देश की संपत्ति को अपना समझो, हड़ताल, तोड़फोड़, आगजनी, हिंसा-हत्या मत करो : सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज

सीकर। सभी देशवासियों में देशभक्ति और परोपकार की भावना भरने वाले, आध्यात्मिक शिक्षा देने के साथ-साथ रूहानी दौलत देने वाले समय के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 15 अगस्त 2021 को सीकर, राजस्थान में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सतसंग में बताया की यह देश आपका अपना देश है। इसकी संपत्ति को अपना समझो। 

जातिवाद, भाई-भतीजावाद, भाषावाद और निंदा-बुराई किसी की मत करो। कुछ नहीं। किसी के चक्कर में मत पडो आप। आपका रास्ता अब आध्यात्मिक रास्ता है। इस पर चलो और आध्यात्मिक तरीके से लोगों को मोड़ो। आध्यात्मिक शक्ति ला करके अपनी वाणी में शक्ति लाओ कि जिससे लोग प्रभावित हो जाएं। अब आप इस काम को करो।

यह अपना ही राष्ट्र है, इसकी संपत्ति को नुकसान करोगे तो आगे आपको ही देना पड़ेगा

देखो राष्ट्र को अपना समझो, अपना मानो। इसको और इस देश की संपत्ति को अपनी संपत्ति समझो। यहां अगर आप कोई नुकसान करोगे, आपकी वजह से हड़ताल, तोड़फोड़, आगजनी से अगर नुकसान होता है तो आपका ही नुकसान होगा, आपको ही भरना पड़ेगा, टैक्स के रूप में, किसी न किसी रूप में। अपनी मेहनत की कमाई इधर देनी ही पड़ेगी। मजबूरन दोगे, ऐसा नियम बन जाएगा कि देना ही देना पड़ेगा।

इमरजेंसी में आपकी संपत्ति आपकी नहीं रह जायेगी

आप यह समझो, न तो बैंक का रुपया पैसा आपका रह जाएगा न देश की खराब स्थिति में आप की जमीन रह जाएगी। आपके तो नाम है लेकिन है तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की, भारत सरकार की है। अभी लड़ाई-झगड़ा हो जाए, आपकी वजह से दंगा हो जाए, बर्बाद हो जाए, पैसे की कमी हो जाए तो जो रुपया आप रखे हो बैंक में, सरकार कहेगी एफडी को बढ़ा लो, अभी नहीं मिल पाएगा। 

कागज का टुकड़ा लिए रहो, कहीं कोई काम नहीं आवेगा। वो लोग यह कह देंगे कि भाई अभी नहीं मिलेगा, बाद में मिलेगा। तो क्या करोगे? जमीन पर कब्जा कर ले अभी और कह दे कि यहां कल-कारखाना बनेगा। तो यह सारी चीजें जहां पर आप रहते हो, राष्ट्र की हैं। राष्ट्र का ऐसा नियम है। संविधान ऐसा भारत का बन गया, ऐसा काल का ये देश में कि काल ने ऐसा जाल फसाया कि बड़े-बड़े इसी में फंसे पड़े हैं।

अंग्रेजों के कानूनों में परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि समय बदल गया है

अभी बहुत कुछ नियम और कानून तब का चल रहा है जब अंग्रेज गए थे। तब की परिस्थिति में और अब की परिस्थिति में बहुत अंतर है। देखो हम किसी जाति-धर्म-संविधान-धार्मिक ग्रंथ-व्यक्ति की, किसी की निंदा नहीं करते हैं। लेकिन जो नियम-कानून कहता है उसके अनुसार संविधान में परिवर्तन-बदलाव ला दो। तो यह कहना कोई अपराध नहीं है। और आप यह समझो बदलाव तो करते रहना चाहिए। रोटी बनाते हो, रोटी को पलटोगे नहीं तो जल जाएगी कि नहीं? खाने लायक रह जाएगी? तो बदलाव तो जरूरी होता है।

अपने स्तर पर तिफरकेबाजी को खत्म करने का प्रयास करो

तो खैर आप तो उस काम को नहीं कर सकते हो। उसमें तो आप न फंसो। आपने अपने अधिकार को उनको दे दिया कि जिसके नाम के आगे आप ने चुनाव में बटन दबा दिया। इसको तो ये लोग करेंगे लेकिन आप अपनी तरफ से यह तिफरकेबाजी जो है, जितनी मिटा सको, उतनी मिटाओ।



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