स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर सनातन की सेवा का संकल्प
विशेष संवाददाता
कुंभनगर, प्रयागराज। सनातन आस्था और महाविज्ञान से प्रभावित होकर दो प्रतिभाशाली युवाओं ने आज पौष पूर्णिमा के अवसर पर संन्यास ग्रहण किया है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री , दंडीस्वामी पूज्य स्वामी जीतेंद्रानंद जी सरस्वती ने इन दोनों युवाओं को मंत्र दीक्षा प्रदान किया। महाकुंभ के प्रथम पुण्य स्नान के पवित्र अवसर पर इन युवाओं के इस निर्णय ने सनातन आस्था को प्रमाणित किया है। सनातन संस्कृति और अध्यात्म के प्रति प्रतिभावान युवा शक्ति का यह जुड़ाव अत्यंत स्वागत योग्य है।
प्रथम युवा कोलकाता के उपकुर्वाण ब्रह्मचारी संजयानन्द को आज नैयष्ठिक ब्रह्मचर्य की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द नाम प्रदान किया गया। दूसरे प्रतिभावान युवा और पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुमार पांडे को आज सन्यास की दीक्षा देकर स्वामी केशवानन्द सरस्वती नाम प्रदान किया गया। दोनों युवा संन्यासियों ने आज दीक्षा के उपरांत कहा कि उनके मार्गदर्शक और गुरु स्वामी जीतेंद्रानंद जी की यह कृपा उन्हें अब सनातन की व्यापक सेवा का मार्ग प्रशस्त करेगी। राष्ट्र को इस समय पूज्य स्वामी जी के संकल्प पूरे करने के लिए हमारे जैसे युवाओं की अत्यंत आवश्यकता है। सनातन धर्म और संस्कृति की व्यापक सेवा में हमें गुरुदेव की कृपा मिलती रहे , ऐसी कामना है।
इस अवसर पर स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि विश्व के युवाओं में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ा है। यह बहुत ही शुभ है। ऐसे समय में जबकि दुनिया अनेक गंभीर युद्धों के संकट से जूझ रही है, प्रयाग राज से सनातन का विश्व कल्याण का उदघोष ही विश्व को उचित दिशा देने वाला है। उन्होंने कहा कि आज दीक्षा प्राप्त करने वाले दोनों प्रतिभावान संन्यासी सनातन के लिए निधि बन कर कार्य करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
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