कोरोना तो एक ट्रेलर था, पिक्चर तो अब आगे शुरू होगी

बाबा उमाकान्त जी ने बताया दिल दिमाग बुद्धि वचन में ताकत कब आ जाती है

उज्जैन (म.प्र.)। बाहर दुनिया की तकलीफों में आराम दिलाने वाले, अंतर में साधना में दर्शन देकर जीवात्मा को मुक्ति-मोक्ष दिलाने वाले, समय का सम्मान करने की शिक्षा देने वाले, जल्दी से जल्दी तरक्की करवाने के लिए सीधे सार तत्व को ज्ञान को बतलाने वाले, अपने प्रेमियों के दिल दिमाग बुद्धि, वचन वाणी में ताकत भरने वाले, इस समय के युगपुरुष, त्रिकालदर्शी, दयालु, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने ने 19 जनवरी 2023 सायं मदुरै (तमिलनाडु) में दिये व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कोरोना आने के बहुत पहले ही मैं बोला था। ऐसी बीमारी आएगी की दवा खोजने में ही बहुत से लोग दुनिया संसार से चले जाएंगे। अभी आपने केवल ट्रेलर देखा है, पिक्चर तो आगे आएगी। लेकिन बचेगा साध जन कोई, जो सत्य से लौ लगाएगा, जो प्रभु को याद करेगा।

आप गुरु की एक-एक बात पर मरने-मिटने, कुर्बान होने के लिए कब तैयार हो जाओगे

आप लोग भाग्यशाली हो जिनको यह मनुष्य शरीर मिला और गुरु महाराज जैसे समरथ गुरु मिल गए। गुरु महाराज तो चले गए लेकिन प्रेमियों दया उनकी बराबर आपके साथ जुड़ी हुई है। उस दया को लेने के लिए, दया के घाट पर बैठने के लिए आपको थोड़ा सा संकल्प बनाना पड़ेगा। 24 घंटे में से 2 घंटे सुबह-शाम मिलाकर के समय देना पड़ेगा। जब ध्यान लगाओगे, दुनिया की तरफ से मन को हटाओगे, केवल प्रभु गुरु की तरफ लगाओगे, तड़प के साथ गुरु को पुकारोगे तो गुरु आपको मिलेंगे, दर्शन देंगे और जब गुरु की पहचान हो जाएगी तब आप गुरु की एक-एक बात पर मरने-मिटने, कुर्बान होने के लिए तैयार हो जाओगे। इसीलिए बराबर सुमिरन ध्यान भजन, जो गुरु महाराज का आदेश है, उसको करते रहो। आदेश के पालन को ही गुरु भक्ति कहते हैं। गुरु भक्ति पहले करो, पीछे और उपाय। मन के कहने पर मत चलो।

सतसंग, सेवा, भजन करते रहो

महाराज जी ने 15 जुलाई 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सतसंग की बातें करते, सुनते रहना चाहिए। जिनको जानकारी है उन्हें (दूसरों को) सुनाते रहना चाहिए। यह भी एक परमार्थी काम है। सेवा, भजन और सतसंग यह तीन चीजें हैं। कुछ न कुछ सेवा सबको करनी चाहिए। खाली नहीं बैठना चाहिए। गुरु को याद करो, गुरु के प्रेम में डूबे रहो। या तो शरीर से सेवा करो नहीं तो भजन करो। समय का उपयोग करो।

भजन करने से सब सीख जाओगे

भजन ही तो सार है। भजन कर ले जाओ, भजन में मन लग जाए तो सब काम बन जाए, सेवा करना, सतसंग सुनना-सुनाना सीख जाओगे, आप सब अच्छी बातें सीख जाओगे। और यह जो खराब मन है, खराब बातें जो मन में आती है सब थोथे की तरह से उड़ जाएगी, केवल सार रह जाएगा।

दिल दिमाग बुद्धि वचन में ताकत कब आती है? 

महाराज जी ने 3 अगस्त 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि जब (साधना में जीवात्मा) ऊपर निकलने, जाने लग जाओगे तो अपने आप इधर से उदासीनता हो जाएगी और शरीर में, बोली-वाणी में, दिल-दिमाग में ताकत आ जाएगी, युक्ति आपको मालूम हो जाएगी, कम करोगे ज्यादा मिलेगा। अभी ज्यादा मेहनत करते हो लेकिन उसका लाभ, मजदूरी कम मिल पाती है। और जब अक्ल बुद्धि तेज हो जाएगी तो थोड़ी मेहनत में ही आपको ज्यादा समय मिलने लगने लग जाएगा। यह बंधन धीरे-धीरे ढीले हो जाएंगे। परिवार वाले जब आपके शरीर की सेवा करेंगे तो आपके आशीर्वाद, दुआ से उनका भी दिल दिमाग बुद्धि तेज हो जाएगा। आपका कहना बच्चे मानने लगेंगे। नामदान तो आप दिला देते हो, भजन ध्यान के लिए कहते हो, नहीं करते हैं। 

लेकिन जब आपके वचन में ताकत, आप बात में वजन आ जायेगा तो आपकी आवाज को पकड़ लेता है और करने भी लगता है। तो इस तरह से यह बंधन कट भी जाएंगे। लेकिन अभी तो ढीला करो, उसके बाद फिर काटना। अभी आपसे कह दे बंधन काटो, निकल जाओ तब तो घर छोड़कर निकल जाओगे तो खाओगे कहां? घर में जिस चीज की आवश्यकता की पूर्ति होती है वह बाहर कहां मिलेगी? घर में तो आपका सब संसाधन है, सुनने देखने नभ्या जिभ्या आदि का संसाधन है, बाहर कहाँ मिलेगा? या तो चुराओगे, उसका पाप लगेगा, मारे जाओगे, शरीर की कुटाई होगी, जेल में बंद किये जाओगे। गलत काम करोगे तो उसकी अलग सजा मिलेगी। ऐसा काम नहीं करना है। ऐसा नहीं बता रहा हूं। इसीलिए यह सब सरल करना पड़ रहा है। इसीलिए कहते हैं काटो न बाहर का बंधन लेकिन ढीला करो।

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