परमार्थी बनो, परहित करो, मित्र, रिश्तेदार, सहयोगी, पडोसी सब को लाओ, लाभ फायदा दिलाओ

लाभ से चूकने की जरूरत नहीं, भंडारा कार्यक्रम में आकर दया का विशेष अनुभव करो

उज्जैन (म.प्र.)। बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस वक़्त के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 7 मई 2023 प्रातः उज्जैन (म.प्र.) में एनआरआई संगत को ऑनलाइन दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु महाराज कार्यक्रम का आयोजन करते रहते थे। 11 दिन, 7 दिन सतसंग सुनाते थे, मौक़ा देते थे तब लोग फायदा उठा पाते थे। प्रेमी हो उनकी दया का अनुभव करते आ रहे हो। आज भी गुरु की दया का अनुभव आप कर रहे हो। गुरु बराबर दया करते रहते हैं।

जो दूसरों को कहो उसे स्वयं भी करो

गुरु महाराज का वार्षिक भंडारा अपने लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं, पूजन करते हैं, अंतर में उनकी दया मांगते हैं। यह वार्षिक अवसर मिलने वाला है। 15, 16, 17 मई को 3 दिन का कार्यक्रम उज्जैन आश्रम पर होने जा रहा है। दया की जब बरसात होती है तो उसमें चूकना नहीं चाहिए। होगी वर्षा प्रेम की, भीगेंगे हम सब लोग। भीगने में संकोच नहीं करना चाहिए। जो दूसरों को उपदेश करो, समझाओ लेकिन खुद उस पर न चलो समझो तो क्या फायदा? हाथी के खाने दिखाने के दांत अलग। लोग ये ही समझेंगे कि ये तो हाथी का दांत है। जो समझाओ उसे खुद भी करो, खुद भी फायदा उठाओ तब तो बात बनेगी, आपकी सेवा कबूल होगी। खुद नहीं करोगे, चलोगे, केवल दूसरों को कहोगे तो सेवा नहीं हो पाएगी। इसलिए मौका अच्छा है। सबको निमंत्रण देंगे। आओ, गुरु महाराज का जो प्रसाद अपने हाथों से लेकर खा करके उसका फायदा देखिए। यहां होने वाले सतसंग के वचनों को सुनो, अच्छी बात को ग्रहण करो। लाखों के बीच में सामूहिक साधना करो। यह अवसर गुरु महाराज की दया से मिल रहा है, चूकने की जरूरत नहीं है।

परमार्थी बनो, परहित करो, सबको लाओ

चाहे गलत हो या अच्छा काम करने वाला हो, आदमी टीम बनाता है ताकि हमारे साथी बन जाएँ, हमको अपने मिशन में कामयाबी मिल जाए। ऐसे ही साधक साधकों की, धार्मिक लोग धार्मिक लोगों की, सतसंगी सतसंगीयों की टीम बनाते हैं। टीम में ज्यादा कामयाबी मिलती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि मेरा फायदा हो, दूसरों से मतलब नहीं। अपने फायदे के लिए आदमी सतसंग में आ जाता है, सतसंग सुनता, भजन ध्यान करता, दया दुआ लेकर के चला जाता है, डिस्चार्ज होकर के यहां आता है और मेंटली चार्ज होकर के यहां से चला जाता है। लेकिन और लोगों को लाभ नहीं मिलता। परिवारजन, मित्र, रिश्तेदार, पड़ोसी, सहयोगी आदि को लाभ नहीं मिल पाता है। तो आप उनको भी लाओ, उनको भी लाभ दिलाओ।

भाग्यशाली हैं जो नाम गुरु से हैं पाई, मगर वह धन्य गुरमुख हैं जो जीव सतसंग में लाई

वे बड़े भाग्यशाली हैं जिनको सतगुरु का दिया हुआ नाम मिलता है, नाम भजने का मौका मिलता है। लेकिन वह ज्यादा भाग्यशाली है जो जीव सतसंग में लाते हैं, सुधार देते हैं, उन्हीं का नाम है। जिन्होंने सुधारा उनका नाम इतिहास में आया। बुद्ध ने डाकू अन्गुल्माल को सुधारा, वाल्मिक ने रामायण लिख दिया। लेकिन देखो उनके समय के अन्य महात्माओं का नाम नहीं आया। कोशिश करो कि खुद भी जाएं, सतसंग सुने, लाखों के साथ ध्यान भजन करें, दूसरों को भी नामदान दिला दें। उसका अलग लाभ मिलता है। 

जैसे भूखे प्यासे को रोटी पानी खिलाते पिलाते हो, दुःख तकलीफ दूर करते हो तो उसका फायदा मिल जाता है, धन सम्मान आदि बढ़ जाता है ऐसे ही जीवों को नाम दान दिलाने, भजन कराने, जीवात्मा को ऊपर (के लोकों में) ले जाने, तरक्की कराने का जो काम करते हैं उनको ध्यान भजन में लाभ मिलता, बरकत होने लगती है। केवल मनुष्य ही परोपकार कर सकता है। परोपकार यानी एक-दूसरे के काम आना, भलाई कर देना, दुखी के दु:ख को दूर कर देना। यह जीवात्मा बहुत दुखी है। जब से अपने निज घर प्रभु के पास से आई, इस मनुष्य शरीर रूपी जेल में बंद हुई तब से बहुत दुखी है। हम आप मिलकर के इसके दुःख दूर कर दें प्रेमियों तो उसका बहुत फायदा लाभ होता है। लाभ से चूकने की जरूरत नहीं है।

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