साधना में जब जीवात्मा शरीर से निकलने लग गई तो व्याकुल हो जाती है अपने पिता परमेश्वर के पास पहुंचने के लिए

  • बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने बताया अनामी धाम का भेद

उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उजैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 अगस्त 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि लिंग शरीर देवताओं और प्रेतों का होता है। उसके अंदर भी एक शरीर है जिसको सूक्ष्म शरीर कहते हैं। फिर एक कारण शरीर उसमें है। ये अलग-अलग तत्वों के हैं और इनका अलग-अलग भोजन, परवरिश होती है। जिस लोक में रहते हैं वहां भोजन खाते, भोग भी करते हैं। देवता दृष्टि भोग करके संतान उत्पन्न कर लेते हैं। कारण शरीर में आवाज से पैदा हो जाते हैं। अलग-अलग इनका लोक और सिस्टम है। लेकिन सब जीवात्माओं के ऊपर बंधन है। जीवात्मा  सतलोक से आई हुई है, सिस्टम से ही यह नीचे उतारी गई और सिस्टम से ही यह निकलेगी।

जीवात्मा शरीर से निकलने लग गई तो

महाराज जी ने 28 जुलाई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में  बताया कि एक बार अभ्यास अगर आपने कर लिया, जीवात्मा शरीर से निकलने लग गई तो आतुर हो उठती है निकलने के लिए। चलो चले फट से। दुनिया की चीजों से हट कर उधर (उपर की तरफ) हो जाता है फिर यह उड़ जाती है। ये तड़पती, विरह व्याकुल हो जाती है अपने पिता परमेश्वर के पास पहुंचने के लिए। रविदास समझ गए थे कि सब में परमात्मा के अंश (जीवात्मा) है। तमाम ऐसे उदाहरण है। नामदेव रोटी बनाकर रखे थे, घी लगाने जा रहे थे। तब तक कुत्ता आया और रोटी लेकर चल दिया। नामदेव बोले अरे प्रभु रुको बगैर घी के खाओगे? घी लगा देता हूं। किसको देखा उन्होंने? उसके मुंह, पैर, आंखों को नहीं देखा उसकी आत्मा को देखा। कहा है- 'सियाराम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोर जुग पानी। उनको हर चीज में उस मालिक की दया, अंश और ताकत दिखाई पड़ती है।

बाबा जयगुरुदेव जी  महाराज ने अनामी धाम का भेद बताया

महाराज जी ने 23 जुलाई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु महाराज अनामी धाम के थे। अनामी धाम का उन्होंने भेद बताया। कुछ लोगों को अनामी धाम दिखाए भी। जब वो आए थे तब सन्तमत का इतना विस्तार नहीं था लेकिन गुरु महाराज ने पूरा विस्तार किया। इस समय पर करोड़ों लोग देश में गुरु महाराज के मिशन के बारे में जान गए और गुरु महाराज को पहचान गए। बहुत से लोगों ने गुरु महाराज की शक्ति का भी अनुभव किया और अब भी अनुभव कर रहे हैं। जो उनके दिए हुए नाम की कमाई करने लग गए उनको पूरा विश्वास हो गया। आज भी बहुत से लोग गुरु महाराज का अंतर में दर्शन करते हैं और उनकी लीला को देखते हैं। कुछ लोग जो उनके जगाए हुए जयगुरुदेव नाम पर ही विश्वास किए, उनको दुनिया की चीजों का फायदा लाभ मिल रहा है लेकिन ऐसों का विश्वास थोड़ा डगमगता रहता है। जिनको नामदान दिए उन जीवों की डोर अपने हाथ में लिए हुए हैं। जैसे देखते हैं अब बहक रहा है तैसे डोर फिर खींच देते हैं, घूम करके आ जाता है लेकिन विश्वास में थोड़ी सी डगमगाहट रहती है। गुरु महाराज को लोग बाबा जयगुरुदेव जी महाराज कहते थे। अभी भी इसी नाम से जानते हैं क्योंकि उन्होंने जयगुरुदेव नाम को जगाया और जब मालिक से जोड़ा तो उनके अंग-अंग में जयगुरुदेव प्रभु की धार जयगुरुदेव नाम से उतर कर आई। जगह-जगह पर लोग मुसीबत तकलीफ में जयगुरुदेव बोले और गुरु महाराज दिखाई पड़े। आज भी बहुत से लोग मुसीबत में जयगुरुदेव नाम बोल कर के गुरु महाराज को देखते हैं, अनुभव करते हैं कि देखो यह हमको बचा रहे हैं और उन्होंने हमको बचा लिया। जो साधना करते हैं गुरु महाराज के रोम-रोम के पास के सुराख से जयगुरुदेव नाम की ध्वनि को सुनते हैं।

बराबर सतसंग के वचनों को याद रखना चाहिए

महाराज जी ने 30 दिसंबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि बराबर वचनों को याद रखना चाहिए। गुरु महाराज ने कोई चीज नहीं छोड़ी। इतना सतसंग गुरु महाराज ने अपने जीवन में किया कि जितना पिछले आये हुए सभी सन्त मिलकर नहीं सुनाए। कोई भी बात छोड़ी नहीं है। लेकिन आप उनको गुरु के वचनों को भूल रहे हो तो आपका मन नहीं रुकेगा। आपने नाम, रूप को याद कर लिया, सुमिरन ध्यान भजन भी करते हो लेकिन वचन को याद नहीं रखते हो, परहेज नहीं रखते हो। खानपान कैसा कहां, किसका साथ करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए? किस चीज से हमारा परमार्थी नुकसान होगा, कहां मन लग जाएगा तो फिर उसी में लग जायेगा? इस मन के माफीक कौन सी ऐसी चीज है जो पसंद आ जाए मन को और मन हमारे आंख कान नाक हाथ पैर शरीर को वहीं स्थिर कर दें- इसकी जानकारी होना जरूरी है। तो बराबर सतसंग के वचनों को याद करते रहना चाहिए और तुरंत उसको अमल करना चाहिए। अमल अगर नहीं करोगे तो भूल जाएगा। जैसे थ्योरी पढ़ाते और प्रैक्टिकल कराते हैं। जो प्रैक्टिकल बार-बार कर लेता है उसको याद हो जाता है। केवल पढ़ने वाला भूल जाता है। तो यह भूलने वाली चीज नहीं है, प्रैक्टिकल करने वाली चीज है। सुना जाए और जीवन में उतारा जाए और उसका परिणाम देखा जाए तभी तो आपको विश्वास होगा। जब तक देखोगे नहीं तब तक करोगे नहीं, अनुभव नहीं होगा तब तक विश्वास नहीं होगा।

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