किसी अमृत से कम नहीं बच्चों के लिये मां का दूध

बांदा। कोरोना संक्रमण के समय मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं है। प्रसव के तुरंत बाद ही प्रत्येक मां का दायित्व है कि वह अपने नवजात शिशु को तत्काल ही स्तनपान कराएं। विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर जिला महिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डा. एचएन सिंह के इलाज के साथ उनके माता-पिता को यह सुझाव दे रहे हैं। डा. सिंह का कहना है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में बच्चों और अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है। हालांकि यह भी देखने में आ रहा है कि बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर बेहद कम है और बच्चे ज्यादा तेजी के साथ स्वस्थ  हो रहे हैं। इसका बड़ा कारण बच्चों को मां के दूध से मिलने वाला पोषण है, जो उनके प्रतिरोधक शक्ति  को मजबूत करता है। बाल रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि मां के दूध में फैट, शुगर, पानी और प्रोटीन की सही मात्रा होती है, जो शिशु की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। 

इसलिए कोरोना संक्रमण से नवजातों के बचाव के लिए मां का दूध काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। मां के दूध में वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रचुर मात्रा में एंटीबॉडीज होती है। यह एंटीबॉडीज वायरस या बैक्टीरिया को नाक, गले और आंतों में नहीं पहुंचने देतीं। मां के दूध में मौजूद मेक्रोफेज, लाइसोजाइम के साथ ही कॉम्पलिमेंट मौजूद होते हैं। इन सभी गुणों के कारण मां का दूध शिशु का प्रथम टीकाकरण भी माना जाता है। माताएं अपने शिशु को छह माह तक सिर्फ अपना दूध पिलाएं। कोई भी पैक्ड खाद्य व पेय पदार्थ न दें।  मां का दूध बच्चों के शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका  निभाता है। इससे बच्चे की इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग होती है, जो बड़े होने तक उसका साथ निभाती है। बच्चे के पैदा होने के बाद कोलोस्ट्रम, जो मां का पहला दूध बनता है। वही दूध बच्चे को डायरिया, चेस्ट इन्फेक्शन और दूसरे रोगों से बचाता है। मां के दूध में फैटी एसिड मौजूद होता है, जो बच्चे के मानसिक विकास में भी मददगार साबित होता है।


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