बांदा। संकट मोचन मंदिर के पास हार्पर क्लब में चल रही श्री अष्टोत्तर शत श्रीमद्भागवत महापुराण मूल पारायण कथा के आठवें दिन कथा व्यास जगदीश चन्द्र शास्त्री ने अंतिम दिन सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा।
मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए। महिलाओं ने भजन कीर्तन किए। कथा सुनने आए श्रद्धालुओं ने भक्ति रस का पान किया। कार्यक्रम के आयोजक नंदकिशोर त्रिपाठी उर्फ भोले तिवारी महाराज ने बताया कि 6 दिसंबर को भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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