राजकोष का पैसा इस समय लोगों के लिए जहर है

  • जानकर के गलती करने पर साधन भजन में तरक्की नहीं होती है
  • सेवा से ही मन साफ होता है

उज्जैन (म.प्र.) । निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उतराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 6 अगस्त 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सेवा से ही मन साफ होता, आदमी कर्मों से बचता है। नहीं तो किसी का भी अन्न खाया उसका असर आता है। जैसा साथ वैसा असर आ जाता है। जैसे चश्मा के शीशे पर गर्मी ठंडी कोहरा का असर आ जाता है। ऐसे ही अंतर में कांच है, अंतकरण जिसको कहा गया, उस पर कर्मों का असर आ जाता है। जैसे चश्मे पर जमी धूल कोहरा ठंडी बूंदों को साफ करने पर यह बाहरी आँखों को देखने में मदद करता है ऐसे ही जब अंदर के कर्म साफ हो जाते हैं तो अंदर की दृष्टि से देखने में मदद मिल जाती है। तो सेवा में लगो।

जानकर के गलती करने पर साधन भजन में तरक्की नहीं होती है

महाराज जी ने 3 अगस्त 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि अगर आपने गलती किया तो उसकी सजा मिलेगी। क्योंकि अनजान में बनी गलती की माफी हो जाती है लेकिन जान करके फिर करता है तो माफी नहीं होती है। और भजन साधन में तरक्की होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। इसलिए (अंडा मांस मछली शराब आदि नशा) छोड़ दो। जबान के स्वाद के लिए ही आपने खाया होगा, साथी ऐसे मिले होंगे, संगत ऐसी पड़ गई होगी जिन्होंने शराब पिला दिया होगा। तो अब अच्छे का साथ कर लो, छूट जाएगा, संगत का असर हो जाएगा। अच्छे का साथ करने से अच्छाई और बुरे का साथ करने से बुराई आती है। तो आप इन चीजों का सेवन मत करना और दूसरे की औरत के साथ बुरा कर्म मत करना क्योंकि भारत भूमि पर जब ऐसा होता है तब विनाश होता है।

राजकोष का पैसा लोगों के लिए जहर है

महाराज जी ने 1 अगस्त 2020 उज्जैन आश्रम में बताया कि आजकल का राजकोष का पैसा इस समय लोगों के लिए जहर है। जहां भी लगता है वहीं लोगों की दिल दिमाग बुद्धि खराब होती है। क्यों? क्योंकि जीव हत्या, मुर्गा, बकरा, गौ ह्त्या का पैसा टैक्स के रूप में आता है। सरकार ने लाइसेंस दे रखा है। शराब का, मांस को बाहर भेजने की आमदनी का पैसा आता है। वह पैसा खून के समान है। जैसे कोई दूध पिए और कोई खून पीना चाहेगा तो उसका क्या असर होगा। तो राजकोष का पैसा अच्छा नहीं होता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