कबीर साहब ने आत्मा के उद्धार के पांच नामों को बताया, वोही मैं भी बता रहा हूं - बाबा उमाकान्त जी महाराज


  • बहुत दिनों के जमा कर्म एक दिन जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने से नहीं कटेंगे, बराबर रटते रहो

निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीते जी मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग नामदान इस समय देने के धरती पर एकमात्र अधिकारी, पूरे पहुंचे हुए, सभी प्रकार से समर्थ, प्रकट सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने सूरत (गुजरात) आश्रम में 7 जून 2022 सायंकाल दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि नाम दो तरह का होता है एक ध्वन्यात्मक और एक वर्णनात्मक। ध्वन्यात्मक नाम से सारा संसार, अंड, पिंड, ब्रह्मांड बने। आवाज होती रहती है लेकिन सुनाई नहीं पड़ती है क्योंकि जीवात्मा वाले कान पर मैल, पर्दा जमा हुआ है, वह सुनने नहीं देता है।

हिम्मत जिसके अंदर रहती है, वह हो जाता है कामयाब

ध्वनि यानी आवाज। वर्णनात्मक नाम मुंह से लिया जाता है। महापुरुष सन्त जब धरती पर जब आते हैं तो लोगों के विश्वास के लिए एक नाम को जगाते हैं। जैसे राम आए थे, राम नाम जगाया था। उनको अपना काम करना था, लंका पर विजय प्राप्त करनी थी, पुल के ऊपर से बंदरों, भालूओं को ले जाना था। जब पुल बनाने की जरूरत पडी तब उन्होंने कहा राम नाम लिखो पत्थर पर और डालो समुद्र के ऊपर। जब सारे पत्थर तैरने लगे तो बंदर, भालूओं का विश्वास बढ़ गया। एक-एक के अंदर बहुत शक्ति आ गई, हिम्मत बढ़ गई। सोचे, राम नाम लिखने से पत्थर तैरने लगे तो हम लंका पर विजय जरूर प्राप्त कर लेंगे। हिम्मत वाला कामयाब हो जाता है। हिम्मत जिसके अंदर नहीं रहती तो आगे नहीं बढ़ पाता है। कृष्ण जब आये, कृष्ण नाम में शक्ति भरी। कृष्ण-कृष्ण जिसने पुकारा, कृष्ण खड़े हुए मिले। द्रोपति, ग्रह आदि तमाम लोगों की रक्षा हुई।

कबीर साहब ने भी पांच नामों को बताया, वोही मैं भी बता रहा हूं

समय-समय पर महापुरुष नाम को जगाते हैं। कलयुग में जब सन्तों का प्रादुर्भाव हुआ तो उन्होंने भी नाम को जगाया। जैसे कबीर साहब आए,  सतसाहब नाम को जगाया था। यही जो पांच नाम आज के सतसंग में बताऊंगा यही कबीर साहब ने भी बताया था। पंच शब्द निरामय बाजे। इन पांचों नामों की आवाज लगातार सुनाई पड़ती रहती है।

आत्मा का उद्धार, वक्त के सतगुरु द्वारा दिए हुए पांच नाम से ही होगा

कबीर साहब को मानने वाले कहते हो कि सतसाहब नाम से हमारा उद्धार हो जाएगा। कुछ कहते हैं जयगुरुदेव नाम का जाप करने से उद्धार हो जाएगा। यदि वर्णात्मक नाम से उद्धार होता तो पांच नाम क्यों बताते? समझ लो-

पांच नाम का सुमिरन करै। संत कहै तब भव से तरै।।

पांच नाम का सुमिरन करने से ही भवसागर से छुटकारा मिल सकता है। वर्णनात्मक नाम से आदमी को विश्वास होता है और तब बताई गई साधना को करता है क्योंकि सुमिरन, ध्यान, भजन, पांच नाम बाहर से नीरस लगता है तो जल्दी विश्वास नहीं होता। लेकिन जब बीमारी, मुसीबत में जयगुरुदेव नाम बोलने से राहत मिली तो विश्वास हो गया गुरु महाराज पर, उनकी बात पर की मुसीबत में जयगुरुदेव नाम बोल कर के देख लेना। आदमी को एक बात पर विश्वास होने पर दूसरे, तीसरे, चौथे पर भी विश्वास हो जाता है तो इसको (साधना) भी करने लगता है।

जीवात्मा के ऊपर चढ़ी गंदगी नाम ध्वनि बोलने से ही होगी साफ

लोहा सोना कब बनता है? पारस मणि/पत्थर छुआने से। लेकिन जंग लगा हो तो सोना नहीं बन पाएगा। पहले गंदगी साफ की जाती है। ऐसे ही जीवात्मा के ऊपर जमा कर्मों की गंदगी जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलते रहने से साफ होती है, तकलीफ दूर होती होती हैं।

बहुत दिनों से कर्म जमा हैं, एक दिन नामध्वनी बोलने से कैसे कटेंगे इसलिए बराबर रटते रहो

चाहे सतसंगी हो या गैर सतसंगी हो, किसी के भी घर में किसी भी प्रकार की तकलीफ रहती हो, शाकाहारी नशामुक्त रह करके एक घंटा सुबह-शाम जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलो और परिवार वालों को बुलावाओ तो घर की तकलीफ धीरे-धीरे चली जाती है क्योंकि जब बहुत दिनों के कर्म है तो केवल एक दिन बोलने से कैसे कटेंगे? इसलिए बार-बार बोलना, बराबर रट लगाना पड़ता है तब यह कर्म कटते हैं, तकलीफ जाती है।

प्रेमियों! नये और पुराने दोनों लोग जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलना शुरू कर दो

जो लगातार जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलने-बुलवाने लग गए, ध्यान भजन करने-कराने लग गए, थोड़ी बहुत दवाई, युक्ति से आराम मिल गया, तकलीफें चली गई। इसलिए अगर नहीं बोलते हो, भूल गए हो तो शुरू कर दो और नए लोग सीख लो कैसे बोलोगे- जयगुरुदेव जयगुरूदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव।

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