दो साल बाद भी स्व० घूरा राम के दरवाजे पर अखिलेश यादव का शोक संवेदना प्रकट करने नहीं पहुंचने पर दलितों में काफी आक्रोश



जयराम अनुरागी, ब्यूरो चीफ 

बलिया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बलिया में स्व० नन्दलाल गुप्ता, मनन दुबे के श्रंद्धाजलि कार्यक्रम के बाद समाजवादी युवजन सभा के निवर्तमान  प्रदेश अध्यक्ष अरविंद गिरि के पिता एवं छात्रनेता हेमन्त यादव के श्रद्धांजलि कार्यक्रम मे भाग लेने के बाद पूर्वांचल के दलितों के दबंग नेता रहे पूर्व मंत्री स्व० घूरा राम को साथ ही उनके भाई एवं भतीजे की कोरोना काल में असामयिक मृत्यु होने के बाद लगभग दो साल बीतने के बावजूद अभी तक उनके दरवाजे पर पहुंच कर शोक संवेदना नहीं प्रकट किये जाने पर जिले के ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के दलितो में काफी रोष व्याप्त है। दलितों के एक बहुत बड़े वर्ग का कहना है कि बलिया में दो बार आने के पहले स्व० घूरा राम के दरवाजे पर अखिलेश यादव को आना चाहिए था। यदि किन्हीं कारणों से  समय से नहीं आ पाये तो हाल ही में दो बार लगे कार्यक्रमों में ही स्व० घूरा राम के यहां शोक संवेदना प्रकट करने का कार्यक्रम लग जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

शोक संवेदना के मामलों में दलितों, पिछड़ो और मुस्लिमों के यहां नहीं जाने पर अखिलेश यादव इस समय सोशल मीडिया पर काफी निशाने पर है। अभी हाल ही में छात्रनेता हेमन्त यादव के यहां अखिलेश यादव का कार्यक्रम तब तय हुआ, जब उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर विरोध करने हेतु धमकियां देनी शुरु कर दी। चूकि दलितों का समाजवादी पार्टी से जुड़ाव नया - नया है, इसलिए यह वर्ग सोशल मीडिया पर चाहकर भी विरोध नहीं कर सकता। इस बात को समझते हुए सपा के जनपदीय नेताओं को घूरा राम के यहां भी शोक संवेदना कार्यक्रम लगवाना चाहिए। भले ही ये शोक संवेदना कार्यक्रम दो साल बाद ही क्यों न हो, लेकिन ऐसा होना चाहिए। इससे पार्टी को कई लाभ होंगे। एक तो दलितों को पार्टी से जोड़ने का एक बहाना भी मिल जायेगा और दुसरी बात की अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते जो कुछ दलित विरोधी फैसले लेने से प्रदेश के दलितों में जो नाराजगी है, उसे दूर करने का एक आधार भी मिल जायेगा।

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