साहित्यकारों ने धूमधाम से मनाया मिर्जा गालिब का जन्मदिन

 

  • केक काटकर और काव्य पाठ करके मिर्जा गालिब को किया याद

बांदा। बीती शाम शहर के डीएम कालोनी में आशियाना सोशल रिफार्मर एसोसिएशन (आसरा) की प्रबंधक शशी प्रजापति ने संस्था के बैनर तले मिर्ज़ा असद उल्ला खान ग़ालिब की 224 वीं जयंती के मौके पर मुशायरे व कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ लेखिका छाया सिंह और विशिष्ट अतिथि अर्चना सिंह पटेल मौजूद रहीं अध्यक्षता डाक्टर खालिद इज़हार बन्दवी ने की संचालन अनुराग विश्वकर्मा ने किया। 

कार्यक्रम की शुरुआत में दीप प्रज्ज्वलित और केक काट कर सबका मुंह मीठा कराया गया और एक दूसरे को ग़ालिब के जन्म दिन की बधाई दी गई ।काव्यपाठ की शुरुआत मुबीना खान ने ग़ालिब की ग़ज़ल से की, रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल । जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है ।सौम्य श्रीवास्तव ने पढ़ा, शब्दो का निवेदन है माँ स्वीकार लीजिए ।

विनती है लाडली की, माँ अवतार लीजिए ।आदित्य कौशल ने सुनाया, शरारत याद आती है लड़कपन याद आता है। कहीं झूला जो दिख जाए तो सावन याद आता है। दीपा पटेल ने सुनाया, बच्चियां शहर में अब कम दिखाई देती हैं । इस लिए हवाएं भी नम दिखाई देती हैं। संचालक अनुराग विश्वकर्मा ने पढ़ा, एक पिता अपने परिवार के वास्ते। अपनी खुशियों का बलिदान देता रहा। कार्यक्रम के अध्यक्ष डाक्टर खालिद इज़हार बन्दवी ने सुनाया, दुनियाँ में अब भी आम है ग़ालिब की शायरी। उर्दू को एक इनाम है ग़ालिब की शायरी। 

मुख्य अतिथि छाया सिंह ने सुनाया, तोड़ कर बंदिशें सारी मैं मुस्कुराना चाहती हूं। ज़रा पास आ ज़िंदगी तुझे जीना सिखाना चाहती हूं। कार्यक्रम में शायरों कवियों को संस्था की प्रबंधक शशी प्रजापति ने प्रशस्ति पत्र और विशिष्ट अतिथि अर्चना सिंह पटेल ने डायरी पेन दे कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उर्मिला सिंह, सरवन देवी, प्रिया, सुगंधा, रोशनी, दीपक, यशवंत कुमार, अभिषेक उर्फ बउवा आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। अंत मे आयोजक शशी प्रजापति ने सभी का आभार व्यक्त किया।



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