गुरु पूर्णिमा पूजन कार्यक्रम अभियान देश-विदेश के प्रेमी सभी जगह राखी तक चलाओ - बाबा उमाकान्त जी महाराज

लोगों को जगाने, उनमें भाव भक्ति भरने और मुसीबत में भी मददगार है गुरु पूर्णिमा पूजन का प्रसाद

बावल(हरियाणा)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, कैसे भी करके जीवों को ज्यादा से ज्यादा दया लाभ मिल सके, इसके नित नये प्रभावी आसान उपाय निकालने वाले, अपनी विहंगम द्रष्टि से प्रसाद में दया भर देने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 5 जुलाई 2023 प्रातः बावल आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में जो लोग नहीं पहुंच पाए उनको भी गुरु की दया दिलाई जाए। भाव लोगों के बड़े अच्छे रहे। हम से लोगों ने पूछा कि प्रसाद दे दें? हमने बोला हां दे देना। भाव भक्ति प्रेम के अनुसार प्रसाद सबको फायदा करेगा। प्रसाद अंदर में जगह बनाएगा। जयगुरुदेव नाम जब अंदर जाएगा, गंदगी को साफ करेगा। जयगुरुदेव बोलकर के जब प्रसाद खिलाओगे, वह अपना काम करेगा। आप सब लोग जगह-जगह गुरु पूजन कार्यक्रम का आयोजन करो। गांव शहर, देश-विदेश में, जहां भी हो। सबके लिए संदेश है- अपने-अपने स्थान पर, अपने-अपने हिसाब से समय परिस्थिति, मौसम के हिसाब से आप लोग गुरु पूजन कार्यक्रम का आयोजन करो।

कार्यक्रम की सारी व्यवस्था पुराने लोग खुद करो

अपनी संगतें करोड़ों की संख्या में है। बहुत से लोगों को जानकारी भी नहीं होगी। किसी भी समय जब आपको सुविधा हो, रात को जब लोगों की छुट्टी हो जाती है, दुकान बंद करते हैं, सुबह का, दिन का। सतसंगियों  मिल करके आप अपने-अपने हिसाब से एरिया, समय निश्चित कर लो जिसमें समस्त नए-पुराने नामदानी, चाहे गुरु महाराज के हों या उनके जाने के बाद नामदान लिए हों, एक जगह दिन में इकट्ठा हो जाए। पुराने लोग, नए स्थानों पर भी चले जाओगे। जहां नई संगतें, नामदानी हैं उनको जब तक अंतर का रस नहीं मिलेगा, आप उनको गुरु की दया नहीं दिला पाओगे। तब तक आपके बुलाने पर आपके घर तक नहीं आएंगे। इसलिए पुराने लोग अपने और उनके यहां भी कार्यक्रम आयोजित करें। कार्यक्रम खुद बनाओ, सारी व्यवस्था आप करो, जगह उनके यहां कहीं देख लो। सब इकट्ठा हो जाएंगे, नए लोग भी आ जाएंगे, एक आदमी घर में नाम दानी है तो परिवार वालों को भी लेकर आ जाएगा। आप ऐसे-ऐसे जगहों को देखो। आप वहां पर यह कार्यक्रम आयोजित करो।

पूजन ऐसे करना रहेगा

प्रांत जिले का जिम्मेदार अकेले काम नहीं कर सकता। जिले के पांच आदमीयों की कमेटी नहीं कर सकती। जहां बड़ी संगतें, ज्यादा प्रेमी हैं, व्यवस्था करने के लिए आप उनकी संख्या बढ़ा दो, जिला स्तर पर 5 की जगह 10 कर लो, 11 कर लो। इस तरह से प्रस्ताव बना लो। सब जगह इसमें अपने आदमी जोड़ लो। अलग-अलग लोगों को जिम्मेदारियां दे दो। बराबर उनको बताते रहें, निर्देश देते रहें। जरूरत पड़े तो वहां जाकर के पूजन का कार्यक्रम करा दें। जहां गांव-गांव में अपनी संगतें हैं, और जहां आसपास में नहीं भी हैं, उनको जिम्मेदारियां दे दो, उनकी आप कमेटी बनवा दो और वह पूजन करें और करावें। हर गांव में जब हो जाएगा तब महिलाओं और देवियों को दूसरी जगह जाना नहीं पड़ेगा। दूसरी जगह जाना भी उचित नहीं है, मौसम, समय खराब है। हर गांव में अगर ऐसा हो जाए, जहां-जहां अपनी संगत है तो उसमें नए अच्छे लोग आ जाएंगे, उनको भी प्रसाद मिल जाएगा।

गुरु पूर्णिमा का प्रसाद जो लेकर गए इसी में और प्रसाद मिलाकर बना लो

यही गुरु पूर्णिमा का प्रसाद जो (जयपुर कार्यक्रम से) ले करके आप गए हो, यही वहां के प्रसाद में थोड़ा सा मिला देना, जो भी वहां पर इंतजाम आप कर सको, उसमें मिला देना। कुछ भी न कर सको तो थोड़ा चीनी में मिला देना और थोड़ा-थोड़ा प्रसाद आप दे देना।

