इसके अलावा जरूरत होने पर तट रक्षक बल की सहायता मांगने के लिए मछुआरों को आपदा चेतावनी ट्रांस्पोंडर और बहुत जरूरी सहायता के लिए संकट संकेत (एसओएस) की प्रक्रियाओं के उपयोग के बारे में भी जानकारी दी गई। मछुआरों को चौबीसों घंटे तलाश और बचाव सहायता लाइन 1554 के बारे में सूचित किया गया। यह समुद्र में एसएआर सहायता की मांग के लिए एक टोल फ्री नंबर है। लाइफ जैकेट पहनने, डीएटी का संचालन, सिग्नल फ्लेयर और वहनीय अग्निशमन उपकरण पर व्यावहारिक प्रदर्शन किए गए।
इसके अलावा मछुआरों को समुद्र में जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के पहलुओं पर जानकारी वाली पुस्तिकाओं का भी वितरण किया गया। विशेष सामुदायिक संवाद कार्यक्रम के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (दिगलीपुर) के विशेषज्ञ डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों तथा स्वास्थ्य उपकेंद्र के स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम के संयोजन में एक 'मल्टी-स्पेशलिटी चिकित्सा शिविर' भी आयोजित किया गया। 'मल्टी-स्पेशलिटी चिकित्सा शिविर' के तहत 'तपेदिक की रोकथाम व प्रबंधन', 'योग के लाभ' और 'स्वास्थ्य व प्रतिरक्षा' पर जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। 'तपेदिक के नियंत्रण व उन्मूलन' के संबंध में भारत सरकार की नीतियों पर जानकारी प्रदान करने वाली विवरणिका भी वितरित की गई।
इसके अलावा भारतीय तटरक्षक बल की चिकित्सा टीम ने मछुआरों को सीपीआर प्रक्रिया, 'प्राथमिक चिकित्सा' और 'फ्रैक्चर फिक्सेशन' पर प्राथमिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया। वहीं, दिगलीपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दंत शल्य चिकित्सकों ने दांतों से संबंधित रोगों और 'मुंह के कैंसर' का परीक्षण किया। इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों ने मछुआरों और उनके परिवार के सदस्यों की सामान्य स्वास्थ्य जांच के साथ गैर-संक्रमणीय बीमारियों का परीक्षण किया। मछुआरों ने भारतीय तटरक्षक बल के इस सामुदायिक संवाद कार्यक्रम और मल्टी-स्पेशलिटी चिकित्सा शिविर की काफी सराहना की।
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