सभी सन्तों, फकीरों ने हर महजबी किताब, ग्रंथों में जीव हत्या नहीं बल्कि रहम दया करने की बात की : बाबा उमाकान्त

  • बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम, वह मालिक अल्लाह पाक परवरदिगार रहमान है 
  • नानक जी ने कहा- मांसाहारी राक्षस तुल्य है, बौद्ध धर्म में लिखा- मांसाहारी अपने बच्चे का खाता है मांस 

इंदौर (मध्य प्रदेश)। इस वक़्त के मुर्शिद-ए-कामिल आला फकीर सभी जीवों की रूह के निजात का रास्ता नामदान बताने वाले, इंतकाल के पहले गैबी आवाज़, कलमा, आयतें सुनाने वाले, खुदा का पैगाम सुनाने वाले, दोजख से बचाने वाले उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी ने इंदौर आश्रम पर 29 मार्च 2022 शाम को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सन्देश में बताया कि आजकल नशे की तमाम गोलियां चल गई। कुछ लोग नशा करते हैं, कहते हैं मजा आता है लेकिन वह नशा क्षणिक है। शाम को करते, सुबह उतर जाता। लेकिन वह नशा जिसके लिए नानक साहब ने कहा-

भांग भखूरी सुरापान, उतर जाए प्रभात। नाम खुमारी नानका, चढ़ी रहे दिन रात।।

नानक जी ने कहा उस नशे का सेवन करो जो रूहानी नशा है। जब तुमको मिल जाएगा तो वह कभी नहीं खत्म होगा। जीवों के उद्धार, कल्याण, सुख-शांति के लिए सन्त महात्मा, फ़क़ीर, पीर पैगम्बर इस धरती पर आए। तरह-तरह से सबने जनहित का काम किया, लोगों को समझाया। कहा है-

मुल्ला तेरा रोज पीना, मस्तों का नहीं है करीना।
जो चढ़ती उतरती है मस्ती, वह हकीकत की मस्ती नहीं है।।

वह मस्ती, वहां की खुशबू कब मिलती है? चौदह तबक, जो वहां के लोक हैं, ब्रह्म, पारब्रह्मलोक, सूर्यलोक, चंद्रलोक उन लोको में जो खुशबू होती है वह खत्म नहीं होती। बाहरी नाक से सूंघी भी नहीं जा सकती है क्योंकि यह शरीर वहां पहुंच नहीं सकता। जाएगी तो रूह जीवात्मा जाएगी। उसमें जो नाक है उस नाक से खुशबू मिलती है। जाति, धर्म, जिला, देश तो आदमी ने बनाया लेकिन उस प्रभु, अल्लाह ताला, पाक परवरदिगार, गॉड ने इंसान, आदमी बनाया। हड्डी, मांस, खून सबका एक जैसा। रूह जीवात्मा मनुष्य के अंदर है उसको निजात मुक्ति इसी जिस्मानी मस्जिद से दिला सकते हैं। 

ऐसा कोई काम मत करो कि जिससे खुदा के बनाये हुए जीव को तकलीफ हो 

ऐसा कोई काम न करो कि जिससे खुदा, प्रभु के बनाए हुए जीव के रूह को तकलीफ हो। अकाल मृत्यु होने की बात अलग है लेकिन जब मार देते हैं तो हत्या होती है तो उसका पाप लगता है। जिस्मानी मस्जिद गंदा हो जाए जैसे मिट्टी पत्थर के बनाये मंदिर मस्जिद में कोई गंदी चीज डाल दे तो उसमें इबादत नहीं करते हैं। पहले सफाई करते हैं फिर इबादत करते हैं। ऐसे ही इसको गंदा मत करो। जब से मांसाहार बढा, बीमारियां बहुत बढ़ गई। तमाम चीजें प्रभु कुदरत प्रकृति ने मनुष्य के लिए ही बनाया। 

जिसके अंदर मुसल्लम ईमान है, वो मुसलमान है, नहीं तो कैसे माना जाय की मुसलमान है 

हर मजहबी किताबों धार्मिक ग्रंथों में यह चीज मिलती है। जो पूरे फकीर हुए, बोल करके गए उन्होंने कभी हिंसा-हत्या की बात नहीं की। उन्होंने तो रूह पर रहम करने की बात की है। बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम इसीलिए तो लोगों ने उसका नाम रहमान रखा है। देखो नाम उन्होंने जो रखा, जिसके अंदर मुसल्लम ईमान हो, मुसल्लम रहम हो, वह मुसलमान है। कोई कहता है हम मुसलमान हैं लेकिन मुसल्लम ईमान, रहम नहीं है तो कैसे मुसलमान माना जाए। 

नानक जी, बौद्ध धर्म आदि सभी ने मांसाहार का पुरजोर विरोध किया 

जितने भी नाम उन लोगों ने उस समय रखे थे, सोच समझ कर रखा। चाहे हिंदू, मुसलमान, सिक्ख रखा। शिष्य किसको कहते हैं? जो गुरु के आदेश का पालन करें। गुरु नानक जी ने बहुत कड़े शब्दों में कह दिया कि जो मांस खाता है वह राक्षस तुल्य है। बौद्ध धर्म में लिखा मिलता है जो मांस खाता है अपने बच्चे का मांस खा रहा है। तरह-तरह से उन्होंने लिख दिया लेकिन अब उन किताबों को लोग पढ़ते नहीं, समझ नहीं पाते, मनमानी करते हैं। 

आप किसी की निंदा मत करो, अपना अलग आध्यात्मिक, रूहानी रास्ता चुन लो; जिसके लिए मिला मनुष्य शरीर उस काम मे लग जाओ 

जब से यह व्यवस्था गड़बड़ हुई, चाहे राजनीति या समाज की हो, तिफरका बढ़ता चला जा रहा है। उसमें तो प्रतिशोध की भावना आ गई कि जो यह करें उसका उल्टा हम करें। आप तिफरकेबाजी को करो खत्म। आप जो सुन रहे हो, आप खत्म नहीं कर सकते हो लेकिन आप अपनी जगह सही रहोगे तो आपको देखकर के लोग बदलेंगे। आप तिफरके बाजी, भाई भतीजावाद, जातिवाद में मत पड़ो। किसी धर्म जाति, मजहबी किताब, धार्मिक ग्रंथ, कौम, राजनेता, समाज सेवी, पार्टी की निंदा नही। आप अपना आध्यात्मिक, रूहानी रास्ता अलग चुन लो। जिस काम के लिए मनुष्य शरीर मिला, उस काम को करो। उसमें आप लग जाओ। 

सन्त उमाकान्त जी के वचन 

आँख बचा कर कितना भी बुरा कर्म कर लो मालिक के कैमरे से बच नहीं सकते। शराब और मान्स खाने से तरह-तरह की बीमारियां आ जाती हैं। मेहनत और ईमानदारी की कमाई खाने से बुद्धि सही रहती है। जो भाग्य में नहीं है, उसको लेने के लिए नेक काम करना पड़ता है।

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