‘मंत्री हो या दरबान, शिक्षा होगी एक समान’


  • उ.प्र. माध्यमिक शिक्षक संघ का आयोजित हुआ मंडलीय सम्मेलन
  • शिक्षा के गिरते स्तर को ऊंचे उठाने पर दिया गया बल

बांदा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चित्रकूट धाम मंडल बांदा के द्वारा आयोजित मंडलीय सम्मेलन एवं शैक्षिक विचार गोष्ठी में शिक्षा एवं शिक्षकों के समक्ष चुनौतियां पर अपने विचार प्रकट करते हुए  संघ के प्रांतीय महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने कहा कि आजादी के बाद से सरकारों ने शिक्षा आयोगों का गठन किया किंतु शिक्षा का स्तर लगातार गिरता रहा शिक्षा का कार्य बच्चों में अंतर्निहित गुणों को विकसित कर अच्छा मनुष्य एवं नागरिक बनाना है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि शिक्षा का उद्देश्य मानसिक और आध्यात्मिक विकास होना चाहिए सभी आयोगों ने शिक्षा के राष्ट्रीयकरण की अनुशंसा की है, जन लोकप्रिय नेता डाक्टर लोहिया ने नारा दिया था, मंत्री हो या दरबान, शिक्षा होगी एक समान, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शिक्षा दर्शन भी मानव केंद्रित और रोजगार केंद्रित शिक्षा की तरफ इशारा करता है जिसमें कहा गया है कि सरकार को संपूर्ण शिक्षा का व्ययभार उठाना चाहिए राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1964 -66 जिसे कोठारी आयोग भी कहा जाता है भारत के संसद द्वारा पारित सर्वात्कृष्ट रिपोर्ट है वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार किया गया किंतु जब धन की बात आई तो वहां मौन धारण कर लिया गया सरकार ने कहा कि प्राइमरी से लेकर इंटर तक की शिक्षा का व्ययभार सार्वजनिक परोपकारी भागीदारी, के द्वारा धन की व्यवस्था की जाएगी उच्च शिक्षा देशी व विदेशी पूंजी निवेश के लिए खुला रहेगा यही कारण है कि लगातार किसी क्षेत्र में सही मानव संसाधन का सर्वथा अभाव है चाहे वह प्रशासनिक हो या राजनीतिक ,मानव प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं शिक्षा रूपी द्रोपदी का चीर हरण देश का नौकरशाह दु.शासन कर रहा है इसकी अनुमति दुर्याधन रूपी राजसत्ता ने दे रखी है भीष्म और द्रोणाचार्य की तरह इस देश का चालक और राजसत्ता का दलाल बुद्धिजीवी मौन होकर देख रहा है पांचों पाण्डव की भूमिका में इस देश के शिक्षक संगठन और उसके नेता हैं कणृ की भूमिका में सत्ता के अंधभक्त हैं यदि शिक्षा के चीरहरण को नहीं रोका गया तो महाविनाश निश्चित है।

इस विनाश को कृष्ण जैसा महारथी भी नहीं रोक पाएगा क्योंकि उस महाभारत से आम जनता का कुछ लेना-देना नहीं था आज शिक्षा को राष्ट्रीयकरण बनाने और कोठारी कमीशन को हूबहू लागू करने के लिए जन आंदोलन खडा करना पड़ेगा, जनता और युवा वर्ग को जगाना पड़ेगा, तभी शिक्षा क्रांति अभियान आएगा एक वर्ग ऐसा है जो अछूता है वह शिक्षकों का एक बहुत बड़ा वर्ग है उसकी बहुत बड़ी ताकत यह है कि देश के आने वाली पीढ़ी उसके हाथों में है इससे पहले कि नई युवा पीढ़ी बिगड़े, वह नई पीढ़ी को दिशा दे सकता है, बोध दे सकता है, जिंदगी को बदलने के नए सूत्र दे सकता है ,हर 20 वर्ष में पुरानी पीढ़ी हटकर नई पीढ़ी अपना स्थान बना लेती है हजारों साल के कचरे को 20 साल में सिर्फ शिक्षक ही साफ कर सकता है ओशो ने कहा था कि यदि शिक्षक का निहित स्वार्थ हो जाए तो समझो कि गंगा के गंगोत्री में ही किसी ने जहर मिला दिया है। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ ओमकार चौरसिया एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष शिक्षक शिक्षा विभाग, पंडित जवाहरलाल नेहरु पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज बांदा ने कहा कि देश में लगातार शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है जिससे शिक्षा और शिक्षकों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है यूनेस्को के द्वारा शिक्षा के लिए भारत के विभिन्न प्रदेशों के संदर्भ मे दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षण संस्थाओं में लाखों पद रिक्त पड़े हैं।

ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा तो दिया जा रहा है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा की न तो व्यवस्था की जा रही है न ही किसी प्रकार की स्मार्ट क्लास चलाई जा रही है न ही शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है अभिभावकों के समक्ष कोविड-19 के दौरान आर्थिक स्थिति बिगड़ने के कारण वह अपने पाल्यो के लिए मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि आनलाइन शिक्षा देने वाली किसी भी चीज की व्यवस्था नहीं कर पाए ऐसी परिस्थिति में देश के अंदर स्कूलों से बहुत अधिक संख्या में छात्रों ने अपना प्रवेश नहीं लिया हजारों की संख्या में विद्यालय बंद हो गए डॉक्टर सबीहा रहमानी, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बांदा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों की भारी कमी है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 30 से 50ः पद खाली हैं ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने की समस्या लगातार बनी हुई है केंद्र सरकार के द्वारा 2004 के बाद तथा प्रदेश में 2005 के बाद अध्यापकों की पेंशन छीन ली गई वित्तविहीन के लगभग ढाई लाख से अधिक शिक्षक बंधुआ मजदूरों से भी अधिक बदतर स्थिति में अपना जीवन जीने को मजबूर हैं हजारों कंप्यूटर एवं व्यवसायिक शिक्षक पिछले 25 वर्षों से कार्यरत है परंतु उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिग्रहण विधेयक को  सरकार के द्वारा पारित कराकर हमारी सेवा सुरक्षा तथा हमारे संवैधानिक अधिकारों को छीनने की लगातार कोशिश सरकार के द्वारा जारी है हमारे अस्तित्व को हर संभव नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद विनोद सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक बांदा ने कहा की कोविड-19 में इच्छा को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है लगातार कार्यों के बढ़ने से कार्यालय एवं विद्यालय स्तर पर शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है ऐसे में दोनों परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए सरकार को कुछ नए तरीके अपनाने पड़ेंगे अपनाने होंगे जिला विद्यालय निरीक्षक में जनपद के तमाम शिक्षकों से कहा कि मेरे द्वारा जो भी कार्यालय स्तर के कार हैं उन कार्यों का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा तथा जनपद में सभी शिक्षकों  समस्या विहीन बनाने की पूरी कोशिश की जाएगी कोविड-19 के के बाद से छात्राओं के प्रवेश में कमी महसूस की जा रही है निसंदेह यह एक सोचनीय विषय है विषय प्रवर्तन करते हुए प्रांतीय मंत्री केदार वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार के द्वारा विद्यालयों में लगातार शिक्षकों के पदों की कटौती की जा रही है शिक्षामित्रों तथा व सहायक शिक्षकों तदर्थ शिक्षकों एवं अन्य पदों पर भी सरकार लगातार कुठाराघात कर रही है।

