- कोरोना में बाकी देशों की अपेक्षा धर्म परायण भारत देश में मृत्यु दर कम थी
- लोगों को शाकाहारी नशामुक्त बनाने, नामदान दिलाने में आपकी तन मन धन की सेवा आपके कर्मों को काटने में, भजन में बनेगी सहायक
रीवा (मध्य प्रदेश)। निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 18 नवंबर 2022 प्रातः रीवा (म.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि त्रेता का इतिहास मिलता है किसान खेत पर खड़ा होकर पानी मांगता था, बादल आकर बरस जाते थे लेकिन सतयुग में तो मांगना भी नहीं पड़ता था। एक बार बो करके चले आते थे। जिस भी खेत को जब भी जरूरत पड़ती, उस खेत में बादल आकर करके पानी दे करके चले जाते थे। सतयुग में एक बार लोग बोते और 27 बार काटते थे।
सतयुग का इतिहास लोग कम पढ़ पाते हैं, उस समय सिर्फ संस्कृत भाषा थी
सतयुग में केवल संस्कृत भाषा चलती थी। संस्कृत में लिखा होने से लोग कम जानते हैं। त्रेता और द्वापर का इतिहास अवधी हिंदी में लिखा गया यह भी पहले संस्कृत में था। गोस्वामी जी ने पहले घट रामायण की रचना किया। जब लोग नहीं समझ पाए तो हिंदी भाषा अवधी भाषा में रामचरितमानस की रचना कर दिया। राम का चरित्र जो मानस के अंदर में हो रहा है वह लिखा।
सतयुग आ जाए तो सब समस्या हो जाए दूर
लेकिन यह भी आपको बता दें जब एक युग बदलता है, दूसरा युग आता है तो जैसे एक गद्दी पर दो राजा एक साथ नहीं बैठ सकते। एक जब हटेगा तब दुसरा आएगा। आसानी से जगह कोई नहीं छोड़ता है। किराएदार से मकान खाली करने में कितनी दिक्कत होती है क्योंकि मन उसका उसी में लग जाता है। कुछ लोग नये बनाए मकान में जल्दी नहीं जाते, 6-6 महीने बंद पड़ा रहता है। जल्दी मन नहीं कहता है पुराना छोड़ कर नए में जाने को। ऐसे ही ये आपका मनुष्य शरीर भी किराए का मकान है। खाली करना पड़ेगा। नहीं खाली करोगे तो इसका मालिक वह भगवान जबरदस्ती खाली करा लेगा। कलयुग जाना नहीं चाहेगा और सतयुग आना चाहेगा। दोनों में हो जाएगा संघर्ष। नहीं हटेगा तो मार के भगायेगा। तो ये जाते-जाते कलयुगी प्रेमीयों को साथ ले जाएंगा। लाशों पर लाशों का होगा नजारा, सुनते तो जाओ संदेश हमारा, उठाने वाले न मिलेंगे यार, जमाना बदलेगा।
कोरोना में बाकी देशों की अपेक्षा धर्म परायण भारत देश में मृत्यु दर कम थी
कोरोना में देखा आपने कि कितने मरे। तमाम को तो गिद्ध-कौवा खा गए। छिपा दिया समाचार को। दूसरे देशों में बहुत मरे। हिंदुस्तान धर्म परायण देश में तो फिर भी कुछ कम मरे। यह है कुदरती कहर, कुदरत का थप्पड़ और लप्पड़। जैसे त्रेता में राम ने मारा- एक लाख पूत सवा लाख नाती, तह रावण घर दिया न बाती। और कृष्ण ने जब थप्पड़ मारा तो 56 करोड़ यदुवंशियों को 1 घंटे में और 11 अक्षुण्णी सेना को 18 दिन में खत्म करा दिया। ऐसे युग बदलता है। तो परिवर्तन के समय मरते हैं लोग।
जड वस्तु जो एक से दूसरी जगह आ-जा न सके। जैसे धान, ज्वार, गेहूं, चना, बाजरा आदि। चेतन को, मांस को खाने लग गए तो देखो कितने भयंकर-भयंकर रोग आ गए। बिमारी अभी आपने क्या देखा है? अभी तो आगे रोगों की भरमार लगेगी। अगर लोग शाकाहारी नशा मुक्त नहीं हुए तो ऐसी-ऐसी बीमारियाँ तकलीफें आएँगी कि चट मंगनी पट ब्याह की तरह देखने को मिलेगा कि रात को सोयेंगे और सवेरा नहीं देख पाएंगे।
बराबर लोगों को समझाते रहोगे तो सतयुग देखने के लायक बन जाएंगे
लोगों को समझाओ कि कुदरत ने ही मनुष्य का अलग भोजन आहार बना दिया। बार-बार समझाते रहोगे तब इनके समझ में आ जाएगा, बदल जाएंगे। तब यह सतयुग देखने के काबिल बन जाएंगे। जिन बाल-बच्चों के लिए दिन-रात दौड़ते रहते हो, उनको भी सुख व लाभ मिलेगा। प्रचार प्रसार में, शाकाहारी नशामुक्त लोगों को बनाने में, नामदान दिलाने में आपकी तन-मन-धन की सेवा आपके भजन में, आपके कर्मों के काटने में साधक बन जाएगी। आज से ही आपको सेवा का, रोज सुमिरन ध्यान भजन करके मालिक के दरबार में हाजिरी देने का का संकल्प बनाना चाहिए।
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