- हमेशा के लिए युद्ध के खतरे को खत्म कर दो
- प्रकृति से छेड़छाड़ मत करो, उसके एक ही झटके में सब धराशायी हो जाओगे
उज्जैन (मध्य प्रदेश)। भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में अमन, सुख-चैन की कामना करने वाले, उसका व्यवहारिक उपाय समय रहते बताने वाले, सर्वशक्तिमान प्रभु की दया और ताकत दिला कर स्थाई शांति का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस समय के महान महापुरुष समाज सुधारक उज्जैन वाले सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 18 मार्च 2022 को सायं काल में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में विश्व युद्ध का संकट टालने के उपाय बताते हुए बताया कि जितने भी देश के लोग युद्ध, लड़ाई नहीं चाहते हैं, सब एकजुट होकर एक मीटिंग बुला लो और उसी में निर्णय ले लो। ऐसा कुछ नहीं है यूक्रेन या रूस के राष्ट्रपति न माने, दोनों मान जाएंगे। नहीं तो लड़ाई चलती रहेगी, देश का नुकसान बढ़ता चला जाएगा, दोनों तरफ के आदमी खत्म होते चले जाएंगे, धन-संपत्ति खत्म होती चली जाएगी।
जब लोग ही नहीं बचेंगे तो किस पर हुकूमत करेंगे, किस बात के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री आप रहेंगे
आप किस बात के लिए राष्ट्रपति प्रधानमंत्री रह जाएंगे? कहां हुकूमत करेंगे या विकास करेंगे? जो अभी तक विकास किया, उसका विनाश हो जाएगा। और यदि एक-दूसरे के कहने में आए कि चलो ताकत दिखा दिया जाए, वह उनकी तरफ है तो हम तुम्हारी तरफ हैं, हम चलो मदद करते हैं तो इसमें भी यही हाल होगा, सबका नुकसान होगा। लड़ाई अच्छी नहीं होती है।
सन्त उमाकान्त जी महाराज का निवेदन भारत के प्रधानमंत्री से
अगर यह मंसूबा बनाते हैं तो भारत के प्रधानमंत्री से यह निवेदन करेंगे कि आप भी चले जाइए। हमको यह विश्वास है कि इनका जो प्रेम व्यवहार है लोगों में, जो इनकी उदार नीति है कि-
कबीरा खड़ा बाजार में, सबका मांगे खैर। न काहू से दोस्ती ना काहू से बैर।
इनकी बात में दम रहेगा, ताकत आएगी क्योंकि ये शाकाहारी नशा मुक्त है। इनका कोई चरित्र संबंधित शिकायत नहीं है। और किसी भी देवी-देवता भगवान को मानते हैं, इनकी वाणी में गुरु महाराज की दया से शक्ति आएगी। यह भी उनमें मददगार साबित होंगे। इसलिए युद्ध न चाहने वाले विश्व में सभी लोगों को एक मीटिंग कहीं बुलाना चाहिए। इस युद्ध के खतरे को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहिए।
इतिहास उठाकर देख लो जब-जब युद्ध हुआ उसका खामियाजा आज तक पूरा नहीं हुआ
जो देशों के मुखिया हैं, उनसे भी मेरी यह प्रार्थना है की युद्ध को टालिये। युद्ध में हर तरह का नुकसान है। आप इतिहास उठा कर के देख लीजिए, जब-जब युद्ध हुआ, किसी भी देश से हुआ, उसका खामियाजा सैकड़ों साल हो गए हैं लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ।
प्रकृति से छेड़छाड़ मत करो, धरती ने अगर सबक सिखा दिया तो एक ही झटके में सब धराशायी हो जाओगे
प्रकृति भी अपना दामन हरा-भरा रखना चाहती है, लोगों के हित के लिए जो चीजें हमने बनाई हैं उसका कोई नुकसान न हो। यह धरती भी चाहती है कि हमारा खोद-खाद न हो, कोई विस्फोट न करें, कोई तोड़े-फोड़े नहीं। जब बम गिरेगा तो धरती फ़टेगी कि नहीं फ़टेगी? और धरती ने अगर सबक सिखा दिया, एक ही झटका लगा दिया तो कुछ नहीं करना पड़ेगा, सब धराशाई हो जाएंगे। इसलिए छेड़छाड़ प्रकृति से मत करो। ये हमारी प्रार्थना है।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
किसी की भी निंदा मत करो। निंदा करने से पाप का बोझ आता है। बहुत खराब समय आ रहा है, बचत का रास्ता ले लीजिए। गुरु चैतन्य पुरुष होते हैं। वे मोह निशा में नहीं सोते। अपने विरोधी को सदा प्रेम व्यवहार से जीतो।
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