नवसारी (गुजरात)। गुजरात से उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने नवसारी आश्रम सन्देश में बताया कि कोई किताबों को चालीसों-पचासों साल पढता रहे, किताबों से कोई ज्ञान होता है। कृष्ण का जब जाने का समय हुआ तो पांडवों ने कहा हमको भी लेते चलो। तब कृष्ण बोले मैं तुमको नहीं ले जा सकता हूं। मैं तो धर्म की स्थापना करने के लिए आया। उसके लिए तुमको समरथ गुरु के पास जाना पड़ेगा, योग साधना करनी पड़ेगी। उनकी जब दया होगी तब तुम धाम में पहुंच सकते हो। किताबों में, गीता में साफ-साफ लिखा हुआ है। रामचरितमानस में सब कुछ लिखा हुआ है। केवल पढो और बताया गया सुमिरन, ध्यान, भजन न करो तो आपको फायदा नहीं होगा। कागज में मुक्ति मोक्ष की शक्ति नहीं होती है क्योंकि वह जड़ चीजें आदमी को मुक्ति मोक्ष नहीं दे सकती हैं। समरथ सन्त सतगुरु को खोजो।
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