- समय पर इलाज व उचित खानपान से ठीक हुआ रोग
- बुंदेलखण्ड में अंधविश्वास की भेंट चढ़ा सूखा रोग
- ग्रामीण क्षेत्रों में इसे मिला है दैवीय रोग का दर्जा
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बांदा। बच्चों में विटीमिन डी की कमी से होने वाला सूखा रोग (रिकेट्स) बुंदेलखंड में अंधविश्वास की भेंट चढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस दैवीय मानकर लोग ओझा के चक्कर में फंस जाते हैं। नतीजे में बच्चों को कोई न कोई विकृति के साथ ही जीना पड़ता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि समय पर इलाज और उचित खानपान से यह रोग ठीक जाता है। वहीं सूखा रोग को मात देकर कुछ बच्चों की जिंदगी गुलजार हो गई है।
शहर से 25 किलोमीटर की दूरी में बसे अजीत पारा गांव में कई परिवारों के बच्चे इसकी बानगी हैं। गांव के रहने वाले फूलचंद्र बताते हैं कि वह दिल्ली में रहकर मजदूरी करता है। उसके तीन बेटिया हैं। कोरोना महामारी के चलते उसका काम बंद हो गया। वह यहां अपने गांव लौट आया। छह माह पूर्व उसकी दो वर्षीय बेटी उमा बीमार हो गई। दिन ब दिन उसकी सेहत और वजन कम होने लगा। कुछ रिश्तेदारों ने सूखा रोग होने की बात बताई और पड़ोसी गांव सहेवा में ओझा के पास ले गए। ओझा ने बेटी की झाड़फूंक की। लेकिन बेटी का वजन 8 किलो से घटकर चार किलो ही रह गया।
गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुसमा देवी ने उमा को बांदा में जिला अस्पताल में बने एनआरसी में भर्ती कराया। 14 दिन वहां रहने के बाद बेटी की सेहत में सुधार आया। अब उसकी बेटी का वजन 9 किलो हो गया। इसी तरह गांव की अंजू बताती हैं कि सात माह पहले उसके जुड़वां बच्चे बेटी व बेटा सामान्य प्रसव से हुए। जन्म के समय बच्चों (अंजलि व अमन) का वजन दो किलोग्राम से भी कम था। रिश्तेदारों ने इसे दैवीय रोग बताकर ओझा को दिखाने की सलाह दी। उनकी सलाह पर बच्चों को ओझा को दिखवाया। लेकिन पांच महीने बाद भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। गांव में आई स्वास्थ्य टीम ने इसे सूखा रोग बताया और एनआरसी में भर्ती करवाया। 14 दिन वहां बच्चों को भर्ती रखा। अब उसके दोनों बच्चे स्वस्थ्य हैं।
विटीमिन डी व कैल्शियम की कमी से होता है सूखा रोग
जिला महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. एचएन सिंह का कहना है कि बुंदेलखंड में कुछ बीमारियों को अंधविश्वास के चलते दैवीय रोग का दर्जा मिला हुआ है। इसमें बच्चों में होने वाला सूखा रोग सबसे अहम है। इसे रिकेट्स कहते हैं। इसमें हड्डियां नरम और भंगुर हो जाती हैं। इस बीमारी के सबसे सामान्य कारणों में विटामिन डी की कमी और बच्चों द्वारा कैल्शियम का कम सेवन है। दूसरे शब्दों में कुपोषण हड्डियों की क्षति में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। वह बताते हैं कि जेनेटिक स्थितियां भी इस बीमारी का एक कारण हो सकती हैं। इस बीमारी की वजह से शरीर में विकृति भी होती है।
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