दोनों पक्षों ने हरित प्रौद्योगिकी, उन्नत इंजीनियरिंग व उत्पादन, कृषि व खाद्य प्रौद्योगिकी, डिजिटल रूपांतरण, ऊर्जा संरक्षण और स्वास्थ्य देखभाल जैसे विषयों में सहभागिता के प्रस्तावित क्षेत्रों की पहचान की। इस सहयोग के संभावित नियमों और शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए चर्चाएं चल रही हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कनाडा के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की अर्थव्यवस्था उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान व नवाचार पर आधारित है। केंद्रीय मंत्री ने कनाडा को भारत में महासागर और समुद्री मिशनों जैसे अनछुए क्षेत्रों का अन्वेषण करने के लिए आमंत्रित किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत और कनाडा के बीच दो समझौता ज्ञापनों का नवीनीकरण होने वाला है और मई, 2022 में आगामी संयुक्त समिति की बैठक में इन पर हस्ताक्षर किए जाने के प्रस्ताव हैं। इनमें पहला समझौता ज्ञापन (एमओयू) कनाडा के नेशनल साइंस इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर (एनएसईआरसी) से संबंधित है। यह समाज के लिए प्रत्यक्ष प्रासंगिकता के बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान में मानव संसाधन के विकास के साथ-साथ परियोजना आधारित वैज्ञानिक विनिमय कार्यक्रम है। इन संयुक्त शोध प्रकाशन/पेटेंट/प्रौद्योगिकियों को अकादमिक संस्थानें विकसित करती हैं। इस सहभागिता का मुख्य फोकस समाज को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ सहायता करना है।
वहीं, दूसरा समझौता कनाडा की नेशनल रिसर्च काउंसिल (एनआरसी) से संबंधित है। यह औद्योगिक अनुसंधान व विकास परियोजना आधारित वैज्ञानिक सहभागिता है, जिसमें दोनों पक्षों के उद्योग संयुक्त रूप से प्रतिकृति (प्रोटोटाइप) विकसित करते हैं और इसका व्यावसायीकरण करते हैं। दोनों पक्षों (उद्योग के साथ-साथ दोनों देश की सरकारों) ने इस परियोजना का वित्तीय पोषण किया था। यह उपलब्धि आधारित गतिविधि है और उद्योग को रॉयल्टी के रूप में धनराशि वापस कर दी जाएगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), कनाडा के अनुसंधान व विकास संस्थानों के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग विकसित करने की इच्छुक है। कनाडा के इन संस्थानों में कनाडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च (सीआईएचआर), नेशनल रिसर्च काउंसिल ऑफ कनाडा (एनआरसी) और केनमेट एनर्जी शामिल हैं। उन्होंने भारत और कनाडा के बीच अधिक युवाओं के आदान-प्रदान कार्यक्रमों और अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों में संयुक्त स्टार्ट-अप्स का भी आह्वाहन किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) ने 2020-21 के दौरान कनाडियन हाई आर्कटिक रिसर्च स्टेशन (सीएचएआरएस) पर अवलोकन अध्ययन स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण ऐसा नहीं किया जा सका। उन्होंने आगे कहा कि एनसीपीओआर आर्कटिक स्थलीय, मीठे जल और तटीय समुद्री वातावरण को शामिल करते हुए निम्नलिखित (सीमित नहीं) घरेलू अनुसंधान गतिविधियों में शामिल होने के लिए इच्छुक है।
मंत्री ने आगे बताया कि एनसीपीओआर इन विषयों से संबंधित परियोजनाओं को भी शुरू कर सकती है – (1) एरोसॉल, ब्लैक कार्बन और वायु गुणवत्ता पर ध्यान देने वाला वायुमंडलीय विज्ञान, और (2) जीनोमिक्स सहित मानव व पशु स्वास्थ्य से संबंधित विशिष्ट जीवों पर ध्यान देने के साथ माइक्रोबियल विविधता को समझने पर जोर देना। इसके अलावा पर्यावरणीय निगरानी को आधार प्रदान करने के लिए आर्कटिक जीवन के रूपों (कवक, पौधा, जानवर) की एक व्यापक डीएनए संदर्भ पुस्तकालय को स्थापित करने की भी योजना है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) कनाडा के साथ औद्योगिक अनुसंधान व विकास परियोजनाओं में भी सहयोग कर रहा है, जिनमें अनुप्रयोग की क्षमता है। अब तक औद्योगिक अनुसंधान व विकास के लिए कुल 10 परियोजनाओं में सहयोग किया गया है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ओर से आईसी-इम्पैक्ट्स की सहभागिता में 'स्वास्थ्य के लिए जल', 'वहनीय निदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) और एनालाइजर' और 'कचरे से संपत्ति का निर्माण' के क्षेत्रों में प्रस्तावों के लिए तीन संयुक्त आह्वाहन किए गए हैं।
इसके अलावा 2015 में शुरू किए गए इंडिया-कनाडा सेंटर फॉर इनोवेटिव मल्टीडिसिप्लिनरी पार्टनरशिप टू एक्सेलरेट कम्युनिटी ट्रांसफॉर्मेशन एंड सस्टेनेबिलिटी (आईसी-इम्पैक्ट्स) के तहत सुरक्षित व सतत अवसंरचना, ऊर्जा संरक्षण व एकीकृत जल प्रबंधन, संरचनात्मक इंजीनियरिंग में नवाचारों का उपयोग करके आग लगने के दौरान इमारतों में रहने वाले लोगों को बचाए जाने संबंधी प्रक्रिया में सुधार, पदार्थ विज्ञान और स्मार्ट शहरों में हरित भवनों की सहायता करने के लिए साइबर-भौतिक इंटरफेस व साइबर-भौतिक प्रणाली के क्षेत्र में सहभागिता की गई है। उन्होंने बताया कि अब तक दोनों पक्षों ने शैक्षणिक अनुसंधान व विकास से संबंधित 20 परियोजनाओं की सहायता की है।
वहीं, कनाडा की अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निर्यात संवर्धन, लघु व्यवसाय और आर्थिक विकास मंत्री मैरी एनजी ने व्यावहारिक अनुसंधान माध्यम के जरिए जैव-प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और अधिक बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।
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