ऑनलाइन और टेलीफोन से नामदान क्यों नहीं दिया जाता है, आइए जाने

  • आध्यात्मिक ज्ञान से दुनियावी अनुभव भी हो जाता है
  • गुरु महाराज समय के बड़े पाबंद थे

उज्जैन (म.प्र.) । निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 अक्टूबर 2022 प्रातः श्रीमाधोपुर सीकर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि नामदान के समय बताई गयी साधना जब करोगे तो जिसे अनहद वेदवाणी आकाशवाणी कहते हैं, जो इन देवताओं के मुंह से निकल रही है, वो आवाज सुनाई पड़ेगी। उसे सुनने पर मस्त, खुश हो जाओगे और दूसरे को बताने लगोगे। लेकिन जैसे ही बताओगे वैसे ही वह बंद कर देगा। फिर वह चीज न दिखाई पड़ेगी न सुनाई पड़ेगी। इसलिए बताना मत। और आप अगर बता दोगे तो उसका कोई फायदा होने वाला नहीं है। क्योंकि जिसको आदेश होता है, उसके मुंह से सुनना जरूरी होता है। पीपल, पाकड़ और रसाल इन पेड़ों का फल अगर जमीन में गिर जाए तो जमता नहीं है। पक्षी जब खाता है बीज जब नीचे गिरता है तब बीज जमता है। ऐसे ही उनके (वक़्त के गुरु के) मुंह से सुनना जरूरी होता है इसलिए ऑनलाइन या टेलीफोन से नामदान नहीं दिया जा सकता है।

आध्यात्मिक ज्ञान से दुनियावी अनुभव भी होता है

महाराज जी ने 30 जून 2020 सांंय उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि बहुत से ऐसे सन्त महात्मा हुए जो कम उम्र में ही बहुत सा उपदेश कर दिए तो कोई कहे उनको जीवन का क्या अनुभव हो गया होगा। इस बात को समझो, जहां यह दुनिया का अनुभव खत्म होता है वहां से आध्यात्मिक अनुभव, आध्यात्मिक विद्या, आध्यात्मिक धन की शुरुआत होती है। जब उनकी आत्मा वहां (कुल मालिक के पास) पहुंच जाती है तो इस (दुनिया) का ज्ञान अपने आप सब हो जाता है। उसी तरह का मन, बुद्धि हो जाती है, उसी तरह से आत्मा प्रेरणा दे देती है और बहुत कम समय में, अल्पकाल में ही उनको बहुत सारा ज्ञान हो जाता है। व्यक्ति को गृहस्थी चलाने, समाज देश धरती पर रहने और इस धरती की सारी चीजों की जानकारी के साथ-साथ जीवात्मा के कल्याण के लिए भी जानकार गुरु की जरूरत होती है। यह जब मालूम हो जाता है कि उस मालिक ने परमात्मा ने यह मनुष्य शरीर खाने-पीने मौज मस्ती के लिए नहीं दिया है बल्कि इसे साफ-सुथरा रख कर के इससे अपनी आत्मा को जगाने के लिए मिला है। अब आत्मा कैसे जगेगी? आत्मा तीसरे तिल को फोड़ करके आगे बढ़ेगी। कैसे बढ़ेगी? वह तो एक तरह से यहाँ जम गई है और इस शरीर से कर्म होते गए और पर्दा पड़ता चला गया। तो वह पर्दा कैसे हटेगा? और कैसे यह आगे बढ़ेगी? जब समरथ गुरु मिल जाते हैं तो जैसे कुछ जगहों पर घूमते समय गाइड हमेशा साथ रहता है। जैसे कुछ तीर्थ  में पंडा लोग तीर्थ कराने समय बराबर ध्यान रखते हैं। अगर कोई बच्चे वाली औरत चली गई तो बच्चे को कंधे पर बिठा लेते हैं, कमजोर की गठरी भी उठा लेते हैं। ऐसे ही जब कमज़ोर ताकतवर कोई कैसा भी हो, जब समरथ ताकतवर गुरु मिल जाते हैं तो ऊपर जाने में भी मदद करते हैं। जो स्वयं बाधा को नहीं हटा सकता तो गुरु अपनी ताकत से हटा देते हैं लेकिन जिज्ञासु, प्रेमी होना चाहिए, उनसे प्रेम करने वाला होना चाहिए।

गुरु महाराज समय के बड़े पाबंद थे

महाराज जी ने 31 मई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में दिए संदेश में बताया कि गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) समय के बड़े पाबंद थे। हमको आपको गुरु महाराज से बहुत सी बातों की सीख लेनी चाहिए। अच्छे-अच्छे राजनीतिज्ञ जब गुरु महाराज से सवाल किए और गुरु महाराज ने राजनीति के बारे में जब उनको बताया तब हंस करके बोले महाराज जी आप तो कभी भी राजनीतिक में थे ही नहीं तो आपने यह सब कहां से सीखा? गुरु महाराज एक बार हमारे यहां गांव पर घर पर गए थे। आंगन में अंगूर का पेड़ लगा हुआ था और फल आ रहे थे, अंगूर लटक रहे थे। गुरु महाराज उसकी जड़ के पास गए देखे और हमारे भाई साहब से बोले इसमें गुड़ाई करके गोबर की खाद डालें तो यह फल बढ़िया मीठे हो जाएंगे। मतलब उन्हें सब प्रकार की जानकारी थी। 

सतसंग संदेश का ऑनलाइन सीधा प्रसारण

सन्त उमाकान्त जी का सतसंग प्रतिदिन प्रातः 8:40 से 9:15 तक (कुछ समय के लिए) साधना भक्ति टीवी चैनल और अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम (लाइव भी) पर प्रसारित होता है।

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