दादा गुरु जी के भंडारे से हुई बाबा जयगुरुदेव मंदिर की नींव खोदने की शुरुआत

  • बाबा जयगुरुदेव जी महाराज, दादा गुरु, देश-दुनिया और इस धरती के थे सपूत
  • गुरु महाराज के प्रेमी उनके उपदेशों को उजागर कर दो तो अभी सतयुग का नजारा दिखाई पड़ने लग जाएगा

बावल( हरियाणा)। निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, अपने गुरु के सच्चे सपूत, उनकी आन-बान-शान को बढ़ाने में निरंतर दिन और रात को एक कर देने वाले, अपने गुरु की याद में अपने गुरु से ही पूरी दया मेहर कृपा लेकर भव्य ऐतिहासिक विशाल अदभुत बाबा जयगुरुदेव मंदिर रूपी चिह्न बनाने वाले, सेवा करवा कर अपने भक्तों के कर्मों को कटवाकर सुख पहुंचाकर दुःखहर्ता कहलवाने के सच्चे हकदार, इस समय कलयुग में नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, वक़्त के सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 दिसम्बर 2022 प्रात: अपने बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि आज 4 दिसम्बर 22 को दादा गुरु जी (परम सन्त घूरेलाल जी महाराज) का भंडारा है। उनको इस धरती से गए हुए सात दशक से ऊपर हो गया। परमात्मा ने उनको भेजा, उनके अंदर शक्ति भरकर के आदेश दिया कि तुम जाओ, जीवों को जगाओ, जीवों का कार्य करो। लगभग 70 साल की उम्र तक वह इस धरती पर रहे। उन्होंने बहुत से लोगों को जगाया, बताया, समझाया, नाम का दान दिया।

दादा गुरु जी ने एक सपूत पैदा किया जो एक दशक पहले शरीर छोड़कर निजधाम चले गए

लेकिन उन्होंने एक आध्यात्मिक पुत्र को, सपूत को पैदा किया जिनका मंदिर बावल रेवाड़ी (हरियाणा) में बनाने के लिए हम सब लोग यहां पर आए हो, संकल्पित हो। वह कौन थे? एक दशक पहले वो इस दुनिया से अपना शरीर छोड़कर के निजधाम चले गए, सतलोक पहुंच गए, अनामी धाम पहुंच गए। ऐसे गुरु महाराजजो  बाबा जयगुरुदेव के नाम से जाने जाते थे। सपूत का काम क्या होता है? कहा गया है-

लीक-लीक कायर चले, लीके चले कपूत।

लीक छाड़ तीनों चलें, शायर सिंह सपूत।।

लीक यानी रास्ता। जो रास्ते को छोड़कर करके चलते हैं। पहले सड़कें नहीं हुआ करती थी तब रास्ता कच्चा होता था। उसको बहुत से लोग लीक कहते थे। रास्ते पर चलने वाले बहुत से लोग होते हैं लेकिन रास्ते से हट कर के जो चलकर के मंजिल तक पहुंच जाते हैं और लोगों को पहुंचा देते हैं वह सपूत हुआ करते हैं। सपूत को कोई सहारा की जरूरत नहीं होती है। अपने बल पर वह आगे बढ़ जाते हैं। शायर वो जो शायरी करते हैं, किसी की नकल नहीं करते। सवाल जवाब जब होता है, किसी ने सवाल कविता में किया तो कविता में तुरंत जवाब दे देते हैं, नकल नहीं करते, ऐसे ही सपूत भी रास्ता नहीं खोजते, चल पड़ते हैं।

अकेले अपने बल पर गुरु महाराज ने इतना बड़ा काम किया

दादा गुरु के जाने के बाद गुरु महाराज के गुरु भाइयों ने उनका साथ नहीं दिया। उनका काम अगर उनके प्रेमीयों, उजागर कर दो, लोगों को बता दो, जो उपदेश देकर के गए समझा दो, वैसा अगर करने लग जाए तो इसी धरती पर सतयुग का नजारा दिखाई पड़ने लग जाए।

दादा गुरु जी के भंडारे से नींव खोदना शुरू हो जाएगा

यह जगह चुनी गई। प्रयास तो और जगहों पर किया गया लेकिन सहमति नहीं बन पाई। यह जगह निश्चित की गई। इसका भूमि पूजन 2 दिसम्बर को हो गया। आज दादा गुरु के भंडारे से नींव खोदना शुरू हो जाएगा। पूजा उपासना उनसे हमने तो कर लिया है, अब  भी कर रहा हूं। आप लोगों को भी गुरु महाराज और दादा गुरु से प्रार्थना करना है कि हमको हौसला दीजिए, हमारा मनोबल टूटने न पाए, हम यह काम यहां पर कर ले जाये। बोलो जयगुरुदेव।

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