परमार्थ का कार्य करने का मौका जवानी में ही होता है

  • भक्तों को कार्यक्रम की व्यवस्था की, नयों की सुविधा की चिंता होनी चाहिए
  • मां के कर्जे से तो कोई उद्धार हो ही नहीं सकता है

उज्जैन (म.प्र.) । निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 1 सितंबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह ऐसी दौलत विद्या है जिसे कोई भी किसी भी उम्र में पा सकता है। 

जवानी में ही परमार्थ कमाया जा सकता है

जवानी में जब मिल जाता है तब उसको दूसरों के लिए काम करने, परोपकार करने का मौका रहता है। और हाथ पैर ढीले होने पर ये दौलत मिली, तरक्की भी कर गया पर परमार्थ, दूसरों का हित नहीं कर पाता है। गोस्वामी जी को जवानी में ही मालिक की प्राप्ति हो गई थी तो उन्होंने कितना बड़ा काम किया। लोगों को किस तरह से पथ दिया और अगर उस पथ पर लोग चलने लग जाए,  महापुरुष राम को उन्होंने आगे बढ़ाया, हाईलाइट किया, उनके आदर्शों को बताया-सिखाया, रहन-सहन के बारे में बताया कि उस तरह का रहन-सहन बना लो, वैसे आदर्श पर अगर चलने लग जाओ तो तुम्हारे अंदर ज्ञान हो जाएगा, आध्यात्मिकता आ जाएगी। तो यह ऐसी दौलत है किसी को कभी भी प्राप्त हो सकती है। बस प्राप्त करने के लिए पात्र बन जाए, लायक बन जाए।

भक्तों को कार्यक्रम की व्यवस्था की चिंता होनी चाहिए

महाराज जी ने 30 दिसंबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि जो लगातार सेवा नहीं करते रहते हैं उनके अंदर से सेवा की प्रवृत्ति खत्म हो जा रही है और वह सेवा करके अपने कर्मों को काटने के बजाय दूसरे के कर्मों का बोझा लेते जा रहे हैं। अपने पुण्य, अच्छे कर्मों में से कटवाते जा रहे हैं। सेवा जब करेगा तब अच्छे कर्म बनेंगे, उसका लाभ मिलेगा। और जब सेवा करवाएगा तो सेवा करने वाला ले जायेगा। इसलिए हमेशा प्रेमियों सेवाभाव रखना चाहिए। और अपना समझ करके ऐसे कोई (सतसंग) कार्यक्रम हो 10-20-50-200 जितने भी लोगों का आना-जाना हो तो सभी प्रेमी गुरु भक्तों को व्यवस्था की चिंता होनी चाहिए। कैसे होगी? सतसंग सुनने, नामदान लेने नया आदमी आएगा जो सेवा जानता ही नहीं कि क्या चीज होता है, उसको दो रोटी, सोने की जगह, पानी बिजली टट्टी मैदान की सुविधा मिल जाए, यह भाव आप पुराने लोगों में होना चाहिए।

मां के कर्जे से तो उद्धार हो ही नहीं सकता है

महाराज जी ने 3 अगस्त 2020 सायं उज्जैन आश्रम ने बताया कि मां पेट में रखती है। जब बच्चा पैदा होता है तब टट्टी पेशाब साफ करती है। खुद गीले में सो जाती लेकिन उसके लिए सूखा बिस्तर करती है। मां बच्चे के लिए बड़ा त्याग करती है। मां के कर्ज से तो कोई उद्धार हो ही नहीं सकता है। आजकल के फटा पैन्ट पहनने वाले लड़के तो मां-बाप को घर से ही बाहर निकाल देते हैं जब ऊंची एड़ी की चप्पल बनियान और अंडरवियर पहनने वाली लड़की से शादी कर लेते हैं। तब तो कहते हैं अनपढ़ मां हमारे यहाँ एडजस्ट नहीं हो पाएगी, इनको तो कह दो वही रहे। रुपया पैसा दे दो इनको, अपना वहां घर पर ही रहे। कर्तव्य को आदमी जब भूल जाता है तब कहां से शक्ति आएगी? ताकत नहीं आ सकती।

किसी चीज को देर तक मत देखो

महाराज जी ने 23 जुलाई 2022 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि साधक को सबसे ज्यादा परेशान आंखें करती है। आंखों के पास उसका जोर होता है। आंखों को देखकर के साधक के अंदर उसका अक्स उतर आता है। जिसको भी देखता है उसका अक्स आ जाता है जैसे सीसीटीवी कैमरा बराबर अपने अंदर उतारता रहेगा और बराबर कभी भी कोई भी उसको देख सकता है ऐसा सिस्टम रहता है। ऐसे ही अंदर में उसने कैमरा लगा दिया है जिसमें वह एक तरह से सुरक्षित हो जाती है जिस चीज को देखते हो। इसीलिए सन्तमत में कहा गया कि किसी चीज को देर तक मत देखो। अगर देखोगे तो उसकी तरफ आकर्षित हो जाओगे। उससे मोह पैदा हो जाएगा। फिर उसको पाने की इच्छा करोगे। देखो तो दिल में न उतर पावे। दिल में अगर उतर गया, कैमरे में कैद हो गया तो फिर उसका छूटना मुश्किल होता है।

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