संजय कुमार तिवारी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में जैसे जैसे विधान सभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, यूपी की क्षेत्रीय पार्टियों के अंदर ब्राह्मण समाज के प्रति आस्था तथा प्रेम उनके अंदर उफान मार रहा है। लेकिन क्या यह ब्राह्मण प्रेम सिर्फ और सिर्फ चुनावी फंडा नहीं है जो पार्टियां आज तक कभी भी ब्राह्मण समाज के कल्याण या उसके उत्थान के लिए सत्ता पक्ष में रहते हुये भी कभी कुछ न किया था और न ही योगी सरकार के शासन में कभी ब्राह्मण समाज के लिए कोई आवाज उठाई फिर एकाएक इनके अंदर इतनी करुणामयी ममता कहा से जग गयी है।
उत्तर प्रदेश मे ब्राह्मण समाज पर सिर्फ चार सालो से अत्याचार नही हो रहा बल्कि यह सिलसिला बहुत ही पूराना है। जब उत्तर प्रदेश मे बसपा की सरकार थी उस समय भी ब्राह्मण की हत्याओं तथा फर्जी तरीके से हरिजन एक्ट की बाढ़ आ गयी थी पता नही कितने सवर्ण समाज के युवाओं को फर्जी मुकदमें में फंसा कर उनका भविष्य ही खत्म कर दिया गया था। वही हाल सपा सरकार बनने पर अखिलेश यादव के नेतृत्व में भी हुआ।
अखिलेश यादव को तो हकीकत में ब्राह्मण समाज से इतनी नफरत है कि वो तो अपनें पार्टी संगठन में कोई पद भी ब्राह्मण को नही देना चाहते हैं फिर ये कैसा ब्राह्मण प्रेम है जो कि ये दोनों पार्टियों के मुखिया भुनाने में लगे हुए हैं, इनका असली मकसद तो सिर्फ सत्ता की लालच है क्योंकि इनको पता है बीते दिनों योगी सरकार मे जिस तरह से ब्राह्मण जाति के लोगों पर अत्याचार हुये हैं तथा पार्टी के अंदर भी ब्राह्मण समाज के नेताओं को अहम् जिम्मेदारी से दूर रखा गया इसी कारण कुछ असंतुष्ट जरूर है।
और ये दोनो पार्टियाँ इसी बात का फायदा उठाकर भाजपा का सबसे बड़ा वोट बैंक को खिशकाने के प्रयास में है। फिलहाल ये तो समय ही बताएगा कि ब्राह्मण समाज किस तरफ भरोषा रखेगा लेकिन यह बात तय है कि ब्राह्मण समाज हमेशा छला गया ठगा गया जाता रहा है।
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