सग़ीर ए ख़ाकसार
पचपेड़वा, बलरामपुर। छात्र छात्राओं के चतुर्मुखी विकास,व्यक्तित्व विकास और बौद्धिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ये ज़रूरी है कि वो राष्ट्रनायकों, युग पुरुषों के जीवन और उनके संघर्षों से परिचित हों, वो उनके सिद्धांतों, एवं आदर्शों को आत्मसात करके सफलता के नए नए कीर्तिमान बना सकते हैं। इसी उद्देश्य के तहत बलरामपुर जिले के पचपेड़वा स्थित जे.एस.आई. स्कूल में हर शनिवार को एक नए श्रृंखला की शुरुआत की गई है।जिसके तहत युग पुरुषों और महानायकों के जीवन से बच्चों को रूबरू कराया जाता है। इस शनिवार 13 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानी व देश के पहले शिक्षा मंत्री भारत रत्न अबुल कलाम आजाद के जीवन से जुड़े रोचक व प्रेरक प्रसंगों से अवगत कराया गया।
जे.एस.आई. स्कूल के फाउंडर मैनेजर सग़ीर ए खाकसार ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि मौलाना आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था।वो देश विभाजन के ख़िलाफ़ थे। हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। उन्होंने अलब्लॉगः और अल हलाल पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया था।वो कई भाषाओं के जानकार थे।ख़ाकसार ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद वो देश के पहले शिक्षा मंत्री बने और उन्होंने देश को आधुनिक विकसित बनाने के उद्देश्य से आई आई टी ,आई बी एम,यू जी सी, साहित्य कला एकेडमी आदि की स्थापना की थी। सग़ीर ए ख़ाकसार ने कहा कि मौलाना आज़ाद बचपन से पढ़ने लिखने में मेधावी थे जब वो महज़ 12 साल के थे उस वक़्त अपने से दोगुनी उम्र के लोगों को पढ़ाया करते थे। किशोरावस्था में ही उन्होंने अपनी व्यक्तिगत लाईब्रेरी बना ली थी और उनके लेख पत्र पत्रिकाओं में छपने लगे थे।
ख़ाकसार ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन आदर्श समाज की स्थापना और आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया।अध्यापिका साजिदा खान ने मौलाना आज़ाद को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया। साजिदा ने मौलाना आज़ाद से जुड़े रोचक व प्रेरणादायी संदर्भों से छात्र छात्राओं को अवगत कराया। उन्होंने उनके जीवन से जुड़े कई प्रसंगों को बच्चों के समक्ष रखा जिससे बच्चे अभिभूत हो गए। उनके जीवन के कड़े संघर्षों और प्रेरक प्रसंगों को सुनकर बच्चे में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार हुआ। कक्षा सात में पढ़ने वाले छात्र आदित्या सिंह और छात्रा सना शमीम इस नई श्रृंखला से बहुत उत्साहित दिखे।
वहीं कक्षा छह के छात्र आसिफ रईस ने कहा कि हमें महान लोगों के जीवन के संघर्षों से सीख लेकर आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए। इसी तरह देवेश मिश्रा, स्तुति चौरसिया, साक्षी पांडेय, हिमेश राज चौधरी, साक्षी यादव, अफ़रोज़ खान, निकहत खान, निशा चौरसिया, आयुष पांडेय आदि बच्चों ने इसे प्रेरणा दायी बताया। इस अवसर पर रवि प्रकाश श्रीवास्तव, मुदस्सिर अंसारी, अलका श्रीवास्तव, मौलाना सईदुल कादरी, किशन श्रीवास्तव, साजिदा खान, राजेश यादव, किशोर श्रीवास्तव, अंजुम सफिया, फरहान खान, शमा, नाज़नीन फातिमा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
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