बैठक के भाग के रूप में आयोजित भ्रमणों के दौरान प्रतिनिधियों को आधुनिकता और परंपरा का मिश्रण देखने का अवसर मिलेगा। प्राचीन बावड़ी अडालज वाव में भारत की प्राचीन जल प्रबंधन पद्धतियों का प्रदर्शन किया जाएगा और साबरमती साइफन में भारत की इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा। प्रतिनिधियों को विशेष रूप से नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों के माध्यम से गुजरात की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं का अनुभव करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा उन्हें अपनी यात्रा के दौरान स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखने का अवसर भी मिलेगा।
सम्मेलन का आरंभ जल शक्ति मंत्रालय के नेतृत्व में जल संसाधन प्रबंधन पर एक साइड इवेंट के साथ होगा, जिसमें जी-20 सदस्य देश इस विषय के संबंध में सर्वोत्तम पद्धतियों पर प्रस्तुतियां देंगे। अंतिम दिन और भी तकनीकी सत्र होंगे और अंतिम मंत्रिस्तरीय वक्तव्य की रूपरेखा पर चर्चा होगी। यह जानकारी आज पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव नीलेश के साह और जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध यादव, नमिता प्रसाद, संयुक्त सचिव, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विवेक कपाड़िया, निदेशक, सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी।
बैठक के दौरान जल शक्ति मंत्रालय के तहत विभिन्न संगठन अटल भुजल योजना, स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन, नमामि गंगे, जल शक्ति अभियान, राष्ट्रीय जल मिशन आदि विषयों पर स्टाल लगाएंगे और प्रतिनिधियों को अपने उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों की जानकारी देंगे। ईसीएसडब्ल्यूजी की दूसरी बैठक सतत और लचीले भविष्य के प्रति जी-20 देशों, आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रयासों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से प्रत्येक के तहत परिणाम प्राप्त करने और सभी के लिए स्थायी भविष्य प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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