प्रसाद कैसे बनता है

गुरु, धार को जब दृष्टि के द्वारा उतारते हैं तब वह प्रसाद बनता है, तब वह फलदाई होता है। देखने में प्रसाद तो किसी भी रंग का रहे लेकिन दया से वह सराबोर रहता है। ऐसा रंग उस पर चढ़ता है कि उसको खाने के बाद फिर उसका मन भी रंगीला हो जाता है, गुरु के प्रति सोचने आकर्षित होने लगता है। यह मुसीबत में मददगार है, श्रद्धा भाव भक्ति पैदा करने में लोगों को जगाने में भी मददगार है।

गुरु पूजन का कार्यक्रम 2 घंटे का करना होगा

कार्यक्रम 2 घंटे से कम नहीं 3 घंटे से ज्यादा नहीं। 3 घंटे से ज्यादा हो जाएगा तो उठ कर जाने लगेंगे जब तक उनको विश्वास नहीं हो जाएगा कि जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भरता है, देता वह है, परवरिश वह करता है, उसी का खेल है, हम कुछ नहीं हैं, देने वाला वह है। सबको इतनी जल्दी विश्वास नहीं होगा। जब तक उनको अनुभव नहीं होगा तब तक वह विश्वास नहीं करेंगे।

गुरु का पूजन कैसे करना रहेगा

तस्वीर लगाओ, एक जगह इकट्ठा हो जाओ, जमीन पर (बैठने के लिए कुछ) बिछा दो। उसके बाद अगर चाहो तो फूल माला दीपक जला कर रख दो। न चाहो तो यह दोनों चीजें सन्तमत में जरूरी नहीं है। कुछ भी आप न कर सको तो समझो कि गुरु तो भाव के भूखे होते हैं। भाव से ही भक्ति जगती है। लेकिन प्रसाद थोड़ा सा रख लेना। प्रार्थना बोलो। उसके बाद ध्यान भजन करो। आपके कार्यक्रम में धार्मिक लोग ही आयेंगे, मांसाहारी शराबी व्यभिचारी लाख बुलाने पर भी आपके यहां जल्दी नहीं आएंगे क्योंकि बने बुरे कर्म आने नहीं देंगे। किसी दबाव में आएंगे भी तो भागने की कोशिश करेंगे। जिनको अब तक नामदान नहीं मिला है, उन्हें कहना कि तब तक आप जो भी देवी-देवताओं को मानते हो, उनका ही ध्यान करो। जो किसी देवी देवता और किसी को याद न करना चाहो तो बताओ कि हमारे गुरु महाराज की तस्वीर लगी हुई है, इन्हीं को आंख बंद करके याद कर लो। आधा घंटा ध्यान, आधा घंटा भजन कराओ। उसके बाद सतसंग कोई सुनाने बताने वाला हो तो कुछ सुना देगा। नहीं तो छपे हुए सतसंग पढ़कर सुना देगा। नाम ध्वनि बोलकर के प्रसाद वितरण करके कार्यक्रम समाप्त कर दो।

जगह-जगह जिला स्तर या अपने आश्रमों पर बड़ा कार्यक्रम कर लेना

सब जगह भोजन का इंतजाम इस बरसात के मौसम में नहीं हो पाएगा। प्रसाद का थोड़ा बहुत इंतजाम आराम से हो जाएगा। गरीब भी कहेगा कि हमारे यहां भी पूजन करवा दीजिए। तो उसकी भी इच्छा पूरी हो जाएगी। गुरु की दया से या जगह-जगह जो अपने आश्रम बने हुए हैं या गुरु पूर्णिमा महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित करना है, काफी इकट्ठा करने के पक्ष में हो तो ऐसे जगहों पर थोड़ा बहुत जो भी है रुखा-सुखा, सब लोग मिलकर के योजना बनाकर के भोजन प्रसाद भी आने वाले लोगों को करा देना। जब यह खबर लगेगी कि हमारे जिला हेड क्वार्टर पर हमारे आश्रम पर गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है तब बेचारे दूर-दूर से चल पड़ेंगे। कुछ खाने पीने के लिए रास्ते में मिल न पावे, भूखे रह जाएं तो भूखे को रोटी खिलाना प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का काम होता है। यह पुण्य काम भी आप लोग कर लेना। इस पुण्य काम से भी आप लोग वंचित मत रहना।

गुरु पूर्णिमा पूजन का कार्यक्रम रक्षाबंधन तक जगह-जगह चलेगा

गुरु पूर्णिमा पूजन का कार्यक्रम जगह जगह पर होगा यह रक्षाबंधन तक चलेगा लगातार सावन पूर्णिमा आने तक रक्षाबंधन तक चलेगा जगह जगह पर चलेगा जहां पर भी सत्संगी नए पुराने हैं वहां भी कार्यक्रम आयोजित हो सकता है सुबह शाम रात को दिन में समय परिस्थिति के अनुसार सब लोग पूजन करेंगे और कराएंगे बोलो जय गुरुदेव

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