राजेश शास्त्री, संवाददाता, ईस्ट न्यूज 24X7
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद में स्थित राजकीय महाविद्यालय पचमोहनी में बाइस मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर जल का महत्व और धारणीय विकास विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन प्राचार्य डा. महेन्द्र प्रकाश की अध्यक्षता में किया गया। बताया जाता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनाये गए सतत विकास लक्ष्य के बिन्दु छह पर केन्द्रित चर्चा का आधार जल का मूल्य था।
इसी पर एक परिचर्चा का आयोजन पचमोहनीं में किया गया। जिसके तहत बताया गया कि हमारा भारत एक श्रेष्ठ भारत के अन्तर्गत आता है। इसी पर आधारित अरुणाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों और मेघालय के जल संरक्षण प्रणाली के बारे में छात्र छात्राओं सहित उपस्थित अन्य सभीं लोगों को इस परिचर्चा कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न जानकारियाँ दी गयी।
इस अवसर पर अपने मौलिक विचार रखते हुए छात्रा पूजा प्रजापति, प्रियंका, श्रद्धा, साक्षी शुक्ला, मनीषा व छात्र पवन कनोजिया, ओंकार ने उपस्थित लोगों को बताया कि विकास के दौड़ में मानव ने प्रकृति प्रदत्त संसाधनो के दोहन और शोषण में उदारता नहीं बरती। जबकि जल प्रकृत के सभीं प्राणियों के लिए अमूल्य है। कहा गया है कि जल ही जीवन है। इसलिए जल की कमीं होने पर आने वाले दशकों में एक भयानक विनाशक के रूप में सभी के समक्ष प्रकट होगा। तब उसका तत्काल निदान हो पाना असम्भव ही रहेगा। इसलिए हमारे उत्तर प्रदेश को भी अरुणाचल प्रदेश और मेघालय से सरकारी तथा परम्परागत जल संरक्षण प्रणाली की प्रवृति को यहाँ पर भी कठोरता से लागू कराया जाय।
छात्र छात्राओं ने आगे कहा कि वर्तमान समय में मेघालय अपनी सामुदायिक जल नीति के चलते भारत के जल संरक्षण में प्रथम स्थान पर अर्जित किया है। इस परिचर्चा कार्यक्रम में संयोजक डा. अजय कुमार सोनकर, कार्यालय कर्मचारीगण व सभी छात्र-छात्रायें उपस्थित रहकर कार्यक्रम को सफल बनाया।



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