👉भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस लंबे सफर में देश ने एक नया मील का पत्थर हासिल किया
👉परियोजना से न केवल धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य पैदा होगा
👉नई इमारत का परिसर कमी की अवस्था से वर्तमान सरकार के तहत आत्मनिर्भरता तक की यात्रा का प्रतीक है क्योंकि भारत खाद्यान्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बन गया है
नई दिल्ली/पीआईवी। नवरात्रि के शुभ अवसर पर नई दिल्ली में केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि बेहतर और किफायती परिणामों के लिए न केवल कार्य में बल्कि कार्यस्थलों पर भी जानकारी के आदान-प्रदान की आवश्यकता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के लिए प्रौद्योगिकी भवन परिसर में निर्मित नए अत्याधुनिक भवन का उद्घाटन करते हुए जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस लंबे सफर में देश ने एक नया मील का पत्थर हासिल किया है। उद्घाटन समारोह में डीएसटी और डीबीटी में सचिव डॉ. रेणु स्वरूप, डीएसआईआर सचिव और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर मंडे, डीएसटी में पूर्व सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा, डीएसटी में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता; एएस और एफए विश्वजीत सहाय, डीएसटी में संयुक्त सचिव डॉ. अंजू भल्ला और डीएसटी और डीएसआईआर के अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की प्रधानमंत्री की परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी देश में केन्द्रीय सचिवालय नहीं है और विभिन्न मंत्रालयों ने परिसर किराए पर ले रखे हैं और इसके लिए हजारों करोड़ रुपये किराया दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न केवल धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासन और उत्पादन में बेहतर सामंजस्य पैदा होगा। इसी तरह, उन्होंने कल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए तालमेल के एक सुंदर उदाहरण गतिशक्ति कार्यक्रम का उदाहरण दिया क्योंकि इस पहल से बुनियादी ढांचे से संबंधित 16 केन्द्रीय विभाग एक ही मंच पर आ जाएंगे। यह बात याद दिलाते हुए कि डीएसटी के कब्जे वाले भवनों को मूल रूप से पीएल-480 "सार्वजनिक कानून- 480" के तहत यूएसऐड द्वारा आयातित खाद्यान्न के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले गोदामों के रूप में बनाया गया था, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि नई इमारत का परिसर कमी की अवस्था से वर्तमान सरकार के तहत आत्मनिर्भरता तक की यात्रा का प्रतीक है क्योंकि भारत खाद्यान्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर बन गया है, बल्कि प्रमुख निर्यातक देशों में से एक के रूप में भी उभरा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, हमारे पास 60 और 70 के दशकों में प्रख्यात वैज्ञानिक और दिग्गज हस्तियां थीं, लेकिन उनके पास अब बन रही विश्वस्तरीय सुविधाओं का अभाव था। उन्होंने योजनाकारों और वास्तुकारों से कहा कि वे भारत की प्रकृति और इसके वैज्ञानिक कौशल को प्रदर्शित करने के लिए परिसर में खुली जगह का उपयोग करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अत्याधुनिक सुविधाओं के माध्यम से युवा स्टार्ट-अप की आवश्यकताओं का ध्यान रखें और उन तक पहुंचें। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि नई इमारत में डीएसटी, डीएसआईआर और दिल्ली में स्थित डीएसटी के अंतर्गत आने वाले पांच स्वायत्तशासी संस्थान यानी साइंस इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी), टेक्नोलॉजी इन्फॉरमेशन फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टीआईएफएसी), टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी), विज्ञान प्रसार, इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आईएनएई) को भी समायोजित किया जाएगा क्योंकि ये किराए के परिसर से काम कर रहे हैं।
पूरा होने पर नए परिसर में 35,576 वर्ग मीटर का एक निर्मित क्षेत्र होगा, जिसमें शहरी विकास कार्य मंत्रालय के अधिकृत मानदंडों के तहत दो नए ऑफिस ब्लॉक, 500 सीटों वाला एक सभागार, कैंटीन, स्वागत कक्ष, सीआईएसएफ ब्लॉक (कार्यालय और अकेले रहने के लिए), डाकघर, बैंक और अन्य सुविधाएं होंगी। इमारतों को आईजीबीसी, यूएसजीबीसी और गृह मानकों के अनुसार ग्रीन रेटिंग हासिल करने के लक्ष्य से बनाया गया है। अत्याधुनिक इमारतें अपनी प्रकाश आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा; एक भवन प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस), बागवानी और अन्य उद्देश्यों के लिए पुन: चक्रित पानी का उपयोग करने के लिए एक एसटीपी, 500 की क्षमता वाले एक अत्याधुनिक सभागार; 400 वाहनों के लिए बेसमेंट पार्किंग की जगह; बिजली की खपत को कम करने के लिए एलईडी लाइटिंग सिस्टम का उपयोग करने का लक्ष्य लेकर तैयार की गई हैं।
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