- प्रेमियों संकल्प बनाओ कि एक दिन में 2-4 को समझाएंगे, मांसाहारी अपराधी बदल गया तो उसका बोनस आपको मिलेगा
- जिनको नामदान दिलवाया है, जब तक अंतर में दिखाई, सुनाई न पड़े, उन्हें सुमिरन, ध्यान, भजन सिखाओ
- मांसाहारी का साथ और मांस पकने वाले बर्तन में खाने से भजन में आती है बाधा
साधना में तरक्की की राह में आने वाले अवरोधों और उन्हें हटाने के उपाय बताने वाले, भक्तों को स्वयं का और दूसरों का परमार्थ बनाने के सरल उपाय बताने वाले, शाकाहार नशामुक्ति सदाचारिता के पक्षधर, प्रभु के साक्षात अवतार जिन्हें, जिनकी पावर को लोग अभी पूरी तरह पहचान नहीं पा रहे हैं, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 28 मई 2022 सायंकालीन उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव संदेश में बताया कि प्रेमियों! संकल्प बनाओ की एक-एक दिन में 2-4 को समझाओगे तो 10 को समझाओगे तो 2-4 के समझ में आ ही जायेगा। और अगर कोई मांसाहारी अपराधी है, अगर वह बदल गया तो उसका फायदा बोनस आपको मिलेगा। आप नाम दान दिलाते हो, नाम दान ले करके वो चले जाते हैं फिर तो आप यही सोचते हो- 'भार झोंकि कै भार में, रहिमन उतरे पार'। अब हमने तो पहुंचा दिया। अब नाम दान लेने वाला जाने और देने वाला जाने। अरे! अब तो आप का काम शुरू हुआ है।
- जैसे आप पेड़ को लगाओ, उसकी सिंचाई, रखवाली न करो तो उसमें फल नहीं लग सकता
ऐसे ही जो पेड़ आपने लगाया है, जिसे नाम दान दिलाया है, अगर उसकी संभाल आप नहीं करोगे, उसको सुमिरन, ध्यान, भजन आप नहीं समझाओगे तो पेड़ सूख जाएगा। जैसे बिना रखवाली के जानवर उसे खा लेते हैं ऐसे आदमियों में भी जानवर, मन खराब करने वाले होते हैं। अपनी टीम में भर्ती करने वाले उनको मिल जाते हैं। तरह-तरह की बुराइयां बताते हैं तो यह मन समझो इतना कमजोर हो गया कि एक जगह पर मजबूत दृढ़ नहीं रह पाता। बस मन इधर के बजाय उधर लग गया। अब हाथी पर बैठने के बाद गधे पर सवारी कर लिया। (अंदर की सच्ची चेतन पूजा की बजाय बाहरी जड़ पूजा में फिर से फंस गए) इसलिए देखने और संभालने की जरूरत है।
- जिनको नामदान दिलाया उनको सुमिरन, ध्यान, भजन समझाना है
मोटी बात समझो जिन लोगों को आपने नाम दान दिलाया है उनको आपको सुमिरन, ध्यान, भजन समझाना है जब तक अंतर में उनको फल न मिलने लगे। जब तक अंतर में कुछ दिखाई सुनाई न पड़ने लग जाए तब तक उनको छोड़ना नहीं है। छोड़ दोगे तो फिर भटक जाएंगे।
- मांसाहारी मानव मनुष्य तो है लेकिन राक्षस का रूप अंग है
बराबर उनको याद दिलाओ कि कहा गया था मंच से मांस, मछली, अंडा, शराब व तेज नशे की चीजों का सेवन मत करना। अब वह इनको जब छोड़ेगा, भजन करने लगेगा, थोड़ा बहुत रस मिलेगा, बाधा जब आएगी तब आपसे कहेगा कि भाई बाधा आ रही है, आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। तब कह देना कि खान-पान तो तुम्हारा ठीक हुआ, मांस छोड़ दिया लेकिन मांसाहारी के साथ बैठकर के खा लेते हो, मांस पकने वाले बर्तन में खा लेते हो, मांसाहारी का साथ कर लेते हो तो यह बात (बाधा) आ जाती है। कबीर साहब ने कहा-
मांसाहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस अंग। इनकर संगत जो करै, पड़े भजन में भंग।।
कहा गया मांसाहारी मानव मनुष्य तो है लेकिन राक्षस का रूप अंग है। मांसाहारी मानव प्रत्यक्ष राक्षस होते है। जैसे भूत, प्रेत, पिशाच इन आंखों से नहीं दिखाई पड़ते हैं लेकिन जो सामने हो उसे प्रत्यक्ष कहते हैं तो उन्हीं के रूप, उन्ही के जैसे ही होते हैं। तो इनका संग करने से भजन में बाधा आती है। यह सब चीजों को आप जब बताओगे, खुद भी ध्यान रखोगे तभी आप कामयाब हो पाओगे। आप अगर खुद किसी चीज का ध्यान नहीं रखोगे, खुद भजन, साधना नहीं करोगे और केवल कहोगे तो उसका असर नहीं पड़ेगा।
बाबा उमाकान्त जी के वचन
देवी-देवता, ईश्वर-खुदा को देखा जा सकता है। पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े, पेड़-पौधे भोग योनि में है और ये रोबोट, केलकुलेटर की तरह कार्य करते हैं। मनुष्य कर्म योनी में है, इसे सभी कार्य सीखने पड़ते हैं। हर पशु-पक्षी की आवाज सभी जगह एक जैसी होती है। मनुष्य की भाषा क्षेत्र के हिसाब से बदल जाती है।
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