संसार मे जितने भी जीव हैं सभी परमात्मा के बच्चे है इसलिए पशु-पक्षियों के भी जान की कीमत लगाओ : बाबा उमाकान्त

  • मां के नर्क रूपी पेट में प्रभु से किया वादा याद करो कि समरथ गुरु खोज करेंगे, रास्ता लेकर आपके पास पहुंच जायेगे
  • यह मनुष्य शरीर आपको बड़े भाग्य से मिला है, अपना असली काम नहीं किया तो यह दुबारा जल्दी मिलने वाला नहीं है

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ देने वाले, जीते जी प्रभु प्राप्ति का, मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग नामदान देने वाले इस समय के पूरे सन्त समरथ सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन (म.प्र.) में 5 जनवरी 2022 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि इस अनमोल मानव तन को प्राप्त करने के लिए देवी-देवता भी तरसते रहते हैं।

कोटी जन्म जब भटका खाया। तब यह नरतन दुर्लभ पाया।।

कहा गया है-

बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा।।

यह मनुष्य शरीर अनमोल है। इसकी कोई कीमत नहीं है। अब आप न समझ पाओ तो जैसे कहते हैं हीरा जन्म अनमोल मिला, कौड़ी बदले जाय, ऐसे ही आप इसको व्यर्थ खो रहे हो।

लोग पशु-पक्षियों की जान की कीमत कौड़ी की तरह से लगाते हैं

कौड़ी किसको कहते हैं? जिसकी कोई कीमत नहीं होती, बहुत मामूली कीमत होती है। पहले कौड़ी, दाम चलते थे, छेद वाले सिक्के। उसके बदले यानी कहते हैं जिंदगी कौड़ी के बदले जा रही है।

पशु-पक्षियों के शरीर की भी कीमत है, प्रकृति ने सभी चीजें एक-दूसरे के काम आने के लिए बनाई

देखो पशु -पक्षियों की जिंदगी लोग कौड़ी की तरह से लगाते हैं। कहते हैं आदमी को मार दोगे तो फांसी की सजा होगी, मुर्गा-भैंसा को मार दोगे तो सजा नहीं होगी। उसकी कीमत नहीं लगाते हैं। हालकि कीमत उसके शरीर की भी है। जितनी भी चीजें प्रकृति, भगवान ने बनाई है, सब मनुष्य के लिए ही बनाई, एक दूसरे के काम आने के लिए बनाई।


पशु-पक्षी, आदमी दोनों को जन्म लेते समय और मरते समय बहुत तकलीफ होती है

देखो बच्चे पशु-पक्षी के हो या आदमी के हो, रोते, तड़पते हुए पैदा होते हैं, तकलीफ होती है। ऐसे ही आखरी समय पर चाहे पशु-पक्षी हो या आदमी तड़पता, चिल्लाता है।

कर्म अगर अच्छे रहें तो चौरासी लाख योनियों में मनुष्य जितना कोई बुद्धि, ज्ञान, विवेकशील है ही नहीं

आदमी के समान पशु-पक्षी भी खाते और बच्चा पैदा करते है लेकिन उनको आदमी के समान ज्ञान नहीं होता है। आदमी के बुद्धि, विवेक होता है लेकिन जब कर्म खराब होते हैं और मनुष्य शरीर के लिए झूठ, चोरी-चकारी सब कुछ करता है तब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, ज्ञान नहीं हो पाता है। कर्म अगर अच्छे रहें तो मनुष्य के जितना विवेकशील कोई है ही नहीं। बुद्धि ज्ञान होता है मनुष्य को। यह मनुष्य शरीर 84 लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ शरीर है।

मां के पेट में जब उल्टे टंगे थे तो प्रभु से वादा किया था, वह वादा याद करो

देखो मनुष्य शरीर आपको मिला। मां के पेट में जब उल्टे टंगे थे कि हमको बाहर निकालो, समरथ गुरु की तलाश करेंगे, रास्ता लेकर के हम प्रभु का दिन-रात भजन करेंगे, आपको याद करते रहेंगे, आपके पास पहुंच जाएंगे, आपके चरणों में हम लिपट जाएंगे- यह प्रार्थना करते रहे। लेकिन अगर वह वादा याद न आवे, वह भूलते चले जाओ और जैसे पशु-पक्षी खाते-पीते और दुनिया संसार से चले जाते, वही काम अगर करते रह जाओगे तो आपको भी इस दुनिया संसार से एक दिन खाली हाथ जाना पड़ेगा।

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सन्त उमाकान्त जी के वचन

  • जयगुरुदेव नाम ध्वनि लगातार बोलने से लाभ सबको मिलेगा। पाप-पुण्य दोनों जीवात्मा के लिए बंधन है। गुरु खुश नहीं होंगे तो कर्म नहीं कटेंगे।
  • गुरु को हर समय याद करते रहना चाहिए। शरीर में रहते-रहते भगवान से मिला जा सकता है, मरने के बाद किसी को भी भगवान न तो मिला और न मिलेगा।

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