रुद्राभिषेक से होते हैं अनेकों लाभ

राजेश शास्त्री, संवाददाता

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा। रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है जो की इस प्रकार से हैं।

रुद्राभिषेक कैसे करें?

जल से अभिषेक

  • हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
  • शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।

दूध से अभिषेक

  • शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें।
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।

फलों का रस

  • अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।

सरसों के तेल से अभिषेक

  • ग्रह बाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।

चने की दाल

  • किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करेत हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें।
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।

काले तिल से अभिषेक

  • तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए -ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें।
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।

शहद मिश्रित गंगा जल

  • संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें।
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।

घी व शहद

  • रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
  • ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए- रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक करते हुए - ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा” का जाप करें
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।

कुमकुम केसर हल्दी

  • आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
  • ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
  • पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
  • पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’।
  • फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
  • अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’।
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।

किसी कामना, ग्रहशांति आदि के लिए किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव निवास का विचार करने पर ही अनुष्ठान सफल होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। प्रत्येक मास की तिथियों के अनुसार जब शिव निवास गौरी पार्श्व में, कैलाश पर्वत पर, नंदी की सवारी एवं ज्ञान वेला में होता है तो रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि, परिवार में आनंद मंगल और अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है।

"परन्तु शिव वास श्मशान, सभा अथवा क्रीड़ा में हो तो उन तिथियों में शिवार्चन करने से महा विपत्ति, संतान कष्ट व पीड़ादायक होता है।" किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है । परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध से विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।

तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है। किन्तु यदि पारद, स्फटिक, नर्मदेश्वर, अथवा पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है। 

  • रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।
  • जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
  • असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।

दध्ना च पशु कामाय श्रिया इक्षु रसेन च । 
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थ वारिणः ।।

  • भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
  • धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
  • तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
  • रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
  • ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
  • सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
  • प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
  • शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
  • सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
  • शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
  • पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
  • गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
  • पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।




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