भारत और चाईना बार्डर पर गरमागर्मी बना हुआ है। कब युद्ध हो जाए, इसका किसी को पता नहीं। आपको बता दें कि चाईना सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के सामने अपना दम दिखाने में कामयाब तो नहीं हुए फिर भी आगामी ठंडक को लेकर भारतीय सैनिकों का एक प्रकार से मजा ले रहें है पर उनको ये पता नहीं है की 1962, अब नहीं आएगा। यह 21वीं सदी चल रही है...
भारतीय सेना से मुकाबले में पीछे रहने के बाद अब चीन की पीएलए ने मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक़ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन अब नए पैंतरे आजमा रहा है। चीनी सेना पेंगोंग सो के फिंगर चार इलाक़े में लाउडस्पीकर पर पंजाबी और हिंदी गाने चला रही है और लगातार यह अनाउंसमेंट कर रही है कि भारत सरकार अपनी सेना की क्या मदद करेगी? पंजाबी और हिंदी गाने के साथ-साथ लाउडस्पीकर पर इस तरह का अनाउंसमेंट कर चीन की सेना ने 1962 की तर्ज़ पर एक बार फिर से भारतीय सैनिकों के साथ साइकोलॉजिकल वारफेयर शुरू कर दिया है।
चुशुल के ठीक सामने मोल्डोवा में भी चीनी सेना हिंदी गाने चला रही है और यहां पर भी वे भारतीय सेना को सतर्कता बरतने के लिए कह रहे हैं साथ में वो ये भी कह रहे हैं की भारत सरकार ठंड में उनकी कोई मदद नहीं करेगी। आपको बता दें कि चीनी सेना गानों के साथ ये अनाउंसमेंट इसलिए कर रही है क्योंकि पहाड़ की चोटियों पर डटे हुई भारतीय सैनिकों को दिमाग़ी तौर पर अपने साथ मिलाकर इनका मनोबल तोड़ सके, ठीक वैसे ही जैसे 1962 के युद्ध में चीनी सेना ने किया था।
इस खुराफात का असर भारतीय सैनिकों पर न पड़े, इसके लिए भारतीय सेना के कमांडिंग ऑफ़िसर ने अपने यूनिट के सभी जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए चीनी सेना के इस मनोवैज्ञानिक खेल को दबाने की रणनीति के साथ काम शुरू कर दिया है और दमख़म के साथ भारतीय सैनिक इस समय डटे हुए हैं। उधर, चीन ने एक बार फिर से चुमार, पेंगोंग सो, गलवान, गोगरा. डेपसांग पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई है।


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