बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कुपोषण के प्रभावित : सह निदेशक



पोषण वाटिका महाभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

बांदा। कृषि विज्ञान केन्द्र, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा एवं इफको के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को अर्न्तराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के परिपेक्ष्य में पोषण वाटिका महाभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का भव्य आयोजन उद्यान महाविद्यालय के कान्फ्रेन्स हॉल में किया गया। जिसका उद्देश्य कृषकों, महिला कृषकों/कन्याओं को पोषक अनाजों व टिकाऊ खेती हेतु वृक्षारोपण के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डा0 यू0एस0 गौतम द्वारा की गई तथा मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री बलराम सिंह कछवाहा सदस्य, प्रबन्ध समिति अटारी, कानपुर रहे। इस कार्यक्रम में अधिष्ठाता कृषि, अधिष्ठाता उद्यान, अधिष्ठाता वानिकी एवं सह अधिष्ठाता गृह विज्ञान आदि उपस्थित रहें। डा0 श्याम सिंह, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र बाँदा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। तदोपरान्त केन्द्र की वैज्ञानिक डा0 प्रज्ञा ओझा ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य से सभी को अवगत कराया। 

विश्वविद्यालय के सह निदेशक प्रसार डा0 नरेन्द्र सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र कुपोषण से प्रभावित है, उन्होंने कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिये स्थानीय पोषक अनाज जैसे बाजरा, जौ, ज्वार, मोटे अनाज के उपयोग पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील सिंह पटेल ने अपने उद्बोधन में बुन्देलखण्ड की पुरानी संस्कृति, परम्परागत भोज्य पदार्थां को सजोंकर रखने के लिये सभी का आवाह्न किया साथ ही मोटे अनाज, चना एवं गेंहू का आटा, कठिया गेंहू आदि का सेवन करने के लिये प्रेरित किया। श्री बलराम कछवाहा सदस्य, प्रबन्ध समिति अटारी, कानपुर ने अपने उद्बोधन में पोषक अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये सभी कृषकों को प्रेरित किया और कहा कि इससे दुगना लाभ होगा ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा0 यू0एस0 गौतम, मा0 कुलपति महोदय, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा ने कहा कि बुन्देलखण्ड में नवयुवकों एवं नवयुवतियों में खून की कमी की विकट समस्या है इसके समाधान हेतु दैनिक आहार में गुड, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, करौंदा, चुकन्दर, को शामिल करने लिये कहा। उन्होंने कहा कि मिलावटखोरी की वजह से पोषण युक्त अनाज, सब्जी दूध आदि प्राप्त नही हो पाते है इसलिये हमें अपने घर पर ही सब्जी उगाकर परिवार के पोषण का ध्यान रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की आगामी कार्ययोजना में स्टार्टअप इंण्डिया के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह/कृषक उत्पादक संगठन को जोड़कर मोटै अनाजों का उत्पादन, प्रसंसकरण एवं विपरण कराने की योजना है। उन्होंने  कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं से आवाह्न किया कि वे उच्च शिक्षा के लिये कृषि में स्नातक करें। 

इस कार्यक्रम में चार तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें डा0 सौरभ, ने मानव स्वास्थ्य में पौष्टिक खाद्यान की भूमिका व महत्व, डा0 भालेन्द्र सिंह राजपूत, टिकाऊ खेती हेतु वृक्षारोपण की भूमिका, डा0 दीप्ती भार्गव, महिला अध्ययन केन्द्र का परिचय एवं डा0 जी0एस0 पवार, मोटे अनाजों का महत्व एवं उपयोगिता के विषय पर विस्तृत चर्चा की। मोटे अनाज को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बढ़ावा देने के उद्देश्य से केवीके, बाँदा द्वारा बाजरे का मूल्यवर्धन व प्रसंस्करण कर लड्उू तैयार किये गये जिसका विमोचन भी माननीय अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों को पोषण वाटिका किट, जामुन, नीबू एवं करौंदे की 1000 पौध का वितरण भी किया गया।  इस कार्यक्रम में 40 कृषक 50 महिला कृषकों एवं 75 कन्याओं समेंत कुल 200 लोगों ने प्रतिभाग किया। डा0 मंजुल पाण्डेय ने सभी सम्मानित अथितिगण, कृषकों, महिला कृषकों/कन्याओं  तथा विभिन्न विभागों से आये हुये अधिकारी एवं कर्मचारियों को कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 सौरभ द्वारा किया गया।

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