आत्महत्या करने वालों के आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे ज्यादा आत्महत्या दैनिक वेतनभोगी करते हैं। इनका आंकड़ा 23.4 प्रतिशत का है। वहीं सुसाइड करने वालों में घरेलू महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं। उनकी संख्या 15.4 प्रतिशत है। चूंकि घरेलू समस्याओं के कारण आत्महत्या हमारे देश में सबसे ज्यादा है इसलिए गृहिणियों की संख्या आत्महत्या करने वालों में इतनी ज्यादा है। 10.1 प्रतिशत बेरोजगार अपनी जान देते हैं, वहीं स्वरोजगार कर रहे लोगों में आत्महत्या का प्रतिशत 11.6 है। आत्महत्या करने वालों में विद्यार्थियों का प्रतिशत 7.4 है जबकि वेतन पाने वालों में यह आंकड़ा 9.1 है। पति या पत्नी की मृत्यु के बाद सुसाइड करने वालों में पुरुषों की संख्या 1378 है, जबकि महिलाओं की 1094 है। तलाक के बाद आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या 595 और महिलाओं की 402 है।
वर्ष 2019 में एनसीआरबी के आकड़ों के अनुसार, एक लाख 39 हजार 123 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से पारिवारिक समस्या के कारण 32.4 प्रतिशत लोगों ने अपनी जान दी. जबकि 17.1 प्रतिशत लोगों ने किसी ना किसी बीमारी के कारण आत्महत्या की. यह आंकड़े आज के समय में ज्यादा जरूरी इसलिए हो जाते हैं क्योंकि देश में एक आत्महत्या पर जांच चल रही है. बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद यह सवाल बहुत अहम हो गया है कि क्या एक ऐसा इंसान जिसके पास नाम, पैसा और शोहरत सबकुछ था वह आत्महत्या कर सकता है?







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