तपस्वी रावण भी शराब, मांसाहार, चरित्रहीनता की वजह से हो गया ख़त्म तो फैशन के नाम पर उन्ही बुराइयों को अपनाने की लगी होड़ से निकलेगा वैसा ही भयंकर परिणाम
लोगों को समझाओ, शाकाहारी, नशामुक्त बनाओ तो आपकी भी होगी बचत क्योंकि मुसीबत वाली जगह पर आप भी रहते हो
बावल (हरियाणा)। इतिहास से पन्नों से मिलने वाली शिक्षा को बताने समझाने वाले, आगामी तकलीफों से बचने का उपाय बताने वाले, वक़्त के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने 24 सितम्बर 2023 प्रातः बावल आश्रम, हरियाणा में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आत्मा, मनुष्य शरीर के बारे में बताते रहो कि यह फिर दुबारा मिलने वाला नहीं है। इसलिए सीधा सरल रास्ता लेकर के अपना काम बना लो। अभी अगर आप बताते रहोगे, आप करते रहोगे तो आपके भी कर्म कटेंगे, आपको भी कुछ लाभ मिलेगा। नही तो जब कुदरत ऐसा काम कर देगी कि जिससे बहुत विनाश हो जाएगा, लोगों की जान चली जायेगी तब तो दौड़ लग जाएगी, दौड़ लग जाएगी! यह जो मैंने आपको बताया, सनातन धर्म, मानव धर्म, ये जो रूहों को निजात दिलाने का, जीवात्मा को अपने घर पहुंचने का, यह जो सोल को स्पिरिचुअल पावर, परमात्म शक्ति से मिलवाने की विद्या हमेशा रही है और भविष्य में भी रहेगी और आने वाले समय में लाखों लाख की भर्ती इसमें रोज होने लग जाएगी। आपको मैं बता रहा हूं। ऐसे इसको कोई खत्म नहीं कर सकता। कितना भी कोई प्रयास करे लेकिन खत्म नहीं कर सकता बल्कि खत्म करने में जो लगे हुए हैं, वही खत्म हो जाएंगे।
तपस्वी रावण भी शराब, मांसाहार, चरित्रहीनता की वजह से हो गया ख़त्म
रावण कहता था हम किसी को नहीं मानते हैं। हमारे सामने स्वर्ग-वर्ग, देवी-देवता कुछ नहीं। उसको तो एक ऐंठ थी। वह तो यही समझता था कि मैं ही सब कुछ हूं। कहता था, जमीन से लेकर स्वर्ग तक सीढ़ी लगा दूंगा और सीढ़ी पर चढ़कर के स्वर्ग पहुंच जाएंगे। अच्छे कर्म जब तक थे। बहुत पूजा-पाठ, यज्ञ-जप-तप करता था। खूब यज्ञशलाए बनाये था। पुल्सत्य ऋषि का नाती था। एक बार गए थे कि देखें लड़का किस तरह से रह रहा है तो रावण ने उनका पैर छुआ, दिखाया कि यह हमारा गौशाला हैं, यह हमारी यज्ञशाला है, सारी शालाएं दिखाया तब उन्होंने पूछा तेरी चरित्र शाला कहां है? जो यह चरित्र शाला तेरे अंदर नहीं है, यही तेरा विनाश करेगी। क्यों? अपना हो या पराया, जिनको यह मालूम हो जाता है कि थोड़े समय का रिश्ता है ये सब, अपना बेटा, अपना बहू, अपना ये वो, लेकिन सच पूछो तो मुसीबत के समय, मरते समय कोई किसी का नहीं रह जाता। शरीर छूटने के बाद सारे रिश्ते खत्म हो जाते हैं। जो इस काम के लिए आते हैं, वही सही उपदेश देते हैं। वह बात करके गए थे कि तू अपने चरित्र को सही कर ले। लेकिन रावण अपने चरित्र को सही कैसे करता? करने नहीं देता था। कौन? वो शराब का नशा, मांसाहार रावण को उसका चरित्र सही नहीं करने देता था। जिसकी बहुतायत आप इस समय पर देख रहे हो। इसका फैशन लोगों ने बना दिया। तमाम तरीके का मीट खाओ। कलेजी खाओ, बोटी खाओ, तरह-तरह का नाम रख दिया। तरह-तरह की दारू, तरह-तरह की नशे की चीजें। उस (नशे) में कोई कुछ काम कर सकता है? न देश की न दुनिया की न गृहस्थी की न अपनी तरक्की, कुछ नहीं कर सकता है। नशे में बुद्धि खराब हो जाती है।
गेहूं के साथ घुन भी पिस जाते हैं
तन मन को करता कौन खराब? अंडा मछली मांस शराब। ये चीजें खराब करती हैं। लोगों को बताओ सुधारो जिससे ये अच्छे समय को देख ले नहीं तो भगदड़ मचेगी। भगदड़ में कौन रहेगा, कौन नहीं रहेगा, किसे पता। एक कहावत है कि गेहूं के साथ घुन भी पिस जाते हैं। कोई जरूरी है कि बचें ही? क्योंकि आप भी मुसीबत वाली जगह में ही रह रहे हो। कोई जरूरी है की बचत हो जाए? संग का असर आ जाए, शरीर छूट जाए फिर क्या कर पाओगे? तो प्रेमियों! जब सेवा करोगे तब कर्म कटेंगे फिर भजन में मन लगने लगेगा।
आगे की व्यवस्था धीरे-धीरे हम बनाते जाएं
देखो हम ही सब कुछ नहीं कर सकते हैं। और हमारे पास ज्यादा फोन करने, पूछने और पूछवाने की भी जरूरत नहीं है। अब हम यह चाहते हैं आप लोगों पर धीरे-धीरे जिम्मेदारियां देते, सौंपते जाए, आपको काम सिखाते जाएं। आगे की व्यवस्था सब हम धीरे-धीरे बनाते जाए। और हम जो हमारा काम है, वह करें। हमारा काम क्या है जो असला काम है- जीवों को जगाना, रास्ता बताना और अपने वतन पहुंचाने का काम करना। हम इस काम में लग जाए। बाकी आप एक प्लेटफार्म तैयार करो। लोगों को समझाओ, मिशन के, नाम दान के बारे में बताओ। नामदान की इच्छा लोगों के अंदर जगे, आत्मा-परमात्मा के बारे में समझें, परमात्मा से मिलने का, देवी-देवताओं के दर्शन करने का, अनहद वेदवाणी सुनने की इच्छा अपने अंदर पैदा करें। आप व्यवस्था बना लो और हमारे पास आप उनको ले आओ, हम भी उनको समझा देंगे, हम उनको नाम दान दे देंगे तो आप सब लोग यह काम करो।
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