न जानकारी में प्राकृतिक चीजों की बजाय उसी का महँगा इंजेक्शन केप्सूल खा रहे
उज्जैन (म.प्र.)। प्रकृति द्वारा मनुष्य के लिए बनाई गयी चीजों के बारे में बता कर स्वस्थ रहने के उपाय बताने वाले, समस्त विधान ज्ञान उपायों के ज्ञाता, आदि से अंत तक सब कुछ जानने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पहले की चीजें बहुत फायदेमंद होती हैं। अब उसी का इंजेक्शन, उसी का कैप्सूल बना दिया गया। नीम की, तुलसी की पत्ती खाओ, स्वस्थ रहो। पेट के सब कीड़े-फीडे खत्म। अब उसी का कैपसूल बना देते हैं। जलाकर, भून कर खोखे में भर देते हैं। हार्ट के मरीज को लहसुन फायदा करता है, गैस को खत्म करता है। लेकिन उसको खाएंगे तो कहेंगे मुंह का टेस्ट खराब हो जाता है। और उसी को डॉक्टर कैप्सूल में भरकर देता है तो पैसा भी देते और खा भी लेते हो। तो यह पुरानी चीजें, जितनी जड़ी-बूटी हैं, यह बहुत ही फायदेमंद है। जानकारी होनी चाहिए।
यह नियमावली में डाल दिया था दिनांकतरे पिवेत दुग्धम निशांतरे पीवे तिवारी यानी रात को दूध पीकर के सोने से सुबह पेट साफ हो जाता है। और सुबह उठकर पानी पियो तो पेट साफ होगा। और भोजनातरे पीवेत तक्रम सकृस तक्रम दुर्लभम्र। सकृस यानी इंद्र को भी छाछ मठ्ठा यानी पतला वाला दही दुर्लभ है। इतना फायदेमंद है। लेकिन उस समय सूरज निकलने से पहले लोग उठते थे। आज की तरह से 9 बजे नहीं। सुबह जल्दी उठते थे और 11-12 बजे के बीच में भोजन खा लेते थे।
आंखों को साफ स्वस्थ रखने का देसी नुस्खा
खाय के मूते सोये बायं, काहे वैद्य बसाए गाँव। पहले इतनी बीमारियां नहीं थी और न इतने बीमार न इतने अस्पताल थे। क्योंकि लोग संयम से रहते और नियम का पालन करते थे। बचपन से ही बच्चों को सिखाया जाता था कि इस तरह से रहो, करो, चलो। सुबह उठते ही थोड़ा सा अपना थूक निकाल कर दोनों आंखों में काजल की तरह लगाओ। उससे जाला माडा नहीं पड़ता था, आँखे एकदम साफ रहती थी। जो दिन भर की, रात की गंदगी मान लो आंख में जमा होती थी, आंखें जब थक जाती थी, तब गंदगी जमा हो जाती थी तो वह सब साफ हो जाती थी। शाम का रखा पानी लोटे से उपर से पानी डाल कर जैसे टट्टी में बैठते हैं, ऐसे बैठ कर चुल्लू में लेकर पियो। फिर दूर चलो तो मल पानी से ढीला पड़ कर आराम से टट्टी में निकल जाता।
मिठाई स्मरण शक्ति को खत्म कर देती है
महाराज जी ने 19 मार्च 2019 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि आदत पड़ जाय तो दाल चावल चुरा करके बेच करके गुड़ खरीद करके खाए। गुड ही खाये, रोटी खाना बंद कर दिया। अब अगर कोई मीठा खाने लग जाए तो शरीर पीला पड़ने लग जाता है। दिमाग काम नहीं करता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद तो बंद कर देना चाहिए। और अगर थोड़ा बहुत खाया भी जाए तो पसीना बहाया जाए, मेहनत किया जाए। नहीं तो बुड्ढे ने अगर गुड खाया, मिठाई खाई तो वह अपना घर, गली भी भूल जाता है, दूसरी तरफ चला जाता है, भटकता रह जाता है क्योंकि मिठाई स्मरण शक्ति को खत्म कर देती है।
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