ऐसे में आ जा सकता है की शिक्षाविद आगे आकर सरकार के समक्ष गंभीरता पूर्वक इन बातों को रखें एवं युवा वर्ग को जोड़कर उन को जागृत करें कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दाताराम भरत सिंह तोमर प्राचार्य राजीव गांधी महाविद्यालय ने कहा कि निसंदेह उपरोक्त उपरोक्त परिस्थितियां शिक्षकों शिक्षकों के लिए अत्यंत कष्टदायक हैं लिपिकों के पदों पर पिछले 8 वर्षों से रोक लगी है सर्वाच्च न्यायालय के द्वारा शिक्षकेतर कर्मचारियों के पदों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है तथा प्रदेश सरकार को यह स्वतंत्र दे दी गई कि उसकी स्थिति आर्थिक स्थिति जब भी देनी हो तो वह वेतन देना भी बन कर सकती या स्थिति अत्यंत ही घातक है इसके खिलाफ समस्त संगठनों को तथा शिक्षक के तीनों स्तर प्राथमिक माध्यमिक तथा उच्च को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए तथा अपनी बातों को रखना चाहिए कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर आनंद कुमार ने कहा कि आस्तीन जिस शिक्षक संगठनों को एकजुट होकर शिक्षकों की समस्याओं के लिए आगे आना चाहिए अधिकारियों को भी यह देखना चाहिए कि कि शिक्षक अधिकतर समय अपने पढ़ाई में छात्रों को पढ़ाने में वर्णित करें परंतु लगातार सरकार के द्वारा इतने अधिक काम चौकों पर लाद दिए गए हैं की शिक्षक छात्रों को सही रूप में तैयार नहीं कर पा रहा है या स्थिति समाज एवं देश के लिए अंतर की अत्यंत आवश्यक है स्कोर बहुत ही समझना पड़ेगा कार्यक्रम का संचालन जिला उपाध्यक्ष जानकी शरण शुक्ला ने किया।

इस अवसर पर अन्य वक्ता में जिला अध्यक्ष बांदा गणेश सिंह पटेल जिला अध्यक्ष चित्रकूट रामनरेश जिला अध्यक्ष कपिल देव तिवारी हमीरपुर कपिल देव तिवारी जिला अध्यक्ष महोबा ओंकार त्रिपाठी ने भी संबोधित किया इसके साथ जिला मंत्री हमीरपुर शिवदत्त पटेल कोषाध्यक्ष चित्रकूट शिवनंदन सिंह ने भी संबोधित किया इस अवसर पर लक्ष्मी कांत श्रीवास्तव अवध बिहारी सिंह सर्वेश कुमार सोनी संतोष कुमार घनश्याम अमित कुमार राजेश दादू राम वर्मा प्रेम सिंह वासुदेव मिश्रा अमित कुशवाहा कृष्णकांत करना बृजेश मिश्र चेतराम अरुण कुमार सिंह वीरेंद्र सिंह रावत शिवमंगल प्रकाश ज्ञान सिंह सुधीर सिंह सर्वेश कुमार विनोद कुमार पंकज सोनकर मार्शल टीटो सुभाष चंद्र अमर त्रिपाठी बाबूलाल अनीता जाटव प्रधानाचार्य छेदीलाल बर्मा प्रधानाचार्य गणेश द्विवेदी प्रधानाचार्य लक्ष्मण पांडे प्रधानाचार्य शाइस्ता सिद्दीकी अखिलेश कुमार चंद्र शिवपूजन त्रिपाठी शिव शंकर शुक्ला मनोज कुमार पांडे नरेंद्र गुप्ता सुप्रभात प्रमोद कुमारी सुमेर प्रसाद निशांत सिंह शिव बली मिश्र राम प्रकाश गुप्ता जुगल किशोर तिवारी गौरव कुमार मनोज कुशवाहा शिवाकांत पटेल विनय कुमार और रहमान सहित लगभग 200 से अधिक शिक्षण तथा इकाइयों के शाखा मंत्रियों में व्यस्त रहे संघ के जिला मंत्री मोहम्मद बाकर करने आए हुए सभी प्रधानाचार्य क्या का मंत्रियों विद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षिका बहनों शिक्षित व कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा इस संघ लगातार शिक्षक हितों के लिए रजक है नए-नए आ रही चुनौतियों से सामना करने के लिए तैयार भी है।


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