विद्यालय के कायाकल्प पर खर्च हुआ दो लाख, काम ऊंट के मुंह में जीरा

विद्यालय के कायाकल्प पर खर्च हुआ दो लाख, काम ऊंट के मुंह में जीरा

  • ऐसे हुआ ग्राम पंचायत परसा बुजुर्ग का खाऊ कमाऊ विकास कार्य

 राजेश शास्त्री, संवाददाता 

सिद्धार्थनगर। जनपद सिद्धार्थनगर के इटवा विकास खंड अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत परसा बुजुर्ग में विकास कार्य के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया है। लेकिन गांव में खाऊ कमाऊ विकास ही दिखाई पड़ रहा है। प्राथमिक विद्यालय के कायाकल्प पर दो लाख रू. से अधिक खर्च किया गया है। लेकिन काम ऊंट के मुंह में जीरा दिखाई पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत परसा बुजुर्ग में विभिन्न मदों में कुल मिलाकर रू. 378705 विकास कार्य के नाम पर खर्च किया गया है। जिसमें सबसे अधिक धन प्राथमिक विद्यालय परसा बुजुर्ग के कायाकल्प पर 209669 रुपया खर्च हुआ है। विद्यालय के दो कमरा, एक बरामदा, ऑफिस में मात्र टाइल्स लगाया गया है।

मूत्रालय, रसोईघर का काम अधूरा पड़ा है। पुरानी बनी रसोईघर में भी धन बचाने के लिए पुराने प्लास्टर को खुर्च कर छोड दिया गया है। एक तरफ पुरानी टांडी बनी थी। एक तरफ नया टांडी बनाया गया है। फिर भी रसोई घर का काम अधूरा है। बच्चों का भोजन वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में आंगनबाड़ी के भवन में बनाया जाता है। शौचालय की भी स्थिति खराब है। निष्प्रयोज्य होने के कारण बच्चे शौच के लिए बाहर जाते हैं। मूत्रालय अधूरा होने के कारण बच्चे लघुशंका के लिए बाहर जाते हैं। सूत्रों द्वारा बताया गया कि विद्यालय का गेट, बाउंड्रीवाल, इसकी रंगाई पुताई और इंटर लॉकिंग का काम पूर्व प्रधान द्वारा कराया गया है। इसके अलावा विद्यालय के भवन पर जो रंगाई पुताई हुई है। वह विद्यालय के बजट से किया गया है। 

 

अब सवाल यह खड़ा होता है कि 209669 रूपया कायाकल्प करने के लिए खर्च करके काम को अधूरा रखा गया है, कि बजट की कमी को बता कर और भी धन का भुगतान कराया जाएगा। संभवत ऐसा हो सकता है कि पूर्व प्रधान द्वारा कराए गए कार्य को भी इसमें जोड़ लिया गया होगा। जो जांच का विषय है। सिर्फ 209669 खर्च होने पर दो कमरा, एक बरामदा और एक ऑफिस में टाइल्स लगाया जाना सवालिया निशान खड़ा करता है। अधिक धन खर्च करके थोड़ा काम करना ऊंट के मुंह में जीरा की तरह दिख रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जो धन खर्च किया गया है, उसमें पारदर्शिता नहीं है और भ्रष्टाचार की दुर्गंध आ रही है। 

सोमवार को गांव में ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गांव में दवा का छिड़काव नहीं हुआ है। हां अक्टूबर माह में गांव में ड्रोन से घरौनी बनाने का कार्य हुआ था। इसके लिए सड़क के दोनों पटरियों पर चूना डालकर निशान लगाया गया था। इसके अलावा गांव में चूना, दवा आदि का छिड़काव होते नहीं दिखा है। गांव में कुछ नलों का मरम्मत हुआ है। नल रिबोर नहीं कराया गया है। जबकि हैंडपंप मरम्मत के लिए 31 जुलाई को रू. 45240 तथा 27 अक्टूबर को रू. 44800 निकाला गया है। 

इसके अलावा 21 अक्टूबर को रू. 25500 दवा छिड़काव के लिए भी निकाला गया है। इस तरह से गांव के विकास के लिए आंख बंद करके सरकारी धन को निकाल लिया गया। लेकिन गांव के विकास के लिए निकाले गए धन के सापेक्ष विकास कार्य नहीं कराया गया। ऐसा लगता है कि सचिव और ग्राम प्रधान ने मिलकर आधा तिसरी कार्य करके सरकारी धन को डकार लिया है।  इस संबंध में ग्राम प्रधान सलीम ने बताया कि का नल का मरम्मत कराया गया है। कुछ नल बाकी है। कुछ नल को रिबोर भी कराना है। गांव में दवा और चूना का छिड़काव बहुत पहले हुआ था अब इधर कराना है। विद्यालय के कायाकल्प के विषय में पूछने पर बताया कि अभी कुछ काम अधूरा है। इसे जल्दी पूरा करा दिया जाएगा।

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