतपूर्व बिम्ब दिखाई देते हैं जैसे 'साँझी छत " कहानी के प्रारंभ में हमने देखा। 

छाया सिंह के कहानी संग्रह पर अभूतपूर्व परिचर्चा का आयोजन हुआ। उन्होंने न्यास की ओर से सभी बुद्धि जीवियों का आभार व्यक्त किया। गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने  कहा कि छाया सिंह समकालीन प्रगतिशील कथा शिल्पियों में चर्चित एवं प्रशंसित हैं। उनकी कहानियां, परिवार, समाज और समय को जीवंत करती हैं। उनके समुज्जवल जीवन की हार्दिक ललित शुभकामनाएं । 

प्रशान्त चौहान ने कहा कि युवाओं के लिये 'साँझी छत " की कहानियां प्रेरणा देने वाली हैं। सभी को" साँझी छत " की कहानियां पढ़नी चाहिये। छाया सिंह के पुत्र प्रांजल ने कहा कि माँ की कहानियां सबसे पहले हम लोग ही सुनते हैं। माँ की कहानियों में मेरा कोना, बनफूल, बैण्ड वाला, साझे का पेड़ मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं। माँ की कहानियां से हम बहुत कुछ सीखते हैं। कार्यक्रम का संचालन आनंद देव लाल ने किया कार्यक्रम के अंत में न्यास के सचिव नरेन्द्र पुण्डरीक ने सभी का आभार व्यक्त किया। संग्रह की सभी 23 कहानियों की भूरि भूरि प्रशंसा सभी बुद्धिजीवियों  ने की और लेखिका के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।



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