जैसे बीमा एजेंट को बाद में भी कमीशन मिलता रहता है, ऐसे ही लोगों को आध्यात्मिक लाभ पहुँचाओगे तो आपको भी मिलेगा

जो सेवा करता है, उसका दिल-दिमाग सही रहता, सम्मान-इज्जत भी मिलती है

सेवा करने का नियम बनाना चाहिए - बाबा उमाकान्त जी महाराज

सीकर (राजस्थान)। सेवा न करने के तमाम बहानों से आगे बढ़ कर, प्रतिकूल परिस्तिथियों में भी सेवा कैसे कर सकते हैं, इसे उदहारण समेत समझाने वाले, सेवा करने वाला तो सेवा कैसे भी ढूंढ ही लेता है तो सेवा कर अपने कर्मों को काटने और गुरु का प्यारा बनने की प्रेरणा सबको देने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 10 अगस्त 2021 दोपहर सीकर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सेवा का नियम बनाना चाहिए। जब भजन में मन न लगे तब सेवा करो। कुछ न कुछ सेवा की आदत सबको डालनी चाहिए। नहीं समय है तो फोन से बात करके भाव भक्ति की बात कर लिया, भाव भर दिया। या किसी अच्छे समझदार से कुछ गुरु चर्चा सुन लिया तो भी भाव बन जाता है। एक पुराने सतसंगी बहुत बुड्ढे हमको मिले। गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) के समय के पुराने लोगों ने भी गुरु की दया का खूब अनुभव किया। तो वह बताने लगे सब बातें, हमको भी अच्छा लगा। पुरानी बात बता रहे थे। बोले कि अब तो कुछ नहीं हो पाता है। हमने कहा चाचाजी इस उम्र में अब आपसे क्या हो पाएगा? 

उमर तो निकल गई। वो बोले बात तो आप सही कह रहे हो लेकिन मैं गुरु को भूला नहीं हूं, गुरु के रास्ते पर चल रहा हूं और लोगों को चलाने में लगा हुआ हूं। मै तो कुछ कर नहीं पाता हूं। भजन नहीं कर पाता हूँ लेकिन भजन के लिए लोगों को प्रेरणा देता हूं। सुबह 3:45 बजे से ही लग जाता हूं और 20-30 लोगों को फोन करता हूं कि भाई उठ जाओ, भजन कर लो, कर लो जवानी में, जब तक ताकत है तब तक कर लो नहीं तो फिर नहीं कर सकते हो। जब उमर हो जाएगी, हाथ-पैर ढीले पड जाएंगे, न बैठ सकते हो और न लेटे-लेटे कर सकते हो। कान में उंगली लगाओगे तो वो भी निकल जाएगी। तो बराबर हम लोगों को प्रेरणा देते रहते हैं और 1-2 दिन लगातार जगाते हैं। जब स्विच ऑफ मिलता है या नहीं उठाता है तो समझ लेता हूं वह बैठ गया। तो मैं यही काम करता हूं। यह भी एक सेवा है। (गुरु के मिशन को आगे बढाने के लिए) किसी से बात कर लिया, कोई योजना बना लिया, ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ दिया, किसी काम में लगा दिया। इस मिशन में तो भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की जरूरत है। 

1-2-4 आदमी से काम होने वाला नहीं है। अगर आपको गुरु का नाम-काम बढ़ाना है, गुरु का नाम फैलाना है, अपना (असला) काम करना है, आध्यात्मिकता का विकास करना है तो उन लोगों का विकास कराना पड़ेगा। तो अकेला आदमी कोई कहां तक जा सकता है? और अगर आप एक आदमी को समझा दो। एक दस को समझाने लगे तो अभी नामदान लेने, भजन करने के लिए वही सौ आदमी तैयार हो जाएंगे। उसमें से कुछ का ही अगर काम हो गया तो भी आपको फायदा तो होना ही होना है। जैसे बीमा एजेंट को काम छोड़ने पर भी कमीशन मिलता रहता है, ऐसे आप को भी निरंतर मिलता रहेगा।

सेवादार का दिल-दिमाग सही रहता है : महाराज जी ने 11 अगस्त 2021 सायं सीकर (राजस्थान) में बताया कि जो सेवा करता है उसका दिल-दिमाग, बुद्धि सही रहती है। कर्म ज्यादा नहीं आते हैं। और जो सेवा ज्यादा लेते हैं, करवाते हैं, उन पर सेवा करने वाले के कर्म आ जाते हैं। इसीलिए कहा गया, दिल-दिमाग से करो, शरीर से करो, कैसे भी करो, कुछ न कुछ सेवा करते रहो जिससे कर्म न आवे।

सेवादार को सम्मान व इज्जत भी मिलती है : महाराज जी ने 3 अक्टूबर 2021 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि सेवा करने से शरीर को सम्मान मिलता है। चाहे धन की, चाहे शरीर की, चाहे बुद्धि की सेवा हो, कोई करता हो तो सम्मान, इज्जत मिलती है। लेकिन जो इज्जत के लिए ही न करें तो उसे इज्जत सम्मान तो मिलेगा ही लेकिन केवल सेवा की तरफ ध्यान रहे, नहीं तो अहंकार आ जाएगा। (करा कराया सब गया जब आया अहंकार)।

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