शरीर से सेवा करने से सभी अंगों के कर्म कटते हैं : बाबा उमाकान्त जी


भल्ला साहब, जो जला-भुना कोई न खाए वो खाते, जो सेवा कोई न करे वो करते थे 

पुष्कर (अजमेर)। सेवा भजन का महत्त्व बताने वाले, भवसागर पार अपने मन के हिसाब से करने से नहीं बल्कि वक़्त के गुरु के द्वारा निर्धारित मानकों से ही होंगे, तो सबको गुरु मुख बनने की प्रेरणा देने वाले, पिछले महात्माओं के जीवन प्रसंग से शिक्षा देने वाले, देखने में साधारण लेकिन बड़ा गहरा प्रभाव डालने वाले आदेश देने वाले, इस समय के मनुष्य शरीर में मौजूद पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 3 जून 2023 को पुष्कर अजमेर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम तीन दिन का होगा। एक, दो और तीन जुलाई 2023 को। जहां जयपुर में अपने आश्रम में, ठीकरिया गांव के पास, उसी आश्रम के पास जमीन है, जहां पिछले साल हुआ था, वहीं पर होगा। बड़े कार्यक्रमों में गुरु की दया ऊपर से बरसती है। और गुरु मुख, गुरु भक्तों के लिए गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। और आप बहुत से लोग जाते हो सतसंग सुनने के लिए, पूजन का प्रसाद लेने के लिए, जिससे आपको हर तरह का फायदा होता है। 

आप उस फायदे को लोगों को भी दिलाओ, जो आपके मित्र रिश्तेदार पडोसी हैं, जो मुसीबत में तकलीफ में हंसी खुशी में काम आने वाले लोग हैं, उन्हें भी फायदा दिलाओ। जोर-शोर से तैयारी करो। बस भी उस समय सस्ते में मिल जाएंगी। बसों में भरकर आ जाओ। पूजन का प्रसाद दिलाओ। सतसंग सुनो सुनाओ, नामदान दिलाओ। भजन ध्यान सुमिरन जो होगा, उसमे  बैठाओ। वह भी तो समझे कि हमारे रिश्तेदार हैं, मित्र है, व्यापारी भाई, कर्मचारी भाई हैं। यह मौके का लाभ उठा लेना चाहिए। यही ज्यादा जरूरी है इस वक्त पर। नामदान देना, नामदान के बारे में समझना, प्रभु के बारे में समझना, मनुष्य शरीर के बारे में समझना, यह समझो नए लोगों के लिए ज्यादा जरूरी है। जो भी प्रचारक हो आप इन सबके बारे में लोगों को बताओ, समझाओ और जो नामदान ले लिए हैं, उनके लिए सुमिरन ध्यान भजन और प्रार्थना के बारे में जानकारी करना जरूरी है। इसमें लगन लगाना है, दुनिया की तरफ से मन  हटा करके इसमें लगाने की जरूरत है। 

शरीर से सेवा करो 

बाबाजी ने 8 मार्च 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि जब ध्यान भजन न बने तो प्रार्थना करो। उसमें भी जब मन न रुके तो सतसंगियों के पास चले जाओ जिसको साधक समझते हो, उससे पूछो, भाई मुझे ध्यान में दिखाई नहीं पड़ता, भजन करता हूं लेकिन सुनाई नहीं पड़ता है तो बताओ कैसे करें? तो बताएगा, इस तरह का खान-पान रखो, इस तरह का विचार-व्यवहार रखो, इन चीजों से बचो। फिर जब जानकारी हो जाएगी, करोगे तो उसका आपको फायदा हो जाएगा। और अगर ऐसे जानकारी का मौका न हो तो देखो मन किधर जा रहा है, किन अंगो की तरफ जा रहा है। जिस अंग से पाप होता है, उसी तरफ़ मन ले जाता है। तो आप उन अंगों से सेवा करो। और पूरे शरीर से सेवा करोगे तो सारे अंग के कर्म कटेंगे, पाप नष्ट होंगे। इसलिए  प्रचार-प्रसार में निकल पड़ो, शाकाहारी का संदेश देना शुरू कर दो, नामदानीयों की खोज करना, उन्हें नामदान समझाना शुरू कर दो। और भी बहुत सारी सेवाएं, जो दूसरों के लिए की जा सकती है, उस सेवा में लग जाओ, परोपकार में लग जाओ। 

सेवादार यह मत सोचो कि सिर्फ सेवा करके ही पार हो जाएंगे 

महाराज जी ने 8 मार्च 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सेवा करने वाले यह मत सोचो कि केवल सेवा कर के हम पार हो जाएंगे। घाट पर तो बैठना पड़ेगा। घाट पर नहीं बैठोगे तो कैसे पार होगे? यह जरूर है कि मेहनत करते हो तो उसका फल भजन में मिलेगा। सेवा का फल भजन में मिलता है लेकिन भजन जब करोगे तभी पार हो पाओगे। जो सुमिरन ध्यान भजन आपको बताया जा रहा है,जीवात्मा के कल्याण का केवल यही रास्ता है। मौका निकाल कर के सेवादार लोग आप भी कर लो। 

भल्ला साहब के प्रसंग से समझाई संगत में कैसी रहनी-गहनी बनानी चाहिए 

महाराज जी ने 6 अगस्त 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि भूख रूपी कुतिया को शांत करने के लिए जो भंडारे में जला भुना चावल रोटी बचा हुआ, उसको  (पेट में) डाल लिया करते थे। जिस सेवा को कोई न करे, वह सेवा वो करते थे। आश्रम की, भंडारे की सेवा बर्तन आदि तो करते ही करते थे, साथ ही लोगों तक की सेवा करते थे। लोगों का कपड़ा थाली धो देना आदि। उससे मन बुद्धि चित साफ रहता था, गंदगी नहीं जमा होती थी, कर्मों का आवरण नहीं आता था, भजन में मन लगता था। एक-दूसरे का गुरु भाइयों का लेना-देना किसी जन्म का रहा हो, वह भी अदा हो जाता था। 

महीने में भी एक कार्यक्रम अपनी अपनी जगह पर बड़ा किया करो 

महाराजजी ने 1 जनवरी 2020 प्रातः उज्जैन में बताया कि भजन बराबर करते रहना, आदत डाल लेना। और साप्ताहिक सतसंग बराबर चालू रखो। जहां नहीं हो रहा है, वहां भी चालू करा दो। और महीने में भी एक बड़ा कार्यक्रम अपनी-अपनी जगह पर किया करो। बराबर करते रहना।

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