बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया मन को रोकने का तरीका

  • यदि शाकाहारी चरित्रवान लोग नहीं बने तो ऐसे जानलेवा गुप्त रोग आयेंगे जो दवा से ठीक नहीं होंगे

निजधामवासी सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 11 नवंबर 2022 प्रातः बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि ध्यान भजन सुमिरन जान-अनजान में बने कर्मों को काटने की झाड़ू है। इसको बराबर लगाते रहो। और अगर बिल्कुल मन न लगे तो सेवा कार्य में लगो, प्रचार-प्रसार में लगो। इतना इस शरीर को थका दो कि ध्यान-भजन में बैठने के बाद मन इधर-उधर जाने कुछ और करने की इच्छा ही न रखे। फिर उस समय पर ध्यान लगाओ, मन थकेगा, रुकेगा। जैसे काम करते-करते शरीर थक जाता है ऐसे ही भगते-भगते मन भी थक जाता है। या तो (साधना में) बैठ कर के 3-2 घंटा मन थकाओ या फिर सेवा करके थकाओ तब यह रुक जाएगा। और मन जब रुक जाएगा तो बात बन जाएगी, काम बन जाएगा।

गुप्त रोग दवा से ठीक नहीं होगे

आज 23 जुलाई 2020 सांय आप नोट कर लो, उज्जैन आश्रम पर मैं बता रहा हूं। अगर लोगों ने अपना चाल-चलन ठीक नहीं किया, व्यभिचार, व्यभिचारीपन खत्म नहीं हुआ तो ऐसे गुप्त रोग इनको पकड़ेंगे जो दवा से ठीक नहीं हो पाएंगे, ऐसा सड़न बदन में पैदा होगा और वही जानलेवा हो जाएगा। इसीलिए हमारी यह प्रार्थना है कि आप इससे बचो। यह चीजें क्यों बढ़ती है? 

जैसे घी आग में पड़ने पर उसे बढ़ा देता है ऐसे ही गलाने हेतु मिर्च मसाला घी आदि उत्तेजित चीजें डाल कर पकाए गए पशु पक्षियों का मांस कामवासना को बढ़ा देता है। और अगर किसी पियक्कड़ ने अगर ये समझा दिया कि अल्कोहल पेट में पड़ी हुई चीजों को गलाता है और पीने लग गया तो सारा ज्ञान खत्म हो जाता है। नशे में अपनी मां, बेटी को भी नहीं पहचान पाता है। इसलिए हमेशा ध्यान रखो। मांसाहार अंडे से बनी हुई कोई चीज पेट में न जाने पावे। अपने परिवारजनों, बच्चों सबको आगाह कर दो, समझा बता दो कि ऐसा काम न करो कि जिससे यह जान ही चली जाए, कम उम्र में ही मजबूरन यह शरीर छोड़ देना पड़े, भजन इबादत में मन न लगे और समय निकल जाए। इसलिए बराबर समझाते रहो।

कर्मों की वजह से साधना रुक जाती है

महाराज जी ने 5 अगस्त 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि बहुत से लोगों की साधना पिछले कर्मों की वजह से, प्रारब्ध यानी संचित कर्मों की वजह से रुक जाती है। बहुत दिन तक पड़ी रहती है। तब पिछले जन्म में वाणी से किये अपराध को गुरु वाणी पढ़वा कर, प्रचार करवा कर कटवाते हैं। हाथ-पैर से बने अपराधों को, कर्मों को हाथ-पैर से सेवा करवा करके कटवाते हैं। तभी तो कहा जाता है जब ध्यान-भजन न बने तो प्रार्थना पढ़ने लग जाओ, दूसरे को उपदेश करने समझाने लग जाओ, भटकते को सही रास्ते पर चलाने लग जाओ तो वह कर्म कट जाएंगे। फिर साधना में आगे बढ़ जाओगे। और यदि पुराने कर्म हल्के रहे तो वह साधना में खत्म हो जाते हैं। जीवात्मा जब निकलती है तो उसकी ताकत फोर्स से वह कर्म खत्म हो जाते हैं। जैसे मेले में गोल घूमते झूले में बैठे लोग दूर जाते फिर पास आते हैं ऐसे ही कर्म भी आते रहते हैं। झूले में कोई वजनी आदमी बैठ गया या किसी में दो किसी में एक बैठ गया तो ऐसे ही कर्मों का रहता है। कभी तेज कभी कम। सतगुरु दयालु होते हैं। समरथ गुरु अगर मिल जाए तो एकदम से उनकी दया होती है, एकदम से खिंचाव करते हैं तब यही जीवात्मा बहुत तेजी से इधर से उपर की और निकल जाती है और फिर वह रोकने रुकने वाले कर्म खत्म हो जाते हैं।

आज्ञाकारी किसे कहते हैं

महाराज जी ने 11 अगस्त 2020 को उज्जैन आश्रम में बताया कि आज्ञाकारी उसे कहते हैं - जो गुरु कहे करो तुम सोई। जो वह कह दे करो, उसमें विचार-विमर्श न करो, चल पड़ो। आप समझो आग में भी अगर कूदने को कह दे तो तुरंत कूद पडो। अग्नि का प्रभाव नहीं होगा, अग्नि भी दया कर देगी। बाबा उमाकान्त जी का सतसंग व नामदान कार्यक्रम 23 नवंबर 2022 प्रातः 11 बजे से ग्राम- पतराजपुर, बिसलपुर रोड, निगोही, शाहजहांपुर (उ.प्र.) में समय परिस्तिथि अनुकूल रहने पर होगा।

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