जीव अगर सतगुरु के आदेश का पालन न कर पाए तो लगता है दोष

  • चाहे रैन में या बैन में या सैन में हो, जो वक्त के सतगुरु का इशारा समझते हैं, वो उठा लेते हैं फायदा

इंदौर (मध्य प्रदेश)। जिनके आदेश के अक्षरशः पालन करने से सब काम बन जाते हैं, जो बार-बार जीवों को इस संसार की नश्वरता के बारे में चेताते रहते हैं, आत्मा को परमात्मा से मिलाने वाले, इस समय के परम सन्त, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 30 मार्च 2023 प्रात: इंदौर आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कुछ लोगो को संकेत दिया जाता है। आदेश और संकेत अलग होता है। अगर आदेश दे दिया जाए और आदेश का पालन जीव न कर पावे तो दोष लगता है। जो इशारा किया जाता है, इशारे को जो समझते हैं रैन बैन सैन में वह फायदा उठा लेते हैं। कुछ लोगों ने फायदा उठाया। उपवास किया, कुछ लोग कम खाए, कुछ लोग एक टाइम खाए, कुछ साग सब्जी ही खाए, उनको फायदा उसी हिसाब से हुआ।

चैत का महीना का मतलब

चेत जाओ। मोह निशाचर सोहन हारा, देखे सपन अनेक प्रकारा। तरह-तरह के सपने जो देख रहे हो, मकान जमीन -जायदाद, ऊंचे पद पोस्ट पर पहुंच जाओ आदि यह आपकी कल्पना कुछ समय के लिए है। यह चीजें अगर आपको मिल भी गई तो कुछ ही समय के लिए रहेंगी। जैसे सपने में पाया राज धन। कोई सपने में राजा बन गया लेकिन सवेरा होते ही वह सपना खत्म, राजपाट सब खत्म, जहां थे वही फिर पहुंच गए, उसी घर बिस्तर पर रह गए।

चेतो यह दुनिया की चीजें नहीं है अपनी

दुनिया स्वपनवत है। आपका मन जो इन चीजों की तरफ जाता है, यह सब नाशवान चीजें हैं। चेतो! यह सब चीजें अपनी नहीं है। इनको छोड़कर के जाना है। जहां जाना है वहां के लिए कुछ करना है। नहीं तो रास्ते में फंस जायेंगे। रास्ते में तो परेशानी होती है। अपने घर पहुँचने पर आराम मिलता है। इसलिए ऐसा काम करो कि अपने घर का, मालिक के पास पहुंचने का रास्ता खुल जाए और वहां आपका आना-जाना शुरू हो जाए। 

काल भगवान ने वरदान मांगा, जो जिसमे रहे उसी में रहे संतुष्ट

एक बार कोई कहीं चला जाता है उसको रास्ते की जानकारी हो जाती है जैसे रास्ते में पुलिया, बगीचा पड़ता है, स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं आदि। ऐसे ही जब आना-जाना शुरू हो जाएगा तब आप कभी भी आ-जा सकते हो। वह ऐसा रास्ता है कि इन बाहरी आंखों को बंद करोगे तो जाने लग जाओगे। आखिरी वक्त पर जब आंख बंद हो गई तो जा करके वही पहुंचोगे, जहां रोज का आपका आज-आना जाना है। न रास्ते में आपको कोई रोक पाएगा, न रुकना पसंद करोगे, न रास्ते की चीजें कोई आपको अच्छी लगेंगी। जैसे कोई अपने घर को बहुत अच्छा बनाता है। जब कहीं जाने लगा, रास्ते में कोई और अच्छा घर दिखा। वहीं उसमें उसका मन लग जाता और संतुष्टि हो जाती है। क्योंकि काल भगवान ने यह वरदान मांगा था, जो जिस में रहे, उसी में सुखी रहे। इसी तरह से यह जीवात्मा जब अपना असला घर देख लेती है, सतलोक पहुंचती है, अलख, अगमलोक में जब चली जाती है तब यह रास्ते में कहीं रुकना पसंद नहीं करती।

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