सन्तों के जाने के बाद उनकी समाधि बनाने, पूजा करने से काम नहीं होगा

नेतृत्व करने वाले को हर तरह की जानकारी होती है

मीरा तड़पती थी कि अंदर की बंद दया फिर से मिलनी शुरू हो जाए

विशेष संवाददाता 

रेवाड़ी (हरियाणा)। अपने गुरु की दया से परिपूर्ण, हर तरह की विकट परिस्तिथि में भी जो अपने गुरु के आदेश से एक इंच भी अलग नहीं हुए, जो अपने गुरु को सदैव हाजिर-नाजिर समझते हैं, जो इस समय के जीवित पूरे समरथ सन्त सतगुरु होने के नाते अब जीवों की मदद कर सकते हैं, कर रहे हैं, पुराने सभी सन्तों के दर्शन अब जिनमें होकर ही किये जा सकते हैं, समाज में भौतिक तरक्की पाने के सूत्र भी बताने वाले, अपने बच्चों से गलती पर गलती होने पर भी बार-बार माफ़ करने वाले परम दयालु, दुःखहर्ता, त्रिकालदर्शी, अन्तर्यामी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 25 सितंबर 2022 दोपहर धारूहेड़ा, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जिसके अंग-अंग में गुरु समाए हुए रहते हैं, उसकी गुरु के प्रति एक रस भक्ति होती है। गुरु कैसे समायेगे अंग-अंग में? गुरु मनुष्य शरीर में रहते हैं, गुरु की दया (उनमें) समाई हुई रहती है, हर तरह का भौतिक और आध्यात्मिक अनुभव उनको रहता है। वो लोग हमेशा जुड़े रहते हैं जो गुरु के आदेश पर मरने-मिटने के लिए तैयार हैं, जिनको गुरु की दया अंदर में मिल गई है। पत्थर से मारने पर भी वह नहीं हट सकते हैं। गुरु की दया ही मिली हुई थी ईसा मसीह को, मीरा को, शम्स तबरेज को कि जिसकी वजह से पत्थर खा लिया, सूली पर लटके, मार दिए गए, दीवारों में चुनवा दिए गए। गुरु की दया किसको मिलती है? जो गुरु को हमेशा मस्तक पर सवार और हाजिर नाजिर समझते हैं। मनुष्य शरीर में ही गुरु मिलते हैं। जो उस समय पर ऊपर से पावर लेकर के आते हैं, वह गुरु हमेशा रहते हैं। वह जब मिल जाते हैं, एक जगह पर रहते हैं लेकिन उनकी दया, उनकी याद हमेशा जिसके सर पर रहती है, हमेशा वह समझते हैं कि जो मैं कर रहा हूं, गुरु देख रहे हैं, जो मैं कह रहा हूं, गुरु उसे सुन रहे हैं, जो यह भाव रखते हैं, वह हमेशा एकरस रहते हैं। उनको काल कभी रोके नहीं, देवे राह बताय। भौतिक कामों में भी काल नहीं रोकता है और अंदर में भी गुरु की दया मिलती है।

सन्तों की जाने के बाद उनकी समाधि पूजा से काम नहीं होगा

महाराज जी ने 25 सितंबर 2021 दोपहर पालघर (महाराष्ट्र) में बताया कि गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी पूरे सन्त थे। इनके अलावा भी सन्त हुए हैं। दादा गुरु घूरेलाल जी महाराज, उनके गुरु विष्णु दयाल जी महाराज, शिव दयाल जी महाराज जिन्होंने राधास्वामी नाम को जगाया, कबीर साहब, नानक जी, गोस्वामी जी आदि पूरे सन्त थे। लेकिन उनका नाम लेने से, उनकी पूजा करने से, उनकी समाधि बना लेने से अब काम चलने वाला नहीं है। उनका समय था, चले गए। मनुष्य शरीर में आए थे, जब मौजूद थे, (नाम की दौलत को खूब) बांटा, उन्होंने लोगों की मदद भी किया था लेकिन अब तो खाली उनका नाम-नाम रह गया। जैसे समय के (यानी जीवित) डॉक्टर, शिक्षक, ड्राईवर की जरुरत होती है ऐसे ही इस समय के सन्त सतगुरु की जरुरत रहेगी अपना असला काम करने के लिए।

हर चीज की जानकारी रखने वाला लीडर मैनेजर ही सफल नेतृत्व कर पाता है

महाराज जी ने 21 दिसंबर 2022 प्रातः बावल आश्रम रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि बादशाह, लीडरी, नेतृत्व करने वाला वही कामयाब होता है,  जो हर चीज की जानकारी रखता है। वही मैनेजर होता है जो सब चीज की जानकारी रखे, कंपनी वाले उसी को मेनेजिंग डायरेक्टर बना देते हैं कि यह मैनेजरों को ही चला लेगा, बता, समझा देगा, ये तो मल्टी परपज आदमी है।

अंदर की बंद दया फिर से मिलनी शुरू हो जाए

महाराज जी ने 29 मार्च 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि साधना में जो भी अंदर में देखो-सुनो उसे किसी को बताना मत। बता दोगे तो बंद हो जायेगा फिर तड़प पैदा होती है जैसे मीरा तड़पती थी, रात दिना मोहे नींद न आवे, भावे अन्न न पानी रे। कहती थी कोई भी वैद्य मिल जाए जो युक्ति रास्ता बता दे, हमारी तकलीफ को दूर कर दे कि उसकी (प्रभु गुरु की) दया हमारे ऊपर उतरने लग जाए, जैसे पहले (अंतर में) रस, आवाज सुनने को मिलती थी, जिस तरह से दया पहले हो रही थी, अब नहीं मिल रही है, अब वह दया फिर से मिलनी शुरू हो जाए। ऐसे ही अगर बता दोगे तो परेशानी आएगी, तड़प पैदा होगी। तो बताना मत। आगे बढ़ते जाओ। बीच में जब बाधा आती है, गुरु को याद किया जाता है, गुरु मदद करते हैं और बाधाएं हट जाया करती है। किसी को बताना मत। तो जो भी दिखाई पड़े, और यह पांच नाम, पांच रूप, पांच स्थान, पांच की आवाज जो मैं आपको (तत्कालीन सतसंग में) बता रहा हूं, इसको किसी को मत बताना।

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